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Chaiti Chhath Puja 2023: चैती छठ संध्या अर्घ्य से लेकर पारण तक पूरी डिटेल यहां पढ़ें

चैती छठ व्रत रखने से भक्त को सैकड़ों गुना यज्ञों का फल प्राप्त होता है. लोग केवल संतान ही नहीं बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि और धन लाने के लिए भी यह व्रत रखते हैं. जानें इस बार चैती छठ पूजा कब से शुरू है नहाय खाय, खरना की तारीख, छठ संध्या अर्घ्य और छठ सुबह के अर्घ्य की तारीख, समय, नियम और महत्व.

Chaiti Chhath Puja 2023 Date: चैती छठ पर्व की शुरुआत 25 मार्च से हो रही है. छठ को महापर्व की संज्ञा दी जाती है. कहते हैं कि यह आस्था और श्रद्धा का सबसे खास त्योहार है. इसलिए इसके प्रति लोगों में बहुत अधिक विश्वास है. दुनियाभर में प्रवासी बिहारी अपने-अपने क्षेत्रों के नजदीकी घाटों पर जाकर भावों सहित छठ पूजा का त्योहार मनाते हैं. छठ महापर्व पर उगते सूर्य और ढलते सूर्य दोनों का अर्घ्य दिया जाता है. जानें इस बार चैती छठ 2023 कब से शुरू है. नहाय खाय, करना कब है? छठ घाट पर जाकर ठलते सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देन की तारीख और समय क्या है. डिटेल जानें.

चैती छठ तारीख नहाय खाय से पारण तक (Chaiti Chhath Puja 2023 Date Nahay Khay To Paran)

25 मार्च 2023 – शनिवार, नहाय खाय

26 मार्च 2023 – रविवार, खरना

27 मार्च 2023 – सोमवार, संध्या अर्घ्य

28 मार्च 2023 – मंगलवार, सूर्योदय अर्घ्य, पारण

चैती छठ संध्या अर्घ्यऔर सूर्योदय अर्घ्य का समय (Chaiti Chhath Puja 2023 Arghya Time)

संध्या अर्घ्य (Chaiti Chhath Puja Sandhya Arghya) – 27 मार्च 2023

सूर्यास्त समय – शाम 06.36

उषा अर्घ्य (Chaiti Chhath Puja Usha Arghya) – 28 मार्च 2023

सूर्योदय समय – सुबह 06.16

चैती छठ पर बन रहा शुभ संयोग ((Chaiti Chhath Puja 2023 Shubh Yoga)

चैत्र शुक्ल चतुर्थी 25 मार्च यानी शनिवार को नहाय-खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू हो रहा है. इस दिन पवित्र नदी तालाब या नहाने के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान करने के बाद व्रती व्रत का संकल्प लेकर, कद्दू भात ग्रहण करेंगे. रविवार 26 मार्च को कृतिका नक्षत्र व प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर संध्याकाल खरना की पूजा करेंगे जिसमें खीर का प्रसाद बना कर पूजा कर ग्रहण करेंगे. वहीं चैत्र शुक्ल षष्ठी 27 मार्च यानी सोमवार को पूरे दिन निर्जला रह कर रोहिणी नक्षत्र के साथ आयुष्मान योग में सूर्यदेव को सायंकालीन अर्घ्य दिया जायेगा. प्रातःकालीन अर्घ्य 28 मार्च को चैत्र शुक्ल सप्तमी के साथ मृगशिरा नक्षत्र व सौभाग्य योग में होगा.

चैती छठ व्रत नियम (Chaiti Chhath Puja Niyam)

छठ पूजा के चारों दिन व्रती जमीन पर चटाई पर सोएं. व्रती और घर के सभी सदस्य भी छठ पूजा के दौरान प्याज, लहसुन और मांस-मछली ना खाएं.व्रती स्त्रियां छठ पर्व के चारों दिन नए कपड़े पहनें. महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनें. पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का इस्तेमाल करें. छठ पूजा में गुड़ और गेंहू के आटे के ठेकुआ, फलों में केला और गन्ना ध्यान से रखें.

छठ पूजा विधि, पूजा सामग्री (Chaiti Chhath Puja Vidhi Samagri)

चैती छठ में पूरे दिन निराहार और निर्जला व्रत रख शाम के समय नदी या तालाब में जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लें. इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें. इस दौरान थाली और दूध गिलास ले लें. इसके साथ ही फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन जरूर रखें. इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें. सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें. सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें. इसके बाद नदी में उतर कर सूर्य देव को अर्घ्य दें.

चैती छठ का महत्व

सनातन धर्म में महिलाएं अपनी संतान के निरोगिता एवं समृद्धि के लिए छठी माता का पूजन करती है. छठ व्रत करने से घर सुख समृद्धि, संतानों की उन्नति आरोग्यता धन-धान्य की वृद्धि होती है. इस बार कृतिका नक्षत्र एवं प्रीति योग में नहाय खाय के साथ चैती छठ का चार दिनों का महापर्व शुरू हो गया है. सात अप्रैल गुरुवार को व्रती पूरे दिन उपवास रह कर सायं काल में भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे.

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