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Chaitra Navratri 2022 Ghatasthapana Muhurat: चैत्र नवरात्रि आज से, घटस्थापना शुभ मुहूर्त, विधि जानें

Chaitra Navratri 2022 Ghatasthapana Muhurat: चैत्र नवरात्रि आज से शुरू हो रही है. नवरात्रि में देवी का अह्वान करने से पहले घटस्थापना की जाती है. घटस्थापना के लिए जरूरी सामग्री और घटस्थापना करने की संपूर्ण विधि और शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहां पढ़ें.

Chaitra Navratri Ghatasthapana Vidhi: चैत्र नवरात्रि में भी घटस्थापना के लिए मुहूर्तों की आवश्यकता होती है. और पूरे विधि विधान के अनुसार शुभ मुहूर्त देख कर घटस्थापना की जाती है. दृक पंंचांग के अनुसार जान लें चैत्र नवरात्रि घटस्थापना करने के दौरान कौन-कौन सी सामग्री की जरूरत होती है और घटस्थापना करने की संपूर्ण विधि क्या है. साथ ही पंचोपचार पूजा और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त नोट कर लें.

Chaitra Navratri Ghatasthapana Tithi, Muhurat: चैत्र नवरात्रि घटस्थापना तिथि और मुहूर्त

चैत्र घटस्थापना शनिवार, अप्रैल 2, 2022 को

घटस्थापना मुहूर्त – 06:10 ए एम से 08:31 ए एम

अवधि – 02 घण्टे 21 मिनट्स

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – 12:00 पी एम से 12:50 पी एम

अवधि – 00 घण्टे 50 मिनट्स

घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है.

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 01, 2022 को 11:53 ए एम बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त – अप्रैल 02, 2022 को 11:58 ए एम बजे

Chaitra Navratri Ghatasthapana Samagri: घटस्थापना संपूर्ण सामग्री

सप्त धान्य बोने के लिए चौड़ा और खुला मिट्टी का घड़ा.

सप्त धान्य बोने के लिए स्वच्छ मिट्टी.

सप्त धान्य या सात अलग-अलग अनाज के बीज.

छोटी मिट्टी या पीतल का घड़ा.

कलश में भरने के लिए गंगा जल या पवित्र जल.

पवित्र धागा/मोली/कलया.

खुशबू (इत्र).

सुपारी.

कलश में डालने के लिए सिक्के.

अशोक या आम के पेड़ के 5 पत्ते.

कलश को ढकने के लिए एक ढक्कन.

ढक्कन में डालने के लिए अक्षत.

बिना छिले नारियल.

नारियल ताने के लिए लाल कपड़ा.

गेंदा फूल और माला.

दूर्वा घास.

कलश की तैयारी.

Chaitra Navratri Ghatasthapana Vidhi: घटस्थापना विधि

कलश की तैयारी

चैत्र नवरात्रि में देवी का आह्वान करने से पहले कलश तैयार किया जाता है.

स्टेप 1 – सबसे पहले मिट्टी का चौड़ा घड़ा (जिसका इस्तेमाल कलश रखने के लिए किया जाएगा) अनाज बोने के लिए लें. मिट्टी की पहली परत को गमले में फैलाएं और फिर अनाज के बीज फैलाएं. अब मिट्टी और अनाज की दूसरी परत डालें. दूसरी परत में अनाज को बर्तन की परिधि के पास फैला देना चाहिए. अब मिट्टी की तीसरी और आखिरी परत को गमले में फैला दें. यदि आवश्यक हो तो मिट्टी को सेट करने के लिए बर्तन में थोड़ा पानी डालें.

स्टेप 2 – अब पवित्र धागे को कलश के गले में बांध लें और इसे पवित्र जल से गले तक भर दें. पानी में सुपारी, गंध, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें. कलश को ढकने से पहले अशोक के 5 पत्तों को कलश के किनारे पर रख दें.

स्टेप 3 – अब बिना छिलके वाला नारियल लें और उसे लाल कपड़े में लपेट दें. नारियल और लाल कपड़े को पवित्र धागे से बांधें.

अब स्टेप 2 में तैयार कलश के ऊपर नारियल रखें. अंत में स्टेप 1 में तैयार किए गए कलश को सेंटर में रखें. अब आपके पास देवी दुर्गा को आमंत्रित करने के लिए कलश तैयार है.

देवी दुर्गा का आह्वान करें

अब देवी दुर्गा का आह्वान करें और उनसे अनुरोध करें कि वे आपकी प्रार्थनाओं को स्वीकार करें और नौ दिनों तक कलश में निवास करके आपको आशीर्वाद दें.

पंचोपचार पूजा

जैसा कि नाम से पता चलता है, पंचोपचार पूजा (पंचोपचार पूजा) पांच पूजा वस्तुओं के साथ की जाती है. सबसे पहले कलश और उसमें बुलाए गए सभी देवताओं को दीपक दिखाएं. दीप चढ़ाने के बाद धूप की तीली जलाएं और कलश पर चढ़ाएं, उसके बाद फूल और सुगंध चढ़ाएं. अंत में पंचोपचार पूजा समाप्त करने के लिए कलश को नैवेद्य (नैवेद्य) यानी फल और मिठाई अर्पित करें.

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