धनबाद, सत्येंद्र सिंह : कोयला कर्मियों के लिए 19 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) पर बनी सहमति में डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज (डीपीइ) की गाइडलाइन रोड़ा बन गयी है. 11वें वेतन समझौता के तहत बीते तीन जनवरी को कोलकाता में संपन्न जेबीसीसीआइ की आठवीं बैठक में एमजीबी पर सहमति बनी थी. ढाई महीने होने को हैं, समझौत पर अभी तक कोयला मंत्रालय की मुहर नहीं लगी है. इस बीच, डीपीइ के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कोयला मंत्रालय ने बीते 13 मार्च को कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल को एक पत्र लिखा, जिसमें 19 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) पर बनी सहमति पर कई तरह के सवाल उठाये हैं.
मंत्रालय के सेक्शन ऑफिसर सेवक पॉल के हस्ताक्षर से जारी पत्र में चेयरमैन सह मैनेजिंग डायरेक्टर को लिखे पत्र में इस पर जवाब-तलब किया गया है. बताते चलें कि कोल इंडिया ने 19 प्रतिशत एमजीबी पर यूनियनों से तीन जनवरी को हुई सहमति की स्वीकृति के लिए नौ जनवरी और 31 जनवरी को कोयला मंत्रालय को पत्र लिखा था. यूनियनों के साथ बैठक में सहमति बनने के बाद से ही यह कहा जा रहा है कि डीपीइ के दिशा-निर्देशों में बिना छूट मिले वेतन समझौते पर स्वीकृति संभव नहीं है. अब कहा जा रहा है कि मामले में कैबिनेट अथवा प्रधानमंत्री कार्यालय हस्तक्षेप करे, तो बात बन सकती है.
कोयला मंत्रालय के सेक्शन ऑफिसर ने अपने पत्र में कोल इंडिया चेयरमैन को लिखा है कि उनके प्रस्ताव में कर्मचारियों के ए-वन की तुलना अधिकारियों के इ-3 से की गयी है. यह स्पष्ट करें कि क्या इ-वन और इ-2 का वेतन गैर संघीय पर्यवेक्षकों का है. यदि हां, तो डीपीइ के 24 नवंबर 2017 को जारी दिशा-निर्देश के अनुसार कर्मचारियों का वेतन गैर संघीय पर्यवेक्षकों से अधिक नहीं होना चाहिए. कोल इंडिया को इसे स्पष्ट करना चाहिए. पत्र में कहा गया है कि डीपीइ के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कार्यकारी और गैर कार्यकारी वेतनमान की तुलना में कोल इंडिया केवल मूल वेतन और डीए को ध्यान में रख सकता है. मंत्रालय ने कर्मियों के ग्रेड ए-वन और अधिकारी इ-वन का तुलनात्मक विवरण मांगा है. इसमें कर्मियों के 10वें वेतन समझौता 1.7.2016, 11वें वेज बोर्ड 1.7.2021 और 12वां वेज बोर्ड, जो 1.7.2026 से लागू होगा तथा अधिकारियों का 1.1.2017 में लागू हुआ, के बारे में जानकारी देनी है. यह वास्तविक गणना पर आधारित होगा.
31 जनवरी को कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक विनय रंजन ने कोयला मंत्रालय को एक पत्र लिख कहा था कि 19 प्रतिशत एमजीबी देने से ग्रेड ए वन कर्मी का वेतन 83309 होगा, जबकि इ-3 अधिकारी का वेतन 95820 होगा. इसी के विरोध में कोल माइंस आफिसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमओएआइ) ने बीते दो मार्च को कोयला सचिव को पत्र लिख निदेशक कार्मिक के पत्र को गलत बताया था. पत्र में कई तरह के सवाल उठाते हुए पूछा गया था कि क्या इ-1, इ-2 अधिकारी नहीं हैं? और इ-3 का वेतन भी ए-1 कर्मी से कम होगा? पत्र में ए-1 कर्मी एवं इ-1 अधिकारी का तुलनात्मक विवरण देते हुए लिखा था कि इ-3 का वेतन 95820 एवं ए-1 कर्मी का वेतन 122061 होगा. सीएमओएआइ का कहना था कि कोल इंडिया ने डीपीइ द्वारा 24 नवंबर 2017 को जारी दिशा-निर्देश का उल्लंघन किया है.
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