Chaitra Navratri 2022, Maa Kalratri Puja: वासंतिक नवरात्र की सप्तमी तिथि को माता कालरात्रि देवी के दर्शन का विधान है. वाराणसी में माता का मंदिर चौक क्षेत्र के कालिका गली में स्थित है. वहीँ वासंतिक नवरात्र की सप्तमी तिथि को गौरी दर्शन के क्रम में भवानी गौरी के भी दर्शन-पूजन की मान्यता है. भवानी गौरी का मंदिर विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के निकट रेड जोन में स्थित है. अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने के चलते वहां किसी तरह की विडियोग्राफी या तस्वीर लेना पूरी तरह प्रतिबंधित है. दोनो ही मंदिरों में देवी भक्तो की भीड़ भोर से ही दर्शन के लिए उमड़ने लगती हैं.
माता कालरात्रि के स्वरूप का दर्शन-पूजन पूजन करने से अकाल मृत्यु का भय जाता रहता है. या यूं कहें कि अकाल मृत्यु का संकट दूर हो जाता है. कहा जाता है कि काशी का यह अद्भुत व इकलौता मंदिर है जहां भगवान शंकर से रुष्ट हो कर माता पार्वती आईं और सैकड़ों साल तक कठोर तपस्या की. यह ऐसा सिद्ध विग्रह है माता भवानी का जो भी भक्त एक बार मंदिर परिसर में पहुंच जाता है, उसका ध्यान में लीन होना तय है. मां का स्वरूप जितना विकराल दिखता है उतना ही सौम्य भी है. मां से जो भी मांगा जाता है वह पूर्ण करती हैं. माना जाता है, माता के चरणों में गुड़हल के पुष्प की माला, लाल चुनरी, नारियल, फल, मिष्ठान, सिन्दूर, रोली, इत्र और द्रव्य अर्पित करना विशेष फलदायी माना गया है.
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वहीँ वासंतिक नवरात्र की सप्तमी तिथि को गौरी दर्शन के क्रम में भवानी गौरी के दर्शन-पूजन की मान्यता है. भवानी गौरी का मंदिर विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के निकट रेड जोन में स्थित होने की वजह से यह क्षेत्र अति संवेदनशील माना जाता हैं. माँ सभी बाधा व आपदाओं को हरने वाली है. भवानी गौरी का मंदिर विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के रेड जोन में होने के कारण भक्तों को नारियल आदि ले जाने पर रोक थी. इसलिए देवी को सिर्फ अड़हुल की माला अर्पित की गई. ब्रह्म मुहूर्त में देवी की मंगल आरती के बाद भक्तों के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए. श्रद्धालुओं ने कालिका गली स्थित काली मंदिर में भी दर्शन पूजन किया. मान्यता है कि भवानी गौरी के दर्शन पूजन से व्यक्ति के अंदर से भय समाप्त हो जाता है.
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माता का मंत्र
ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: