कोलकाताः मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की दो दिवसीय बैठक में तय हुआ है कि इस बार विधानसभा चुनाव में जो करारी हार मिली है, उसे पीछे छोड़ते हुए पार्टी अब बड़े पैमाने पर जनआंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी. हार के कारणों को लेकर कई तरह के तर्क आये, जिनमें उलझने की बजाय माकपा अब संगठन को तरजीह देने के मूड में है.
इसके लिए युवा कार्यकर्ताओं और नेताओं को पार्टी की कमान देने के बारे में एक तरह से मुहर लग गयी है. पार्टी अब युवा नेतृत्व को सामने रखकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी. आंदोलन का चेहरा युवा नेता ही बनेंगे. इसके साथ ही बैठक में जो तथ्य उभर कर सामने आये हैं, उन पर भी अमल किया जायेगा.
बैठक में मंथन के बाद पता चला कि जिन जगहों पर पार्टी ने स्थानीय व युवा चेहरों को चुनाव के मैदान में उतारा था, उन जगहों पर अन्य जगहों की तुलना में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा. इसके साथ ही बैठक में तय हुआ है कि पार्टी फिलहाल दो जगहों पर होने वाले उपचुनाव पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी.
इसमें से एक राज्य की बहुचर्चित भवानीपुर विधानसभा सीट है, जहां से मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी चुनाव लड़ने वाली हैं. इस सीट पर संयुक्त मोर्चा की ओर से कांग्रेस के टिकट पर युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शादाब खान चुनाव लड़े थे. हालात को देखते हुए कांग्रेस ने इस बार यहां से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.
Also Read: वाम मोर्चा और कांग्रेस के लिए बैसाखी लेकर आयी है पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आइएसएफ : फिरहाद
भवानीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में ममता बनर्जी के खिलाफ माकपा ने अपना उम्मीदवार देने का फैसला किया है. वामपंथी पार्टी ने इस बाबत अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है. राज्य कमेटी की ओर से बैठक में ही कोलकाता जिला कमेटी को निर्देश दिया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि इस बार मुकाबला काफी कड़ा होगा. इसके लिए अभी से तैयारी करने के साथ ही योग्य व जुझारू स्थानीय युवा को उम्मीदवार बनाने का संकेत दिया है.
उल्लेखनीय है कि बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में भवानीपुर विधानसभा सीट से ममता बनर्जी के करीबी नेता शोभनदेव चट्टोपाध्याय चुनाव जीते थे. चुनाव के बाद उन्होंने यह कहते हुए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था कि ममता बनर्जी यहां से उपचुनाव लड़ना चाहती हैं. उन्होंने कहा था कि वह बिना किसी दबाव के स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं.
ममता बनर्जी नंदीग्राम में भाजपा के शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हार गयीं थीं. मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 6 महीने के भीतर उन्हें किसी न किसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना होगा. यदि वह ऐसा नहीं कर पाती हैं, तो मुख्यमंत्री के पद से उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है.
Posted By: Mithilesh Jha