हिंदू पंचाग (Hindu Calander) के अनुसार 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. आज नवरात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा को समर्पित है. मां चंद्रघंटा को दूध से बने भोग और चमेली के फूल अर्पित करें. आइए जानते हैं कि मां के नौ रूपों में मां चंद्रघंटा की पूजन-विधि क्या है
माता का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा शेर पर सवार है. दसों हाथों में कमल और कमंडल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं. माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान होती है. इस अर्ध चांद के कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है.
मां चंद्रघंटा की पूजा में उपासक को सुनहरे और पीले रंग के वस्त्र गृहण करने चाहिए. आप मां को खुश करने के लिए सफेद कमल और पीले गुलाब की माला भी अर्पण करें. शास्त्रों के अनुसार मां चंद्रघंटा पापों का नाश और राक्षसों का वध करती हैं. मां चंद्रघंटा के हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा होती है. उनके सिर पर अर्धचंद्र घंटे के आकार में विराजमान होता है. इसलिए मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा का नाम दिया गया है.
नवरात्रि के शुभ दिनों में तीसरे दिन मां के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कड़े पहने जाते हैं. मंदिर को साफ-सफाई करने के बाद विधि-विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना की जाती है. माना जाता है कि मां की अराधना ऊॅं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है. मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें और इस दिन दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाने से मां जल्दी प्रसन्न होती है.
मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजों का भोग लगाना होता है. मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करनी होती है. मां के इस रूप की आराधना सुख और स्मृधी का प्रतीक है.