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DDU: ग्रामीण क्षेत्र के महाविद्यालय में 60% सीटें खाली, प्रवेश लेने में रुचि नहीं दिखा रहे छात्र

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबंध रखने वाले ग्रामीण क्षेत्र के महाविद्यालयों में पिछले दो महीना से प्रवेश शुरू करने के बावजूद स्नातक की 60% सीटें अभी भी खाली हैं. ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेज छात्र-छात्राओं का इंतजार कर रहे हैं.

Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के साथ ही उससे संबद्ध कॉलेजों को भी स्नातक वह परास्नातक में प्रवेश को लेकर काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के महाविद्यालयों की बात करें तो पिछले दो महीना से प्रवेश शुरू करने के बावजूद कालेजों में स्नातक की 60% सीटें अभी भी खाली हैं. ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेज छात्र छात्राओं का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि शहरीय क्षेत्र के कॉलेज की स्थिति ग्रामीण क्षेत्र से फिर भी बेहतर है. गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबंध 350 कॉलेज में से 300 कॉलेज ग्रामीण क्षेत्रों में ही हैं.

वहीं परास्नातक पाठ्यक्रमों में महाविद्यालय के तमाम प्रचार प्रसार के बावजूद भी प्रवेश नहीं हो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेज में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रवेश न लेने के चलते बहुत से कॉलेज बंद होने की स्थिति में आ गए है. कॉलेज प्रबंधकों की माने तो वर्तमान में छात्र-छात्राएं रोजगारपरक पाठ्यक्रमों को वरीयता दे रहे हैं. यही वजह है कि युवाओं का रुझान इधर कम है, जिससे कॉलेज में प्रवेश नहीं हो रहे हैं. कॉलेज प्रबंधन का यह भी मानना है कि इसकी बड़ी वजह सीबीसीएस के तहत सेमेस्टर सिस्टम का लागू होना भी है. सीबीसीएस के चलते जहां फीस बढ़ गई है वहीं वर्ष भर कक्षाओं से लेकर परीक्षाओं का सिलसिला चल रहा है.

नियमित कक्षा चलने और परीक्षा की वजह से छात्र-छात्राएं रोजगार करते हुए पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. फीस बढ़ने की वजह से भी बहुत से गरीब छात्र प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं. पहले छात्र-छात्राएं रोजगार करते हुए पढ़ते थे. लेकिन नियमित परीक्षा और कक्षा चलने की वजह से वह प्रवेश लेने से कतरा रहे हैं. पहले छात्र-छात्राओं को वर्ष में एक बार फीस जमा करना पड़ता था. पर सीबीसीएस लागू होने से उन्हें दो बार फीस जमा करना पड़ रहा है. दो बार पंजीकरण करना पड़ रहा है. जिसके लिए एक बार की जगह दो बार पंजीकरण शुल्क देनी पड़ रही है. जो प्रवेश न लेने की वजह बन रही है.

वर्ष 2018 के पहले विद्यार्थियों की परीक्षा उसी केंद्र पर होती थी जिस कॉलेज में विद्यार्थी पढ़ाई करते थे. उसके बाद व्यवस्थाएं बदल गई हर कॉलेज के अलग-अलग परीक्षा केंद्र बनने लगें. ग्रामीण क्षेत्र के परीक्षा केंद्र दूर और दुरूह जगह पर होने से युवाओं की रुचि ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेज में प्रवेश लेने से कम होने लगी. इससे छात्रों का प्रवेश खासा प्रभावित हुआ. इसका खामियांजा हर वर्ष कॉलेज प्रबंधन को झेलना पड़ रहा है. महाविद्यालय में प्रवेश कम होने की यह भी एक बड़ी वजह बन रही हैं.

स्व वित्त पोषित महाविद्यालय प्रबंधक महासभा के महामंत्री डॉक्टर सुधीर कुमार राय ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के महाविद्यालय में छात्र द्वारा प्रवेश न लेने के चलते बहुत से कॉलेज बंद के कगार पर आ गए हैं.उन्होंने बताया कि बिना किसी तैयारी के कॉलेज में सीबीसीएस लागू किया जाना इसकी सबसे बड़ी वजह है. परीक्षा केंद्र दूसरे कॉलेज में बनाना भी इसकी एक वजह है. उन्होंने कहा कि इसमें सहूलियत करने की मांग को लेकर वह जल्द ही विश्वविद्यालय के कुलपति से मुलाकात करेंगे.

गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के महाविद्यालय में प्रवेश कम होने की समस्या बड़ी है. इसकी वजह को लेकर कालेज के प्रबंधकों के साथ बैठक की जाएगी और हर बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में प्रवेश ज्यादा हो छात्रों का रुझान अधिक हो इसको लेकर हर संभव प्रयास किया जाएगा. परीक्षा केंद्र को लेकर भी कोई ऐसा समाधान निकाला जाएगा जिससे छात्रों को सहूलियत मिले.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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