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Lockdown : निजी डॉक्टरों ने गर्भवती को देखने से किया इनकार, वैद्य के इलाज से हुआ गर्भपात

गोपालगंज : लॉकडाउन में कोरोना वायरस के संक्रमण के खौफ के कारण बिहार के गोपालगंज शहर में अधिकांश महिला एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों ने अपना नर्सिंग बंद कर रखा है. जिससे उनके मरीजों को मुश्किलों का सामना कर पड़ रहा है. निजी डॉक्टरों के नर्सिंग होम बंद होने की कीमत कई मरीजों को जान देकर चुकानी पड़ रही है.

गोपालगंज : लॉकडाउन में कोरोना वायरस के संक्रमण के खौफ के कारण बिहार के गोपालगंज शहर में अधिकांश महिला एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों ने अपना नर्सिंग बंद कर रखा है. जिससे उनके मरीजों को मुश्किलों का सामना कर पड़ रहा है. निजी डॉक्टरों के नर्सिंग होम बंद होने की कीमत कई मरीजों को जान देकर चुकानी पड़ रही है.

नगर थाने के हजियापुर के रहनेवाले रितेश दूबे की गर्भवती पत्नी प्रीति देवी के साथ ऐसा ही घटना हुई. मंगलवार को कोरोना के कारण निजी नर्सिंग होम बंद होने के कारण महिला की गर्भपात हो गया. बाद में सदर अस्पताल में लाने के बाद महिला की जान बचायी गयी. हालांकि, गर्भ में पल रहे बच्चे को नहीं बचाया जा सका.

वैद्य की दवा से मरीज को आराम मिलने के बजाय बढ़ गयी परेशानी

डॉक्टरों के नहीं मिलने पर पीड़ित परिजन महिला को लेकर शहर के बंजारी स्थित जनहित चिकित्सालय के नाम से संचालित वैद्य बद्रीनाथ पांडेय के यहां पहुंचे. यहां वैद्य ने मरीज को देखने के बाद दवा दी. वैद्य की दवा से मरीज को आराम मिलने के बजाय दर्द और तेज हो गया. परिजन वैद्य के पास दुबारा पहुंचे, तो वैद्य ने सदर अस्पताल में जाने की सलाह देकर भेज दिया.

आनन-फानन में महिला को लाया गया सदर अस्पताल

मंगलवार की सुबह आठ बजे आनन-फानन में महिला को सदर अस्पताल में लाया गया, जहां डॉक्टरों ने तीन घंटे तक इलाज करने के बाद गर्भपात होने की जानकारी दी. डॉक्टरों के मुताबिक, समय पर इलाज नहीं होने के कारण बच्चा नुकसान हो गया.

वैद्य ने महिला का पहले भी किया था इलाज

परिजनों के मुताबिक वैद्य ने उस महिला का पहले भी इलाज किया था. परिजनों ने इस मामले में शिकायत भी, लेकिन वैद्य ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया. वहीं इस संबंध में वैद्य से पूछे जाने पर कहा कि मेरे ही दवा से महिला गर्भवती हुई. काफी दिनों से दवा चल रहा था. अल्ट्रासाउंड कराया गया, तो बच्चा नुकसान होने की जानकारी मिली. जिसके बाद रेफर किया गया.

सदर अस्पताल में ड्यूटी में तैनात महिला चिकित्सक नहीं थी

सदर अस्पताल में महिला को लेकर परिजन जब पहुंचे, तो ड्यूटी में तैनात महिला चिकित्सक नहीं थी. पीड़ित परिजनों ने इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधक, उपाधीक्षक और सिविल सर्जन को दी. करीब चार घंटे बाद चिकित्सक पहुंचे, तब तक महिला दर्द से कराहती रही. हालांकि, डॉक्टर के पहुंचने पर इलाज हुआ और महिला की जान बची.

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