झारखंड राज्य गठन के 23 साल बाद भी धनबाद जिले के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. खासकर ग्रामीण इलाके के लोग आज भी पानी के लिए नदी, तालाब और जोरिया पर निर्भर हैं. जलसंकट को दूर करने के लिए कई जलापूर्ति योजना शुरू हुई, लेकिन काम पूरा करने के डेडलाइन के बाद भी 42 से 88 प्रतिशत काम हुआ. जिले में करीब चार हजार करोड़ की 15 बड़ी जलापूर्ति योजनाओं पर काम शुरू हुआ.
हालांकि, पिछले 12 वर्षों में एक-दो का लाभ ही जनता को मिला. तमाम योजनाएं अब भी अधूरी है. जलमीनार बन गये, सप्लाई पाइप बिछा दी गयी, घरों में कनेक्शन जोड़कर नल तक लगा दिये, पर उनसे एक बूंद पानी नहीं आया. फंड और जल भंडार होने के बावजूद ठेकेदारों और अफसरों की लापरवाही के कारण लोगों को पानी नहीं मिल रहा. ऐसे में जलापूर्ति योजनाओं का कार्य पूरा नहीं होने से केंद्र सरकार के हर घर नल जल योजना का जिले में बुरा हाल है. अधिकारी और मुखिया की खींचतान में आम जनता परेशान, नहीं हो रहा भीषण जलसंकट का समाधान
हीरालाल पांडेय, बरवाअड्डा
बरवाअड्डा के ग्रामीण क्षेत्रों में भीषण जलसंकट से त्राहिमाम कर रहे हैं. हालत इतनी खराब है कि लोगों को पानी के लिए रतजग्गा करना पड़ रहा है. पीने का पानी तो छोड़िए नहाने के लिए भी पानी खरीदना पड़ रहा है. चापानल खराब पड़े हुए हैं. कुआं, तालाब सूख गये हैं. कई गांव के लोग दूसरे गांव में स्थित तालाब नहाने के लिए जाने को विवश है. दूसरी ओर मुखिया व पदाधिकारी की आपसी खींचतान में चापनलों की मरम्मती नहीं हो पा रही है.
करीब दो लाख की आबादी जलसंकट का सामना कर रही है. क्षेत्र में पीएचइडी, विधायक व सांसद मद से लगे दर्जनों चापानल खराब पड़े है. इसे देखनेवाला कोई नहीं है. बीडीओ के आदेश के बाद भी स्थिति में नहीं हुआ सुधार : ग्रामीण क्षेत्रों में भीषण जल संकट को लेकर जिला व प्रखंड में बैठक हुई. गोविंदपुर प्रखंड कार्यालय में जल संकट को लेकर पिछले दिनों बीडीओ संतोष कुमार ने क्षेत्र के मुखियाओं के साथ बैठक की थी. इसमें बीडीओ श्री कुमार ने मुखिया को 15 वें वित्त की राशि से चापनलों की मरम्मत का आदेश दिया था. आदेश के बाद भी मुखिया चापनलों की मरम्मत नहीं करा रहे हैं.
आसनबनी-2 के मुखिया सह गोविंदपुर प्रखंड मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष गयासुद्दीन अंसारी, दामकाड़ा बरवा पंचायत के मुखिया रामकिशुन विश्वकर्मा, बिराजपुर के मुखिया सुबास चंद्र दास, खरनी के मुखिया प्रतिनिधि मनोज हाडी, उदयपुर के मुखिया प्रतिनिधि प्रेम कुमार महतो, पंडुकी मुखिया अख्तर अंसारी, बड़ापिछरी मुखिया के प्रतिनिधि आशुतोष रजक ने कहा कि चापनलों की मरम्मत की योजना ग्राम सभा में ली गयी है.
योजनाओं को जिला पोर्टल जीपीडीपी (आनलाइन करने के लिए) में चढ़ाने के लिए पंचायती राज्य कार्यालय के अधीन जिला परिषद में संचालित डीपीएम के यहां भेजा गया था. वहां डीपीएम जीपीडीपी पोर्टल में योजना को चढ़ाकर ऑॉनलाइन करने के लिए घूस मांग रहे हैं. इस कारण योजना नहीं चढ़ पायी और चापनलों की मरम्मत नहीं हो पा रही है. बीडीओ ने चापनलों की मरम्मत के लिए लिखित आदेश भी नहीं है. मौखिक आदेश से काम नहीं कर सकते हैं. हमलोगों को डर है कि बिना लिखित आदेश के 15 वें वित्त की राशि से चापनलों की मरम्मत का काम कराने से फंस सकते हैं.
मैथन जलापूर्ति योजना का पानी इन गांवों में पहुंचना था. टहल कंपनी इसके लिए काम कर रही थी. कंपनी ने इसके लिए तिलैया व बिराजपुर में टंकी बनाने का काम शुरू किया. तिलैया में आधी, अधूरी टंकी बनी है. बिराजपुर-छाताटांड़ में कंपनी ने टंकी का नींव काटकर छोड़ दिया है.
बिराजपुर पंचायत में दो दर्जन चापानल हैं. इसमें दो, चार चापानल ही चल रहे. बाकी खराब है. बहुत से चापनल डेड हो गये हैं. इस भीषण गर्मी में ग्रामीणों का एक मात्र सहारा खेत के सामने स्थित डाढ़ी चुआं भी सूख गया है. लोग डाढी चुंआ का पानी नहाने व पीने में उपयोग करते थे. परेशान बिराजपुर पांडेय टोला, नापित टोला, कुम्हार टोला व लतवेधी बरवाडीह के लोग बगल के गांव में स्थित एक बड़े तालाब में तीन किलोमीटर दूरी तय कर नहाने जाते हैं.
यहां के लोग डाढ़ी चुआं की मरम्मत व डीप बोरिंग की मांग कर रहे हैं. इन क्षेत्रों के आलावा पंडुकी, दामकाड़ा बरवा, पांडेय बरवा, कुलबेड़ा, यादवपुर, उदयपुर, कल्याणपुर, बड़ापिछरी, कुर्मीडीह, विज्ञान विहार कालोनी, सत्यम नगर, सुसनीलेवा, चरकपत्थर, मुर्राडीह, बिराजपुर, मरिचो, तिलैया, खरनी, चुटियारो, गोरगा, मधुगोडा, खंडेरी, चपौती, चकपोलैया, सोनरीया, साधोबाद, हरिजन टोला बिराजपुर, छाताटांड, दामुमुडा , डुमरियाटांड़ समेत दर्जनों गांवों के लोग जलसंकट का सामना कर रहे है.