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धनबाद : दिन के उजाले में भी धड़ल्ले से हो रही कोयले की चोरी, पुलिस व अधिकारी मौन

बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया स्थित न्यू गोधर कुसुंडा आउटसोर्सिंग परियोजना (पैच-सी) से रात तो रात, दिन के उजाले में भी खुलेआम कोयले की चोरी हो रही है. यहां ‘बाइर्क्स गैंग’ कोयला तस्करी के अगुवा बने हुए है. कुछ तो आउटसोर्सिंग कंपनी की मशीनों से कट रहे कोयले में से उठा लेते हैं.

धनबाद, मनोहर कुमार : धनबाद जिले में अवैध खनन व कोयला चोरी पर अंकुश लगाने को जारी चिंतन व मंथन कागजों तक ही सिमट कर रह जा रहा है. हकीकत में अंकुश लगाने से संबंधित अधिकारियों के दिशा-निर्देश व विशेष अभियान हाथी के दांत साबित हो रहे हैं. दिखावे के लिए कुछ स्थानों पर छापेमारी व कोयला जब्ती की कार्रवाई जरूर होती है, कुछ गाड़ियां भी पकड़ी जाती हैं, परंतु अंत में स्थिति ढाक के तीन पात जैसी हो जाती है. यही कारण है कि जिले में सक्रिय कोयला तस्करों के सिंडिकेट पर कार्रवाई का कोई खास असर नहीं दिखता. आलम यह है कि जिले के झरिया, निरसा व बाघमारा कोयलांचल में एक बार फिर पूरे हनक के साथ कोयले की तस्करी शुरू हो गयी है. प्रभात खबर की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये. पढ़ें केंदुआडीह थाना क्षेत्र स्थित बीसीसीएल के न्यू गोधर कुसुंडा आउटसोर्सिंग पैच से कोयला चोरी की यह कहानी.

बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया स्थित न्यू गोधर कुसुंडा आउटसोर्सिंग परियोजना (पैच-सी) से रात तो रात, दिन के उजाले में भी खुलेआम कोयले की चोरी हो रही है. यहां ‘बाइर्क्स गैंग’ कोयला तस्करी के अगुवा बने हुए है. इनकी टीम का हिस्सा मजदूर हैं, जो माइंस में लगातार कोयला काटते और बोरियों में भरते रहते हैं. कुछ तो आउटसोर्सिंग कंपनी की मशीनों से कट रहे कोयले में से उठा लेते हैं. चोरी के इस कोयले को बोरियों में भर कर वो जमा करते हैं और सैकड़ों की संख्या में बाइक सवार खदान के अंदर से उन बोरियो में भरे कोयले को बाइक पर लाद कर तस्करों के वैध-अवैध डीपो तक पहुंचाते हैं. इस कार्य में यहां तीन सिंडिकेट सक्रिय है. सूचना के अनुसार यहां काली बस्ती, गंसाडीह व अलकुशा का सिंडिकेट सक्रिय है. इनमें पी मंडल, आर चौहान, गोलू, एस अंसारी, एस खान, डी वर्मा, एस रंजन व डीके कोयला तस्करों के सिंडिकेट के मुखिया बने हुए हैं. इनमे एक पूर्व पार्षद व धनसार के एक रसूखदार की सहभागिता की भी काफी चर्चा है. उनके इशारे पर ही यह खेल चल रहा है. खुलेआम चल रहे इस धंधे में पुलिस, सीआइएसएफ व अधिकारियों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता.

तस्कर, कारोबारी व सफेदपोश मालामाल, तो मजदूर हो रहे बीमार

शनिवार को जब मौके पर प्रभात खबर की टीम पहुंची, तो देखा कि आउटसोर्सिंग कंपनी की विशालकाय मशीनों से कट रहे कोयले की धूल के बीच कोयला चुराने और उन्हें बोरियों में भरने में सैकड़ों लोग लगे हुए. पूछने पर बताया कि यह धंधा नहीं करेंगे तो वो क्या करेंगे. एक बोरी कोयले की कीमत केवल 160 रुपये मिलने पर कहा कि यही पैसा कई लोगों में बंटता है. बीमारी के संबंध में बताया कि कुछ दिन काम करने के बाद उनमें से कई बीमार पड़ जाते हैं. कुछ का कहना था कि उनकी मेहनत है, पर कमाई दूसरे कर रहे हैं.

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एक बोरी कोयला चुराने और डिपो तक पहुंचाने के मिलते हैं 160 रुपये

जानकारों के अनुसार भले ही कोयला चोरी में लगे तस्कर व अन्य लोग मालामाल हो रहे हैं, पर इस कार्य में लगे मजदूरों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. यहां पर चोरी में लगे और डिपो तक पहुंचाने वाले मजदूरों के हिस्से प्रति बोरी केवल 160 रुपये आते हैं. नाम नहीं लिखने की शर्त पर बाइकर्स गैंग के सदस्यों ने बताया कि पहले एक बोरा पर 200-250 रुपये मिलते थे, परंतु बरसात व कोयले के डिमांड में कमी बता सिंडिकेट के लोगों ने राशि घटा कर 160 रुपये कर दी है.

काली बस्ती व गंसाडीह में है अवैध डिपो

केंदुआडीह थाना क्षेत्र में स्थित इस माइंस में सुबह से रात तक कोयला चोरी का धंधा जारी रहता है. इस धंधे में लगे सैकड़ों मजदूरों व बाइक सवारों के कारण कभी-कभी परियोजना से संबंधित गाड़ियों व मशीनों को भी रुकना पड़ता है. जानकारों के अनुसार चोरी का कोयला काली बस्ती, तो कुछ बैंक मोड़-पुटकी मुख्य मार्ग पर स्थित लहरा मंदिर के ठीक पीछे गंसाडीह में बने अवैध डिपो में जमा किया जाता है, फिर यहां से पोड़ा या फिर कच्चा कोयला रात के अंधेरे में बिहार-यूपी समेत जीटी रोड के वैध व अवैध भट्ठों तक पहुंचाया जा रहा है. सूचना के मुताबिक यहां से हर दिन दर्जनों ट्रक कोयले की तस्करी हो रही है.

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