धनबाद-गोमो रेलखंड हादसे में बड़ी जानकारी निकलकर सामने आयी है. दरअसल, एचओइ के लिए पोल लगाने के समय ना ही शटडाउन लिया गया और ना ही काम कराने के लिए वहां टीआरडी का इंजीनियर मौजूद था, जबकि नियम है कि काम के दौरान टीआरडी का एक इंजीनियर वहां मौजूद रहेगा. शटडाउन लेकर काम कराया जाना है, काम पूरा होने के बाद इंजीनियर को शटडाउन वापस करना है. इसके बाद लाइन को चालू किया जाना चाहिए था. लेकिन रेलवे की ओर से इसका पालन नहीं किया गया इसका खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ा. बताया जा रहा है कि अलग-अलग जगहों पर एजेंसी द्वारा छह माह से काम किया जा रहा है. बिना शटडाउन के ही काम होता आ रहा है.
काम के लिए किसी प्रकार के उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था. जबकि पोल झुके नहीं या फिर ओवर हेड तार को नुकसान पहुंचाए बिना काम हो इसके लिए किरान समेत अन्य उपकरण होना चाहिए था. लेकिन यहां सिर्फ मजदूरों के भरोसे ही काम हो रहा था.
घटना की सूचना पाते ही अधिकारियों के निर्देश पर डाउन लाइन के ओवरहेड तार की विद्युत आपूर्ति 11:35 बजे तथा अप लाइन के ओवरहेड तार की विद्युतापूर्ति 11:45 बजे बंद कर दी गयी. भूली हॉल्ट से मतारी स्टेशन तक विद्युतापूर्ती बाधित रही. उससे अप तथा डाउन लाइन पर ट्रेनों का परिचालन बाधित हो गया. गोमो स्टेशन पर डाउन अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस तथा गया आसनसोल ईएमयू, मतारी स्टेशन पर डाउन नेताजी एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनें विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी रहीं. इससे यात्रियों को काफी परेशानी हुई.
धनबाद के मंडल रेल प्रबंधक कमल किशोर सिन्हा ने पत्रकारों को बताया कि बड़ा काम करने के लिए पावर ब्लॉक लेना चाहिए था. प्रथमदृष्टया में लापरवाही का मामला प्रतीत होता है. घटना की जांच शुरू कर दी गयी है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही विशेष कुछ कहा जा सकता है.
घटना स्थल से 30 कदम की दूरी पर चापानल से पानी निकाल रही झारखोर बस्ती के गणेश सिंह की पुत्री निशा कुमारी (18) भी करंट के चपेट में आ गयी. वह अचेतावस्था में गिर पड़ी. उसे किसी तरह होश में लाया गया.
फाटक के गैटमेन प्रफुल्ल मंडल ने बताया कि पोल को यहां गाड़ा जा रहा था. मजदूर काम पर लगे थे. सबकुछ ठीक चल रहा था.11 बजकर 22 मिनट हो रहा होगा.उसी समय डाउन लाइन में हो रहे कार्य के दौरान अचानक पोल रेलवे के 25 हजार वॉल्ट के ओवरहेड तार में जा गिरा. ऐसी आवाज और आग की लपटे उठी कि उसका बयां नहीं कर सकते है.वह दौड़ा-दौड़ा फाटक से बाहर निकल कर निचितपुर के स्टेशन मास्टर को सूचना देकर पावर को कट करवाया. तब-तक 6 मजदूरो की जान चली गयी. इस फाटक में 12-12 घंटे की दो गैटमेन की ड्यूटी है.इस घटना के बाद यहां रात को रहना मुश्किल हो जायेगा.उस विभाग से मांग करते है कि रात को दो लोगो की ड्यूटी दी जाये.