भारत के कई हिस्सों में छठ पर्व का बहुत अधिक महत्व है. पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में ,छठ का महापर्व बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है. छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. यह पर्व 4 दिनों तक मनाया जाता है. महिलाएं छठ के दौरान लगभग 36 घंटे का व्रत हैं.
मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में भी छठ पूजा का एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है. छठ का यह व्रत संतान-प्राप्ति एवं उनके सुखी एवं स्वस्थ जीवन के लिए किया जाता है. यह त्यौहार मुख्यतः छठ के दौरान छठी मईया , सूर्यदेव ,तथा वरुण देव की पूजन की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मईया सूर्य देव की मानी हुई है़ व्रत के दो दिन पहले से पूजन की सूरूआत हो जाती है.
कथा:-
एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी. इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ. प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे. उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं. राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो. राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी.
नहाय- खाय:-पहला दिन की त्यौहार है.
8 नवंबर 2021 दिन सोमवार:- इस दिन नहाय- खाय किया जाएगा.
पहला दिन: इस दिन सुबह में नहाय खाय के साथ छठ पूजा प्रारंभ होगी. व्रती सुबह नित्य क्रिया से होकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है.कुछ दान करते है़ व्रती नहाय खाय के दिन खाने मे चना के दाल, कद्दू की सब्जी और चावल ,खाने में प्रसाद के रूप मे़ ग्रहण किया जाता है. अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है.
दूसरा दिन:- खरना
खरना दूसरे दिन की व्रत है जो 9/11/2021 दिन मंगलवार रहेगा. इस दिन खरना होता है. कहीं-कहीं इसे लोहंडा के नाम से भी पुकारा जाता है. इस दिन व्रत रखते हैं इस दिन महिलाएं पूरा दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर खीर का प्रसाद बनाती हैं. ये खीर गुड़ की होती है. शाम को पूजा करने के बाद इस गुड़ की खीर को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है और ग्रहण भी किया जाता है. रात में खीर खाकर पुनः 36 घंटे का कठिन निर्जल व्रत शुरू किया जाता है. इस दिन व्रती को बड़ी साफ-सफाई के साथ खुद ही प्रसाद बनाना होता है.
तीसरा दिन: (10 नवंबर 2021) बुधवार
इस दिन छठ मैया और सूर्य देव वरुण देव की पूजा-अर्चना होती है. छठ का यह सबसे महत्वपूर्ण एवं कठिन व्रत होता है, क्योंकि इस दिन व्रती को निर्जल व्रत रखना होता है. शाम में नदी या तालाब के किनारे ऋतु फल तथा शुद्ध घी से बना हुआ पकवान से डूबते हुए सूर्य का पूजन किया जाता है.
चौथा दिन (11 नवंबर 2021)गुरुवार
इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.