आज बुधवार 10 नवंबर की शाम छठ गीत गाते हुए घर से निकली व्रती महिलाओं ने तालाब और केलो नदी में खड़े होकर डूबते (अस्ताचलगामी) सूर्य को अर्घ्य दिया. सूरज ढलने से एक घंटा पहले ही व्रतियों के परिजन अपने-अपने घरों से पूजा सामग्री को सिर पर रखकर निकले. केलो नदी के छठ घाटों पर शाम तक सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा के लिए जमा हो गई.
घर में भी छठव्रतियों ने दिया भगवान सूर्य को अर्घ्य
छोटे कुंड में भरे पानी में खड़े होकर छठव्रतियों ने जलावर्तन किया. इस अवसर पर कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया गया. कोरोना के कहर के कारण लोग अपने-अपने घरों में ही महापर्व के सभी रीत निभा रहे हैं. वैसे पंडित व पुरोहितों ने श्रद्धालुओं से अपने-अपने घर के आंगन और छत पर ही छठ का अर्घ्य देने की अपील की है.
गुरुवार को व्रतधारी सुबह उदीयमान सूर्य को देंगे अर्घ्य
छठ पर्व के चार दिवसीय इस अनुष्ठान के अंतिम दिन गुरुवार को व्रतधारी सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे और इसी के साथ छठ पूजा का समापन हो जाएगा. छठ के मौके पर बिहार, झारखंड, यूपी और दिल्ली के इलाके के लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है.
सूर्य को अर्घ्य देने का समय-
छठ पर्व में उगते और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. ये है सूर्योदय और सूर्यास्त का समय.
09 नवंबर सूर्यास्त- 17:29:59 छठ पर्व प्रथम अर्घ्य
10 नवंबर सूर्योदय- 06:40:29 छठ पर्व मुख्य अर्घ्य
10 नवंबर सूर्यास्त- 17:29:25 छठ पर्व संध्या अर्घ्य
11 नवंबर सूर्योदय- 06:41:15 छठ पर्व समापन अर्घ्य
सूर्य देव की पूजा
आराधना का यह त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल षष्ठी को और दूसरा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को जिसको मुख्य रूप से छठ पूजा के नाम से ही जाना जाता है. कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाए जाने वाली छठ को देश भर में ज्यादा जाना जाता है.
छठ का यह त्यौहार कुल 4 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है. छठ पर्व को कई जगह पर डाला छठ, छठी मैया, छठ, छठ पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा इत्यादि अलग-अलग नामों से जाना जाता है.