Chhath Puja 2024, Kharna Prasad Recipe: छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. छठ पूजा संतान प्राप्ति या संतान के सुखमय जीवन के लिए किया जाता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार की छठ पूजा पर शुभ योग का संयोग बन रहा है. क्योंकि रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है और पहला अर्घ्य रविवार को ही पड़ रहा है जो बेहद शुभ है.
छठ पर्व (Chhath Parva) के दूसरे दिन छठ व्रती खरना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं. खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण. इस पूजा का उद्देश्य अर्घ्य के लिए शुरू होने वाले कठिन व्रत से पहले तन और मन को शुद्ध रखना होता है. खरना (Kharna) में गुड़ और चावल की खीर बनाकर भोग लगाया जाता है.व्रती गुड़ और खीर का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे निर्जला उपवास रखती हैं. इस प्रसाद को बनाने में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. खरना के दिन गुड़ से बने खीर का अलग ही महत्व है. प्रसाद बनाने के बाद भगवन सूर्य की पूजा की जाती है, और सबसे पहले प्रसाद उन्हें अर्पित किया जाता है. इसके बाद व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं. व्रती महिलाओं के ग्रहण करने के बाद प्रसाद लोगों में बांटा जाता है. इसके बाद शुरु होता है 36 घंटे का निर्जल व्रत. अगले दिन व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देती हैं. खरना की खीर बनाने के दौरान गुड़ डालते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि आपकी गुड़ वाली खीर न फटे और स्वादिष्ट बनें…
खीर बनाने की सामग्री
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चावल-आधा कप (व्रत वाले)
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गुड़-150 ग्राम
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दूध-2 लीटर
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बादाम-2 चम्मच (बारीक कटा हुआ)
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काजू-2 चम्मच (बारीक कटा हुआ)
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किशमिश-2 चम्मच (बारीक कटा हुआ)
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इलायची पाउडर-1 चम्मच
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खीर बनाने की विधि
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गुड़ वाली खीर बनाने के लिए सबसे पहले गुड़ को बारीक तोड़ लें. इसके बाद मेवे को बारीक काट लें.
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इसके बाद खीर वाले सोनाचूर चावल या नया चावल धोकर 2 घंटा भिगोकर रख दें.
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अब गैस पर बड़ा बर्तन रख दें और उसमें दूध डालें.
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इसके बाद जब दूध में उबाल आ जाएं तो इसमें चावल डाल दें.
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फिर गैस का आंच कम करके इसे चलाते रहें.
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फिर थोड़ी देर बाद 2 चम्मच पानी और गुड़ डालकर इसे गर्म होने दें.
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जब गुड़ खीर में मिल जाएं तो गैस बंद कर दें.
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ऊपर से मेवा डालकर इसे मिक्स कर दें.
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आखिर में गुड़ को छलनी से छानकर इसे खीर में मिला दें.
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आपकी गुड़ की खीर तैयार है.
पंचांग के अनुसार छठ पूजा पर सूर्योदय सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 06 बजे होगा. वहीं षष्ठी तिथि 18 नवंबर 2023 को सुबह 09 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 19 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी. षष्ठी को सूर्य की बहन भी माना गया है, जिसे मातास्वरूपा मान कर संतान-प्राप्ति के लिए असीम श्रद्धा और विश्वास के साथ यह पर्व मनाया जाता है. आगे ‘षष्ठी’ से छठी और ‘छठी’ से छठ शब्द बना और अब यह ‘छठ-पर्व’ के नाम से ही जाना जाता है.छठ पर्व को लोक-पर्व भी कहा जाता है. लोक-गीत, लोक-धुन, लोक-आस्था और लोक-विश्वास के साथ मनाया जाने वाला यह पर्व बहुत खास है. छठ पर्व पर दूर-दराज में बसे लोग भी घर आने का हर संभव प्रयास करते हैं और जो नहीं जा पाते वे भी किसी विधि इसका प्रसाद प्राप्त हो जाए इसके लिए प्रयास करते हैं. छठ पूजा का मुख्य प्रसाद केला और नारियल होता है. इस पर्व का महाप्रसाद ठेकुवा को कहा जाता है. यह ठेकुवा आटा, गुड़ और शुद्ध घी से बनाया जाता है, जो कि काफी प्रसिद्ध है.
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