Jharkhand news (रजरप्पा/रामगढ़) : बेटी बोझ नहीं, वरदान होती है. इस बात को चरितार्थ की है रामगढ़ जिला अंतर्गत चितरपुर की एक बेटी ने. इस बेटी ने अपनी मां को मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया. यह दृश्य देख लोग भावविभोर हो गये. मृतक के परिजन तब अधिक परेशान दिखे, जब हुप्पू गांव के ग्रामीणों ने मारंगमरचा भैरवी नदी में शव को जलाने का विरोध किया था.
जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से गोला निवासी आरती देवी (64 वर्ष) अपनी बड़ी पुत्री के यहां रांची में रह रही थी. इस दौरान बुधवार को इसकी मृत्यु हो गयी. इसके बाद इसके परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार के लिए एंबुलेंस से उसे रामगढ़-बोकारो मार्ग के मारंगमरचा भैरवी नदी लाया गया. जहां हुप्पू गांव के ग्रामीणों ने यहां शव जलाने का विरोध किया.
ग्रामीणों का कहना था कि कोरोना से इसकी मौत हुई है. इसलिए यहां शव जलाने नहीं देंगे जबकि इसके दामाद गौतम चंद्र पोद्दार का कहना था कि इनकी मृत्यु स्वभाविक हुई है. इन्हें कोरोना नहीं था. रांची में दाह संस्कार में काफी कठिनाई होती, इसलिए शव को यहां लाया गया.
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उधर, घटना की सूचना पुलिस को दी गयी. पुलिस ने यहां दाह संस्कार करने को कहा. लेकिन मृतक के परिजनों ने शव को वामनधारा घाट ले गये. जहां इनका अंतिम संस्कार किया गया. यहां इनकी छोटी बेटी निभा पोद्दार ने मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया. बता दें कि आरती देवी की तीन पुत्रियां है. तीनों की शादी रांची, तोपचाची व चितरपुर में हुई है. मौके पर परिवार के कई लोग व ग्रामीण मौजूद थे.
Posted By : Samir Ranjan.