कोलकाता : पश्चिम बंगाल में प्रवासी श्रमिकों को लेकर चल रही राजनीति के बीच प्रदेश भाजपा ने घोषणा की है कि वह प्रवासी श्रमिकों की सूची बनायेगी. प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने रविवार को कहा कि राज्य के कितने श्रमिक राज्य के बाहर रहते हैं? वह किन-किन राज्यों में रहते हैं और वे किस तरह के काम करते हैं? राज्य सरकार के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है.
उन्होंने कहा कि हाल में कोरोना महामारी व लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से प्रवासी श्रमिकों को लेकर पश्चिम बंगाल में अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हुई. राज्य सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को लेकर अमानवीय रवैया अपनाया. उसके बाद भाजपा ने निर्णय किया है कि अन्य राज्यों में रहने वाले प्रवासी श्रमिकों की सूची बनायेगी.
उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार को उस सूची की जरूरत होगी और राज्य सरकार सूची का इस्तेमाल करना चाहेगी, तो वह उपलब्ध कराने के लिए तैयार है. इसके साथ ही वह सूची केंद्र सरकार को भी भेजेगी, ताकि प्रवासी श्रमिक जो राज्य लौट आये हैं. उनके लिए राज्य में रोजगार की व्यवस्था की योजनाएं बनायी जा सके. उन्हें रोजगार उपलब्ध करवायी जा सके.
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श्री घोष ने कहा कि कोरोना व लॉकडाउन को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं है. न तो मुख्यमंत्री और न ही ममता सरकार के मंत्री, सांसद व विधायकों ने लॉकडाउन का पालन किया. राज्य सरकार ने कोरोना मरीजों की संख्या व मृत्यु की संख्या छिपाने की कोशिश की. गलत तथ्य दिये गये. लाशों को छिपाने की कोशिश में गरिया के श्मशान घाट में पार्थिव शरीर को हुक से घसीटने वाली अमानवीय घटना भी सामने आ गयी है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना को लेकर मात्र एक बार बैठक की. मुख्यमंत्री ने विरोधी दल क्या, अपने सांसदों, मंत्रियों व विधायकों के साथ भी बैठक नहीं की है. भाजपा सरकार के साथ इस महामारी का मुकाबला करने के लिए तैयार है, लेकिन सरकार की कोई मंशा नहीं दिखाई देती है. इससे जिस तरह से प्रत्येक दिन राज्य में 450 से अधिक मरीजों की संख्या बढ़ रही है. उससे वह चिंतित हैं और आशंकित हैं कि स्थिति और भी भयावह हो सकती है.
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