12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Chhalaang Movie Review: मनोरजंन करने में कामयाब है यह छलांग

Chhalaang Movie Review: हंसल मेहता और राजकुमार राव की जोड़ी ने सिटीलाइट्स,अलीगढ़, ओमेर्ता जैसी संवेदनशील और रियलिस्टिक फिल्में हिंदी सिनेमा को दी हैं. इस बार यह निर्देशक और एक्टर की कमाल वाली जोड़ी ने सीरियस फिल्मों के इतर हल्की फुल्की फ़िल्म साथ लेकर आए हैं. फ़िल्म स्पोर्ट्स ड्रामा ही है. फ़िल्म खेल कूद का ज़िन्दगी में महत्व तो बताती ही है.

  • फ़िल्म – छलांग

  • निर्माता – लव रंजन

  • निर्देशक – हंसल मेहता

  • प्लेटफार्म – अमेज़न प्राइम

  • कलाकार- राजकुमार राव, नुसरत भरुचा, सौरभ शुक्ला, इला अरुण,जीशान अय्यूब, सतीश कौशिक और अन्य

  • रेटिंग – तीन

हंसल मेहता और राजकुमार राव की जोड़ी ने सिटीलाइट्स,अलीगढ़, ओमेर्ता जैसी संवेदनशील और रियलिस्टिक फिल्में हिंदी सिनेमा को दी हैं. इस बार यह निर्देशक और एक्टर की कमाल वाली जोड़ी ने सीरियस फिल्मों के इतर हल्की फुल्की फ़िल्म साथ लेकर आए हैं. फ़िल्म स्पोर्ट्स ड्रामा ही है. फ़िल्म खेल कूद का ज़िन्दगी में महत्व तो बताती ही है.

लेकिन ज़िन्दगी का सबक भी शामिल है. जो फ़िल्म को खास बना देता है इसके कलाकारों के परफॉर्मेंस के साथ.

फ़िल्म की कहानी मोंटू( राजकुमार राव) की है. जिसे दूसरों की क्या अपनी भी पड़ी नहीं है. उसकी जिंदगी शुक्ला जी (सौरभ शुक्ला)मस्त से कट रही है. उसके पिता ( सतीश कौशिक)की सिफारिश पर उसे एक स्कूल में पीटी टीचर की नौकरी मिल गयी है. उसमें भी उसकी कामचोरी चलती है. मन हुआ तो कभी बच्चों को कुछ सीखा दिया वरना अपना टाइमपास कर लिया। मोंटू की लाइफ और फ़िल्म की कहानी में ड्रामा तब आता है. जब कंप्यूटर टीचर नीलिमा ( नुशरत भरुचा) की स्कूल में एंट्री होती है. मोंटू को पहली ही नज़र में नुसरत से प्यार हो जाता है. मोंटू नीलिमा को इम्प्रेस करने में जुट जाता है लेकिन फिर कहानी में ट्विस्ट आ जाता है एक नए पीटी टीचर सिंह( मोहम्मद जीशान अय्यूब) के साथ.

मोंटू का प्यार, नौकरी और इज़्ज़त तीनों दांव पर लग जाते हैं। क्या कामचोर और आलसी मोंटू खुद को साबित कर अपने प्यार और नौकरी को बचा पाएगा यही आगे की कहानी है. फ़िल्म में ज़िन्दगी में स्पोर्ट्स की महत्ता बताने के साथ साथ लिंग भेद, महिला सशक्तिकरण पर भी बात हुई है. फ़िल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले में नयापन नहीं है।क्या होगा यह पूर्वानुमानित होता है. फ़िल्म के कई दृश्य दंगल की याद भी दिला जाते हैं. क्लाइमेक्स पर थोड़ा और काम करने की ज़रूरत थी। इन पहलुओं पर ध्यान दिया जाता तो यह एक बेहतरीन फिल्मों की कड़ी में शुमार हो सकती थी।फ़िल्म में मंझे हुए कलाकारों की मौजूदगी ही है जो इस औसत कहानी को एंटरटेनिंग बना गयी है.

अभिनय की बात करें तो

राजकुमार का नाम उन विश्वसनीय नामों में शुमार हो गया है।जो हर किरदार में अपनी छाप छोड़ जाते हैं. छलांग भी अलग नहीं है. जीशान के हिस्से कम संवाद भले ही आए हैं लेकिन उन्होंने अपने परफॉर्मेंस से प्रभावित किया है. नुसरत भरुचा भी छाप छोड़ती है. सौरभ शुक्ला, सतीश कौशिक,इला अरुण अपनी मौजूदगी से इस फ़िल्म में एक अलग ही रंग भरते हैं. मोंटू की मां के तौर बलजिंदर कौर भी ध्यान खींचने में कामयाब होती हैं.

फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. गीत संगीत के मामले में फ़िल्म औसत रह गयी है. फ़िल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं. कुल मिलाकर कुछ कमियों के बावजूद यह फ़िल्म मनोरजंन करने में कामयाब होती है.

Posted By: Shaurya Punj

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें