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Gyanvapi में ASI सर्वे की मीडिया कवरेज पर रोक, उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई, कोर्ट ने अफसरों को दी ये हिदायत

कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे न्यायालय के आदेश पर चल रहा है. उसकी प्रकृति संवेदनशील है. सर्वे के बारे में ASI, वादीगण के अधिवक्ता अथवा प्रतिवादीगण के अधिवक्ता को कोई टिप्पणी करने और कोई सूचना देने का अधिकार नहीं है.

Gyanvapi ASI Survey: उत्तर प्रदेश में वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे की मीडिया कवेरज पर कोर्ट ने पूरी तरह रोक लगा दी है. मीडिया ट्रायल को लेकर मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने गुरुवार को आदेश दिया कि सर्वे से संबंधित कोई भी जानकारी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया पर प्रकाशित या प्रसारित नहीं होगी.

ASI सर्वे को लेकर हुई बयानबाजी पर भी कोर्ट खफा नजर आया. अदालत ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष के साथ ही डीजीसी और अन्य अधिकारी को आदेश दिया कि सर्वे से संबंधित कोई भी बयान या जानकारी कोर्ट के अलावा किसी को नहीं देंगे. इसके साथ ही मीडिया को भी हिदायत दी के बगैर औपचारिक सूचना के सर्वे के संबंध में कोई समाचार प्रकाशित या प्रसारित किया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

कमेटी ने दाखिल किया है आवेदन

कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे न्यायालय के आदेश पर चल रहा है. उसकी प्रकृति संवेदनशील है. सर्वे के बारे में ASI, वादीगण के अधिवक्ता अथवा प्रतिवादीगण के अधिवक्ता को कोई टिप्पणी करने और कोई सूचना देने का अधिकार नहीं है. ASI के अधिकारी भी सर्वे की रिपोर्ट केवल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हैं. अदालत ने कहा कि सर्वे के संबंध में कोई सूचना प्रिंट, मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिया जाना ना तो औचित्य पूर्ण है ना ही विधि सम्मत है.

कोर्ट ने सर्वे में लगे ASI के अधिकारियों को आदेश दिया कि किसी भी प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को कोई जानकारी नहीं देंगे. अदालत में कहा कि ना ही सर्वे के संबंध में कोई जानकारी किसी अन्य व्यक्ति से साझा करेंगे. कोर्ट ने कहा कि वह अपनी आख्या केवल न्यायालय में प्रस्तुत करेंगे.

अनावश्यक बयानबाजी से दूर रहें दोनों पक्ष

कोर्ट ने दोनों पक्षों को अनावश्यक बयानबाजी से बचने को कहा है. इसके साथ ही सर्वे में क्या मिला और क्या दिखा, इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी भ्रम की स्थिति नहीं फैलाई जाए.

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कमेटी ने समाज में विद्वेष फैलने की दी दलील

इससे पहले कमेटी की ओर से कहा गया कि सर्वे को लेकर तथ्यों के विपरीत रिपोर्टिंग की जा रही है. इससे समाज में विद्वेष फैल रहा है. जिस स्थान का अभी सर्वे नहीं हुआ है, उस स्थान को लेकर भी मीडिया गलत रिपोर्टिंग कर रहा है. वहीं, हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि मीडिया अपना काम कर रहा है, जो रिपोर्ट दिखाई जा रही है, वह पिछले सर्वे की है.

हिंदू पक्ष ने कही ये बात

मां श्रृंगार गौरी मुकदमे की वादिनी राखी सिंह के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने दलील दी कि भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत मीडिया को समाचार प्रकाशन की स्वतंत्रता है. अगर कोई गलत खबर भी आ रही है तो उसे मीडिया सुधार ले रहा है.

मां श्रृंगार गौरी मुकदमे की चार अन्य वादिनी सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी के अधिवक्ता मदन मोहन यादव और सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि अदालत ने पक्षकारों के साथ ही मीडिया को भी संयम बरतने के लिए कहा है.

सर्वे रोकने को लेकर कोर्ट में फिर पहुंचा मामला

इसके साथ ही ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे को रोकने के लिए अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने आवेदन दाखिल किया गया है. इसमें कहा गया कि चार महिला याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर जिला जज ने 21 जुलाई को एएसआई सर्वे का आदेश दिया था. महिला वादिनियों की तरफ से सर्वे में आ रहे खर्च की फीस नहीं जमा की गई. बिना फीस जमा किए ही सर्वे किया जा रहा है, जो कानून के खिलाफ है. सर्वे के लिए एएसआई को रिट नहीं जारी की गई और न लिखित रूप से सर्वे की जानकारी दी गई.

नियमों के विपरीत किया जा रहा सर्वे

कोर्ट में कहा गया कि जो सर्वे किया जा रहा है वह कानूनी प्रावधान की प्रक्रिया के विपरीत है. ऐसे में सामान्य नियम और सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत दिए गए प्रावधानों का पालन किए बगैर जो सर्वे किया जा रहा है उसे रोका जाए. इस आवेदन पर महिला वादिनियों की अधिवक्ता की तरफ से आपत्ति जताई गई. साथ ही आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा गया.

17 अगस्त को होगी सुनवाई

जिला जज की ही अदालत में राखी सिंह की तरफ से दिए गए उस आवेदन पर भी सुनवाई हुई, जिसमें अंजुमन इंतजामिया कमेटी की तरफ से आपत्ति दाखिल की गई. राखी सिंह का आवेदन मुस्लिमों के नमाज पढ़ने से रोक के उद्देश्य से दी गई है. सारे आरोप बेबुनियाद हैं और यह आवेदन खारिज होने योग्य है. इस पर राखी सिंह के अधिवक्ताओं मानबहादुर सिंह और सौरभ तिवारी ने प्रति आपत्ति दाखिल करने के लिए समय की मांग की. अदालत ने सुनवाई के लिए 17 अगस्त की अगली तिथि तय की.

कथित शिवलिंग के दर्शन-पूजन मामले में आपत्ति दर्ज

कोर्ट में सुनवाई के दौरान ज्ञानवापी से जुड़े एक अन्य मामले में अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने अधिवक्ता सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग के दर्शन पूजन राग भोग के वाद पर कहा सभी पक्ष की आपत्ति आ गई है. इस मामले में सुनवाई के बाद आदेश जारी किए जाने का अनुरोध किया गया.

सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के चार महिला वादिनियों की तरफ से सुभाषनंदन चतुर्वेदी, दीपक सिंह, पवन पाठक, मदन मोहन यादव, भारत सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव के साथ ही राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह विसेन उपस्थित रहे. वहीं अंजुमन इंतजामिया की तरफ से मुमताज अहमद, रईस अहमद खान, तौहीद खान, मेराजुद्दीन सिद्दकी, एखलाक अहमद और कोर्ट में उपस्थित रहे.

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