Varanasi News: लोक आस्था और निष्ठा के महापर्व छठ की शुरुआत हर तरफ हो चुकी है. नहाय खाय से प्रारंभ होने वाला यह चार दिवसीय पर्व दीपवाली के बाद ही शुरू हो जाता है. काशी नगरी में छठ पर्व का उल्लास अलग ही देखने को मिलता है. यही कारण है कि यह घाटों का शहर बना हुआ है.
दरअसल, छठ पर्व में सूर्य भगवान की उपासना जल के मध्य खड़े होकर की जाती है. इस नाते घाटों के शहर वाराणसी में इसकी धूम यहां के सभी चौरासी घाटों तक देखने को मिलती हैं. यहां जब अस्सी घाट का नजारा देखा तो, वहां छठ पूजा की वेदी चारो तरफ घाटों पर देखने को मिली. सभी छठ व्रतियों ने अपनी-अपनी पूजा वेदी तैयार कर रखी थी. गंगा की मिट्टी से बनी वेदी पर किसी ने श्रीराम का नाम, तो कहीं मोहल्ला का नाम, तो कहीं शिवसेना तक की धौंस लिखकर दी गई थी. मतलब कि साफ-साफ शब्दों से खबरदार किया गया था, कि यह वेदी हमारी है, और इस जगह पर कोई और अपना कब्जा न करेे.
आस्था के इस पर्व पर आस्था के लिए ही लोगों की दबंगई का नजराना सिर्फ काशी नगरी में ही देखने को मिलता है. हो भी क्यों न, क्योंकि इस बार प्रशासनिक रिपोर्ट बता रही है कि वाराणसी समेत पूर्वांचल भर में इस बार करीब 21 लाख से अधिक लोग छठ पूजा करेंगे. साल दर साल छठ पूजा करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है.
ऐसे में घाटों पर जगह अपने नाम करने को लेकर यहां यही तरीका काम आ रहा है. बनारसियों के, अस्सी घाट पर बनी इन पूजा की वेदियों पर महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देंगी. विशिष्ट प्रकार के फलों को चढ़ाकर पुत्र की प्राप्ति और सुहाग की सुरक्षा के लिए सूर्य देव से प्रार्थना करेंगी. इस दौरान कई अलग-अलग तरह की वेदियां दिखाई दीं. इनमें से सबसे खास अस्सी घाट की एक वेदी थी जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में शिवसेना लिखा गया था.
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वहीं, किसी पर भारत सरकार, तो किसी पर हाईकोर्ट और पुलिस लिखकर छोड़ दिया गया था. उनका स्थान कोई कब्जा न कर सके. इसलिए नाम अंकित किए गए थे. कुछ ने तो वेदी को चारों ओर से घेर कर प्लास्टिक से बने कमल का फूल तो, वहीं अपने पूरे खानदान का नाम लिख दिया था. लोगों का वेदी पर नाम लिखना छठ पर्व पर उनकी अटूट आस्था को दर्शाता है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह