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CPRMS का लाभ मिलने में कोलकर्मियों को हो रही परेशानी, जानें क्या है इसकी बड़ी वजह

रिटायर कोलकर्मियों के मुताबिक स्मार्ट हेल्थ कार्ड, कंपनी के इम्पैनल हॉस्पिटल में कैशलेस चिकित्सा की सुविधा की मांग लंबित है. कैशलेस सुविधा न होने के कारण कई अस्पतालों में इलाज के लिए नकद भुगतान करना पड़ता

रिटायर कोल कर्मियों की चिकित्सा सेवा के लिए लागू कंट्रीब्यूटरी पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकल स्कीम (सीपीआरएमएस-एनइ) का लाभ मिलने में कोलकर्मियों को परेशानी हो रही है. इसका मुख्य कारण कोल कंपनियां सीपीआरएमएस-एनइ का जमा नहीं कर रहीं हैं. बोर्ड ऑफ ट्रस्ट (बीओटी) की अंतिम बैठक 24 फरवरी 2022 को रांची में हुई. जबकि बैठक में हर तीन महीने में मीटिंग करने व शिकायतों का त्वरित निष्पादन करने का निर्णय लिया गया था.

बावजूद इसके बैठक नहीं हुई. रिटायर कोलकर्मियों के मुताबिक स्मार्ट हेल्थ कार्ड, कंपनी के इम्पैनल हॉस्पिटल में कैशलेस चिकित्सा की सुविधा की मांग लंबित है. कैशलेस सुविधा न होने के कारण कई अस्पतालों में इलाज के लिए नकद भुगतान करना पड़ता. इलाज के बाद बिल रिम्बर्समेंट में परेशानी हो रही है. सबसे बड़ी समस्या है ऑनलाइन लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने की सुविधा नहीं है. लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने के लिए कागजी कार्रवाई करनी होती है. यदि तय समय पर बीओजी की बैठक हो तो काफी समस्याओं का समाधान हो सकता है.

कंपनियों पर 1652 .94 करोड़ बकाया

अधिकारिक आकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर 2021 तक 3059.15 करोड़ रुपये कंपनियों के पास जमा हुए, लेकिन कंपनियों ने 31 मार्च 2023 तक 1406.21 करोड़ ही जमा किये. कोल इंडिया की अनुषंगी इकाइयों के पास 1652 .94 करोड़ बकाया है. सदस्यों के अंशदान स्कीम के खाते में जमा नहीं होने से स्कीम का लंबे समय तक चल पाना कठिन है. स्कीम का 1292.06 करोड़ रुपया एलआइसी में निवेश किया गया है.

क्या है सीपीआरएमएस-एनइ

कोल कर्मियों के वेतन से स्कीम के मद में 40000 रुपये काटे गये. प्रबंधन को इसमें प्रति कर्मी 18000 देना है. यानि प्रति कर्मी 58000 कोल इंडिया क सभी अनुषंगी इकाइयों को जमा करना है. इस पैसे रिटायर कोलकर्मियों को आजीवन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है. स्कीम के मद में पैसा जमा करने के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है.

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