गाजियाबाद में साइबर ठगों द्वारा भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के रिटायर्ड अधिकारी का ‘डीप फेक’ वीडियो इस्तेमाल कर 76 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति को कथित तौर पर प्रताड़ित करने और उसे आत्महत्या की कगार पर पहुंचाने का मामला सामने आया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज कर प्रकरण की जांच शुरू कर दी गई है. कवि नगर के सहायक पुलिस आयुक्त अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि 76 वर्षीय अरविंद शर्मा ने करीब एक महीना पहले एक स्मार्टफोन खरीदा था और उस पर अपनी फेसबुक प्रोफाइल बनायी थी. उन्हें 20 अक्टूबर को एक वीडियो कॉल आयी थी जिसका उन्होंने जवाब दिया था. कॉल करने वाली महिला उस समय ‘नग्न’ थी. श्रीवास्तव ने बताया कि कॉल खत्म करने के बाद से ही शर्मा के लिये मुश्किलें खड़ी हो गयीं. उन्हें उस महिला के साथ उनका चेहरा लगे व्यक्ति की तस्वीरें भेजी जाने लगीं. बाद में उन्हें एक वीडियो कॉल आयी. कॉल करने वाले व्यक्ति ने अपना परिचय दिल्ली के द्वारका में तैनात वरिष्ठ पुलिस अफसर के रूप में दिया और उनसे कहा कि उन्हें एक महिला द्वारा आत्महत्या किये जाने के मामले में अभियुक्त बनाया जा रहा है.
श्रीवास्तव ने शिकायत के हवाले से बताया कि शर्मा इस कॉल से बहुत घबरा गये और कथित पुलिस अफसर द्वारा दिये गये बैंक खाते में 24 हजार रुपये जमा कर दिये. उसके बाद 50 हजार रुपये और दिये. मगर धन की मांग और बढ़ती गयी. उन्होंने बताया कि लोकलाज के डर और धन का इंतजाम नहीं कर पाने की वजह से शर्मा ने आत्महत्या का इरादा कर लिया. हालांकि, उन्होंने इस बारे में अपने परिवार के सदस्यों को बताया, जिन्होंने पुलिस को घटना की सूचना दी।.सहायक पुलिस आयुक्त ने कहा, जांच के दौरान हमें पता चला कि एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी प्रेम प्रकाश का चेहरा लगाकर डीप फेक तकनीक के जरिये बनाया गया वीडियो शर्मा को द्वारका में तैनात वरिष्ठ पुलिस अफसर के तौर पर दिखाया गया था. इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है.
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डीप फेक एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिये किसी व्यक्ति का चेहरा किसी अन्य के शरीर पर लगाकर जाली वीडियो तैयार किया जाता है. इस तकनीक के जरिये बनाये गये वीडियो से आम व्यक्ति के लिये यह जान पाना बहुत मुश्किल होता है कि वह वीडियो जाली है. हाल ही में दक्षिण भारतीय फिल्मों की अभिनेत्री रश्मिका मंधाना का भी ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ था.
श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसा लगता है कि अभियुक्तों ने रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी प्रेम प्रकाश का कोई पुराना वीडियो इस्तेमाल करके उसकी आवाज और पाश्र्व ध्वनि को बदल दिया था. बारीकी से जांच करने पर पता लगा कि वीडियो में सुनायी दे रही आवाज और होठों की हरकत मेल नहीं खा रही है. ऐसे में इसे ‘डीप फेक’ वीडियो कहा जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस मामले में 21 नवंबर को मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गयी है. गाजियाबाद पुलिस ने मामले की जांच में मदद के लिये ‘मेटा’ कम्पनी को भी पत्र लिखा है. साथ ही ‘डीप फेक’ वीडियो को फोरेंसिक जांच के लिये भेज दिया है.
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