Chaitra Navratri 2nd Day Maa Brahmacharini puja: आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. इस दिन मां ब्रहमचारिणी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वालों को अपने कार्य में सदैव सफलता मिलती है. जानें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती और कथा क्या है?
ब्रह्म मुहूर्त– 04:37 ए एम से 05:23 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:50 पी एम
विजय मुहूर्त– 02:30 पी एम से 03:20 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:27 पी एम से 06:51 पी एम
सर्वार्थ सिद्धि योग– 06:09 ए एम से 12:37 पी एम
निशिता मुहूर्त– 12:01 ए एम, अप्रैल 04 से 12:47 ए एम, अप्रैल 04
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मां ब्रहमचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें.
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घर के मंदिर में दीप जलाएंं.
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मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें.
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अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें.
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मां दुर्गा को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.
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मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल के फूल पसंद हैं. इन्हीं फूलाें से माता की पूजा करें.
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माता को भोग लगाएं.
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मां ब्रह्मचारिणी को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं.
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मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन अति प्रिय होते हैं. इसलिए आप उन्हें दूध से बने व्यंजनों का भोग भी लगा सकते हैं.
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धूप और दीपक प्रज्वलित कर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें.
कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था. भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया. कठोर तप के कारण ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी पड़ा. भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए और 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं. कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया. उनक तप देखकर सभी देवता, ऋषि-मुनि अत्यंत प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि आपके जैसा तप कोई नहीं कर सकता है. आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगा और भगवान शिव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे.
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता.
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता.
ब्रह्मा जी के मन भाती हो.
ज्ञान सभी को सिखलाती हो.
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा.
जिसको जपे सकल संसारा.
जय गायत्री वेद की माता.
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता.
कमी कोई रहने न पाए.
कोई भी दुख सहने न पाए.
उसकी विरति रहे ठिकाने.
जो तेरी महिमा को जाने.
रुद्राक्ष की माला ले कर.
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर.
आलस छोड़ करे गुणगाना.
मां तुम उसको सुख पहुंचाना.
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम.
पूर्ण करो सब मेरे काम.
भक्त तेरे चरणों का पुजारी.
रखना लाज मेरी महतारी.