अजय कुमार तिवारी, महुदा. बीसीसीएल भाटडीह कोलियरी क्षेत्र के नगदा खदान हादसे की उस काली स्याह रात को महुदा क्षेत्र के लोग शायद कभी भूला नहीं पायेंगे. आज उस हादसे की 17वीं बरसी है. छह सितंबर 2006 की उस हादसे की याद आते ही भाटडीह व महुदा क्षेत्र के लोग कांप उठते हैं. घटना के बाद का मंजर क्या भयावह था. विडंबना देखिए बरसी में फिर से हर बार की तरह बीसीसीएल के आला अधिकारी, विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेता पहुंचेंगे, श्रद्धांजलि अर्पित कर कुछ बोलेंगें और चले जायेंगे. हादसे के बाद जो दर्द महुदा क्षेत्र के लोगों ने झेला, उसे महसूस करने वाला कोई नहीं होगा.
काम करते शहीद हो गये थे 50 कोयला श्रमिक
भाटडीह कोलियरी के नगदा 17 नंबर इंक्लाइन में शाम 7:30 बजे अचानक भयंकर विस्फोट हुआ था. चारों तरफ धुआं ही धुआं के साथ कोहराम मच गया था. खदान के अंदर 50 श्रमिक अपनी दूसरी पाली की ड्यूटी में गये थे. विस्फोट के बाद खदान पर बैठे कोलियरी के पदाधिकारी स्थिति को देखकर वहां से फरार हो गये. देखते ही देखते नगदा से लेकर महुदा तक वाहनों का तांता लग गया, परंतु प्रबंधन द्वारा राहत कार्य समय पर शुरू नहीं किया जा सका था. घटना के बाद तत्कालीन सीएम शिबू सोरेन, सीएमडी पार्थो भट्टाचार्या सहित कई मंत्री, पुलिस अधिकारी, नेता व समाजसेवी पहुंचे थे. काफी जद्दोजहद के बाद सात सितंबर की शाम प्रबंधन ने किसी तरह मनोज मिश्रा का शव निकाला. बाद में रेस्क्यू टीम द्वारा एक-एक कर शहीद हुए 49 श्रमिकों के शवों को खदान से बाहर निकाला गया.
घटना कैसे हुई थी?
घटना मिथेन गैस विस्फोट से घटी थी. नियम के अनुसार भूमिगत खदान से एक तरफ कोयला निकाला जाता है, दूसरी ओर बालू बंकर के माध्यम से खदान के खाली हिस्से को बालू और पानी से भरा जाता है. प्रबंधन की लापरवाही देखिए खदान के अंदर से कोयला तो लगातार निकाला गया, परंतु इसमें बालू भराई नहीं के बराबर हुई थी. नतीजा कोयला निकाले गये सभी जगह खाली पड़ी थी. उक्त खाली जगहों में मिथेन गैस भर चुकी थी. वहीं सही ढंग से ऑक्सीजन भी खदान के अंदर नहीं जा रही थी. नतीजा खदान के अंदर गैस भर गयी और अचानक विस्फोट हो गया.
कैपलैंप नंबर से हुई थी शवों की शिनाख्त
खदान के अंदर के सभी श्रमिकों के शव झ्स कदर जल चुके थे कि किसी को भी पहचान पाना मुश्किल था. सभी का शव एक जैसा दिख रहा था. सभी के कमर में जो बत्ती (कैपलैंप) की बैट्री टंगी हुई थी, उसी बत्ती के नंबर से सभी शवों की शिनाख्त हो पायी थी.
हादसे के बाद से ही वीरान पड़ा हुआ है क्षेत्र
यह हादसा मानो भाटडीह कोलियरी क्षेत्र के लिए अभिषाप बन गया. प्रबंधन ने नगदा की दोनों खदानें 14 नंबर व 17 नंबर को बंद कर दी. श्रमिकों का स्थानांतरण अन्यत्र कर दिया गया. कोलियरी पर निर्भर छोटे-छोटे दुकानदारों, ठेला वालों, खोमचा वालों को अपनी-अपनी दुकानें बंद कर देनी पड़ी. देखते ही देखते कोयले से भरा यह भाटडीह कोलियरी क्षेत्र वीरान हो गया. 50 हजार की आबादी प्रभावित हो गयी. दो-तीन सालों तक बीसीसीएल के सीएमडी व अन्य आला अधिकारियों सहित कई मंत्रियों एवं नेताओं ने खदानों को पुनः चालू करने का आश्वासन दिया, परंतु अब सभी ने चुप्पी साध ली है.