धनबाद, नीरज अंबष्ट : रंगदारों, दबंगों व मनबढ़ुओं से तबाह धनबाद के कारोबारियों, चिकित्सकों व अन्य लोगों के लिए मेजर नाम परेशानी का सबब बना हुआ है. आये दिन कहीं गोली चलाने की घटना से लेकर धमकी देने तक में मेजर का नाम आता है. ऐसी घटनाओं के बाद पीड़ित पक्ष या फिर पुलिस द्वारा मेजर के नाम से प्राथमिकी दर्ज करायी जाती है. अगर ऐसी प्राथमिकियों पर एक नजर डालें, तो दो दर्जन से ज्यादा हैं, पर परेशानी यह कि पुलिस कार्रवाई किस पर करे. पुलिस अभी तक मेजर की पहचान नहीं कर सकी है. मेजर नाम का कोई शख्स है भी या नहीं, इस पर भी संशय है. याद रहे कुछ दिन पहले तक बड़े सरकार के नाम से इसी तरह का धमकी भरा संदेश आता था. पुलिस की कार्रवाई के बाद इस नाम से संदेश आना बंद हो गया है.
बड़ा सवाल : कौन कर रहा ऐसा काम
धनबाद के लोगों के अलावा पुलिस में भी अब इस बात की चर्चा है कि ऐसा कौन कर रहा है. कुछ लोगों का कहना है कि स्थानीय अपराधी ही तकनीक का इस्तेमाल कर ऐसा कर रहे हैं. दूसरी ओर शहर के लोगों का कहना है कि पुलिस के मुखबिरों के कमजोर पड़ने का यह नतीजा है कि इतने दिन बाद भी पुलिस असली गुनहगार के पास तक नहीं पहुंच पा रही है.
मेजर के नाम से ऐसे-ऐसे दावे
धनबाद जिला में जब भी किसी प्रतिष्ठान या किसी बिजनेस मैन के घर पर फायरिंग होती है उसके कुछ मिनट के अंदर ही मेजर का मैसेज सोशल मीडिया पर जारी कर दिया जाता है. इसमें सबसे बड़ी बात है कि घटना होते ही उसे जानकारी दी जाती है और एक कागज पर हिंगलिश में पत्र लिखकर सोशल मीडिया पर जारी करता है और दावा करता है कि मैं छोटे सरकार का शूटर मेजर बोल रहा हूं. इसमें सबसे बड़ी बात है कि अभी तक जितने भी पत्र जारी किये गये हैं, उन सभी की हैंडराइटिंग एक जैसी है. लिखने की शैली भी वही है. जबकि बताया जाता है कि जो भी इस काम को कर रहा है, वह धनबाद में ही रहकर वायरल करता है और वह सीधे तौर से फरार अपराधी प्रिंस के संपर्क में है.
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दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज
मेजर के खिलाफ धनबाद जिला के विभिन्न थाना में दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं. इसमें सबसे ज्यादा मामला बैंक मोड़ और भूली ओपी में है. यहां लगभग एक दर्जन मामला दर्ज है. इसके साथ ही धनबाद थाना में दो, गोविंदपुर में एक, तोपचांची, हरिहरपुर, बरवाअड्डा, सरायढेला, कतरास के अलावा भी अन्य थाना में मामला दर्ज है. सभी प्राथमिकी में सिर्फ लिखा हुआ है प्रिंस खान का शूटर, लेकिन पता का कॉलम आज भी खाली है.
ऐसा होता, ताे बन सकती थी बात
धनबाद पुलिस इन अपराधियों पर नकेल कसने के लिए लगातार काम कर रही है, लेकिन यदि धनबाद पुलिस के पास बड़े महानगरों की तर्ज पर साइबर एक्सपर्ट होते, जो पल पल की जानकारी ले पाते तो कई और अपराधी पकड़ में आते. इसके साथ ही यूपी की तर्ज पर अपराधियों पर लगातार कार्रवाई होती, तो कई अपराधी या तो काम छोड़ कर मुख्यधारा में जुड़ जाते, नहीं तो उन्हें जेल जाना पड़ता.