पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रस्तावित ‘पश्चिम बंग दिवस’ पर चर्चा के लिए 29 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलायी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री ‘पश्चिम बंग दिवस’ के संबंध में कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ चर्चा कर उनका रुख जानना चाहती हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री प्रस्तावित पश्चिम बंग दिवस पर 29 अगस्त को एक सर्वदलीय बैठक करेंगी. यह बैठक राज्य सचिवालय में होगी. वह पोइला बैशाख पर राज्य दिवस आयोजित करने के संबंध में अन्य दलों के नेताओं का रुख जानना चाहती हैं.
इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य विधानसभा द्वारा गठित एक समिति ने ”पोइला बैशाख” (बंगाली कैलेंडर का पहला दिन) को सर्वसम्मति से ”पश्चिम बंग दिवस” के रूप में मनाने के लिए चुना है. समिति में विधानसभा के उपाध्यक्ष आशीष बनर्जी, संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय, शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु, शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम और अन्य शामिल हैं. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुगत बोस समिति के सलाहकार हैं. समिति का प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास भेजा गया है. समिति ने एक ‘राज्य गीत’ का भी प्रस्ताव किया है. सूत्रों ने बताया कि इसके लिए रवींद्रनाथ टैगोर का ‘बांग्लार माटी बांग्लार जल’ सूची में शीर्ष पर है.
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राज्य सरकार 20 जून को राज्य दिवस के रूप में मनाये जाने के खिलाफ है और राजभवन में इस दिवस को मनाने को लेकर राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस का विरोध किया था. मुख्यमंत्री ने 19 जून को बोस को पत्र लिखकर 20 जून को राज्य का स्थापना दिवस मनाने के उनके ‘एकतरफा’ फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया था और राज्य के करोड़ों लोगों की भावना को ठेस पहुंचने का जिक्र करते हुए उनसे ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं करने का अनुरोध किया था.
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मुख्यमंत्री ने कहा था कि विभाजन का दर्द और आघात ऐसा था कि राज्य के लोगों ने भारत की आजादी के बाद से कभी भी किसी भी दिन को स्थापना दिवस के रूप में नहीं मनाया है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि पश्चिम बंगाल की स्थापना किसी विशेष दिन पर नहीं हुई थी, खासकर 20 जून को बिल्कुल नहीं, बल्कि इसका गठन रेडक्लिफ के फैसले (भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय सीमांकन करनेवाले अधिकारी सिरिल रेडक्लिफ) के माध्यम से हुआ था. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की आपत्तियों के बावजूद राजभवन में राज्य का ‘स्थापना दिवस’ कार्यक्रम आयोजित करते हुए कहा था कि राज्य सरकार की चिंता को ‘पूरी गंभीरता से लिया जायेगा.’
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