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Common Man Issues: झरिया समेत आसपास की 8 लाख की आबादी इनदिनों रह जा रही प्यासी, जानें कारण

धनबाद के झरिया समेत आसपास की आठ लाख की आबादी प्यासी रह जा रही है. जमाडा के मुताबिक, पाइल पाइन काफी पुरानी है. अगर प्रेशर से पानी छोड़ा जाता है तो पाइप फट जाती है. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि जल संयंत्र केंद्र से होने वाली जलापूर्ति व्यवस्था चौपट है. पानी संकट से हर दिन जूझना पड़ता है.

Jharkhand News: झारखंड खनिज विकास प्राधिकार (Jharkhand Mineral Development Authority- JMDA) का धनबाद स्थित जामाडोबा में जल संयंत्र है. झरिया, जामाडोबा, कुसुंडा, पुटकी और करकेंद की लगभग आठ लाख आबादी को प्यास यह बुझाता है. 16,063 घरों में पानी कनेक्शन है. इसके अलावा दर्जनों स्टैंड पोस्ट हैं. जामाडोबा ट्रीटमेंट प्लांट के 12 एमजीडी फिल्टर प्लांट का मोटर लगभग 66 साल पुराना है. 480 एचपी के तीन पंप एवं 240 एचपी के दो पंप हैं. इंटेकवेल और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में 22 मोटर है. मोटर काफी पुराना होने के कारण हर दूसरे और तीसरे दिन एक या दो मोटर खराब होता रहता है. इसके मेंटेनेंस पर सालाना लगभग चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं. मोटर और पाइप लाइन पुराने हो जाने के कारण अगर पानी का प्रेशर अधिक दिया जाता है, तो पंप खराब होने के साथ जलापूर्ति की पाइप लाइन फट जाती है. इससे झरिया सहित कोयलांचल में आये दिन जलापूर्ति प्रभावित रहती है. कभी बिजली संकट, तो कभी मोटर खराब होने के कारण झरिया के लोगों को पानी नहीं मिल पाता है. पाइप लाइन और मोटर बदलने की योजना बनी है, लेकिन काम की स्थिति काफी निराशाजनक है.

310 करोड़ की योजना समय पर नहीं हुई पूरी

310 करोड़ की जलापूर्ति योजना झरिया के लोगों को पानी संकट से निजात दिलायेगी. जेएमसी कंपनी इस पर काम कर रही है. चार साल में मात्र 40 फीसदी ही काम हुआ है. 400 किलोमीटर की जगह मात्र 170 किलोमीटर तक ही राइजिंग पाइपलाइन बिछायी गयी. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का सिविल वर्क का काम पूरा हुआ है. पुटकी, करकेंद भूलनबलारी में संप का सिविल वर्क का काम पूरा हो गया है. काम की जो रफ्तार है, उससे योजना को धरातल पर उतारने में कम से दो से तीन साल और लगेगा, जबकि इसे पूरा करने की डेट लाइन 2021 तक थी.

जानें क्या कहते हैं झरियावासी

स्थानीय विजय श्रीवास्तव का कहना है कि जल संयंत्र केंद्र से होने वाली जलापूर्ति व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी है. पानी संकट से हर दिन जूझना पड़ता है. कब पानी की सप्लाई होगी, इसका कोई समय नहीं है. वहीं, चंद्रशेखर गुप्ता कहते हैं कि झरिया जमाडा की जलापूर्ति राम भरोसे है. घरेलू कामकाज के लिए पानी खरीदना पड़ता है. यहां के जनप्रतिनिधि भी सोये हुए हैं. जलापूर्ति पर सिर्फ राजनीति होती है.

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अब तो ठंड में भी जलसंकट

मो ताजुउद्दीन कहते हैं कि गर्मी तो दूर, ठंड में भी जलसंकट है. बच्चों को स्कूल भेजने के लिए समय पर तैयार करने में दिक्कतें आ रही हैं. जमाडा की जलापूर्ति व्यवस्था से परेशान हैं. वहीं स्थानीय दीपक साव बताते हैं कि पहले पानी की समस्या कम थी. एक साल से काफी बढ़ गयी है. हर दिन किसी न किसी समस्या से जलापूर्ति बाधित रहती है. जमाडा के साथ जनप्रतिनिधि का भी विरोध होगा.

जमाडा में योग्य कर्मियों की कमी है : पंकज झा

इस संबंध में जमाडा के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पंकज झा कहते हैं कि 24 घंटे बिजली और कुशल श्रमिक के साथ मोटर नया लगता है, तो झरिया की जलापूर्ति की समस्या खत्म हो जायेगी. जमाडा में योग्य कर्मियों की कमी है. पाइल पाइन काफी पुरानी है. अगर प्रेशर से पानी छोड़ा जाता है तो पाइप फट जाती है. बिजली की समस्या को खत्म करने के लिए अलग से फीडर के लिए बिजली जीएम को लिखा गया है.

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