आपने तो कृष मूवी देखा ही होगा, जिसमें फ्यूचर्स की प्रिडिक्शन की जा रही थी. लेकिन अब रियल लाइफ में भी कुछ ऐसा ही होने वाला है. जी हां हाल ही में एआई का एक ऐसा मॉडल तैयार किया गया है, जो मनुष्य के भविष्य के बारे में बताएगा. यहां तक की आपकी मृत्यु कब और किस समय होगी यह भी पूरे एक्यूरेशी के साथ बता देगा. इस नए एआई मॉडल पर डेनमार्क टेकनिकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) के वैज्ञानिकों ने शोध किया है और साथ ही एआई मॉडल को डेनमार्क की आबादी के व्यक्तिगत डेटा पर प्रशिक्षित किया गया जिसके परिणामस्वरूप मालूम चला कि यह एआई का नया मॉडल किसी भी मौजूदा प्रणाली की तुलना में लोगों के मरने की संभावना का अधिक सटीक अनुमान लगाता है.
उच्च सटीकता के साथ व्यक्तित्व और मृत्यु के समय जैसे परिणामों का करेगा भविष्यवाणी
आपको बता दें कि 19 दिसंबर को नेचर कम्प्यूटेशनल साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में यह स्पष्ट किया गया है कि एआई का यह नया मॉडल अगर एक बार डेटा पैटर्न सीख लिया, तो यह अन्य उन्नत प्रणालियों से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है और उच्च सटीकता के साथ व्यक्तित्व और मृत्यु के समय जैसे परिणामों की भविष्यवाणी कर सकता है.
शेध करने के लिए 35 से 65 वर्ष के वर्ग की आयु के लोगों का डे लिया गया डेटा
आपको बताते चलें कि शोधकर्ताओं ने 35 से 65 वर्ष के वर्ग की आयु के लोगों का डेटा लिया – जिनमें से आधे की मृत्यु 2016 और 2020 के बीच हुई थी – और एआई प्रणाली से यह अनुमान लगाने के लिए कहा कि कौन जीवित रहा और कौन मर गया. तो, उन्होंने पाया कि इसकी भविष्यवाणी किसी भी अन्य मौजूदा एआई मॉडल या जीवन बीमा कंपनियों की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक सटीक थी. मॉडल का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने चार साल के भीतर किसी व्यक्ति के मरने की संभावना जैसे सामान्य सवालों के जवाब मांगे. जिसमें, उन्होंने पाया कि मॉडल की प्रतिक्रियाएं मौजूदा निष्कर्षों के अनुरूप हैं. जैसे कि जब अन्य सभी कारकों पर विचार किया जाता है, तो नेतृत्व की स्थिति में उच्च आय वाले व्यक्तियों के जीवित रहने की अधिक संभावना होती है. वही मानसिक समस्या से पीड़ित लोगों के मरने का खतरा अधिक होता है.
यह मॉडल मौजूदा एआई सिस्टम की तुलना में आबादी के एक वर्ग में व्यक्तित्व परीक्षण के परिणामों की सटीक भविष्यवाणी भी कर सकता है. शोधकर्ताओं ने अध्ययन में लिखा है, “हमारा ढांचा शोधकर्ताओं को नए संभावित तंत्रों की पहचान करने की अनुमति देता है जो जीवन के परिणामों और व्यक्तिगत हस्तक्षेपों से जुड़ी संभावनाओं को प्रभावित करते हैं.”
वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
हालांकि, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि नैतिक चिंताओं के कारण इस मॉडल का उपयोग जीवन बीमा कंपनियों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए. ” डॉ. लेहमैन ने कहा “स्पष्ट रूप से, हमारे मॉडल का उपयोग किसी बीमा कंपनी द्वारा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि बीमा का पूरा विचार यह है कि, किसी घटना, या मृत्यु, या अपना बैग खोने से मारा गया बदकिस्मत व्यक्ति कौन होगा, इसकी जानकारी की कमी को साझा करना.” शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि life2vec के उपयोग के आसपास अन्य नैतिक मुद्दे भी हैं जैसे संवेदनशील डेटा की सुरक्षा, गोपनीयता और डेटा में पूर्वाग्रह की भूमिका. वैज्ञानिकों ने कहा, “हम इस बात पर जोर देते हैं कि हमारा काम इस बात का अन्वेषण है कि क्या संभव है, लेकिन इसका उपयोग केवल उन नियमों के तहत वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों में किया जाना चाहिए जो व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करते हैं.”
अब देखना यह होगा कि ओपन एआई के जमाने में अगर इस नए एआई मॉडल (life2vec) का प्रयोग आम लोगों के लिए यूज करना कॉमन हो गया, तो लोग क्या सचमुच मौत से बच जाएंगे. अगर आपको यह एआई टूल मिल गया, तो आप मौत से बचने के लिए कौन सा तरीका अपनाएंगे.
Also Read: पत्रकारिता में AI का प्रयोग घातक, कार्यरत लोगों का जा सकता है जॉब