Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. नौ दिनों तक व्रत रखे जाते हैं. पहले दिन जहां कलश स्थापना का विधान है तो आखिरी दिन कन्या पूजन किया जाता है. इन नौं दिनों तक भक्त मां दुर्गा के नौं स्वरुपों का पूजन करते हैं. प्रथम दिन मां शैलपुत्री, द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी, चतुर्थ मां चंद्रघंटा, पंचम स्कंद माता, षष्टम मां कात्यायनी, सप्तम मां कालरात्रि, अष्टम मां महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है. इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल, शनिवार को आरंभ हो रही है. जानें इस साल किस तारीख को नवरात्रि की कौन सी तिथि पड़ रही है और किस तिथि को माता दुर्गा के किस रूप की पूजा करें.
नवरात्रि का दिन 1- 2 अप्रैल- घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा
नवरात्रि का दिन 2- 3 अप्रैल- ब्रह्मचारिणी पूजा
नवरात्रि का दिन 3- 4 अप्रैल- चन्द्रघन्टा पूजा
नवरात्रि का दिन 4- 5 अप्रैल- कुष्माण्डा पूजा
नवरात्रि का दिन 5- 6 अप्रैल- स्कन्दमाता पूजा
नवरात्रि का दिन 6- 7 अप्रैल- कात्यायनी पूजा
नवरात्रि का दिन 7- 8 अप्रैल- कालरात्रि पूजा
नवरात्रि का दिन 8- 9 अप्रैल- दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा
नवरात्रि का दिन 9- 10 अप्रैल- राम नवमी पूजा
नवरात्रि का दिन 10- 11 अप्रैल- नवरात्रि व्रत पारण
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है. ये मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं. ये राजा हिमालय (शैल) की पुत्री हैं इसी कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं. ये वृषभ (बैल) पर विराजती हैं.
नवरात्रि के दूसरे दिन माता भगवती के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि इन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया था. इनकी उपासना से यश और सिद्धि की प्राप्ति होती है.
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन होता है. ये मां दुर्गा की तृतीय शक्ति हैं. इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियां समाहित हैं. इनके मस्तक पर अर्द्ध चंद्र सुशोभित हैं, इसी कारण ये चंद्रघंटा कहलाती हैं. इनके घंटे की ध्वनि से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर भाग जाती हैं.
नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा की पूजा का विधान है. इनकी मंद हंसी से ही ब्रह्मांड का निर्माण होने के कारण इनका नाम कूष्मांडा पड़ा. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, वे इनमें धनुष, बाण, कमल, अमृत, चक्र, गदा और कमण्डल धारण करती हैं. मां के आंठवे हाथ में माला सुशोभित रहती है.
नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरुप स्कंदमाता का पूजन किया जाता है. ये अपनी गोद में कुमार कार्तिकेय को लिए हुए हैं और कार्तिकेय का एक नाम स्कंद है, इसी कारण ये स्कंद माता कहलाती हैं. ये कमल के आसन पर विराजती हैं और इनका वाहन सिंह है.
नवरात्रि में छठे दिन मां दुर्गा के षष्ठम स्वरूप मां कात्यायनी की आराधना की जाती है।इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयु मुद्रा में रहता है तो वहीं नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है. बाई ओर के ऊपर वाले हाथ में मां तलवार धारण करती हैं तो वहीं नीचे वाले हाथ में कमल सुशोभित है. मां कात्यायनी का वाहन सिंह है.
मां दुर्गा के सप्तम स्वरुप को कालरात्री कहा जाता है, नवरात्रि में सप्तमी तिथि को इन्हीं की पूजा अर्चना की जाती है. इनका स्वरुप देखने में प्रचंड है लेकिन ये अपने भक्तों के सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं. इसलिए इन्हें शुभड्करी भी कहा जाता है.
नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है. ये श्वेत वस्त्र और आभूषण धारण करती हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. दाहिनी और का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में रहता है तो वहीं नीचे वाले हाथ में मां त्रिशूल धारण करती हैं. बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरु रहता है तो नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है.
Also Read: Chaitra Navratri 2022: कितने दिनों की है चैत्र नवरात्रि ? अष्टमी, नवमी कब है? यहां देखें पूरी तिथि लिस्ट
नवरात्रि में नवमी तिथि यानी अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरुप मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है. इनके नाम से ही पता चलता है सिद्धियों को प्रदान करने वाली. इनकी पूजा से भक्त को सिद्धियों की प्राप्ति होती है.