गाछ जे आकास बाटे
माथा गरब से उठाइ के डांड़ाइल रहे
एहे खातिर कि
आपन जइर संगे भुंइंयेक
भीतर तक समाइल रहे।
गाछ हवेक टा आसान नाय
ओकर जइसन सांति आर धीरज राखे पड़ो हे
आपन हरियरपन में सोहाइरदेक संकल्पना लइ के
हाम चाहो ही
कोन्हों बनेक हरियाइल-झबरल गाछ बने ले
फूइल से साजल सिमइर ,कोनाइर आर परास
कि कोन्हों फलदार-रसदार आम-जामूनेक गाछ।
बसे-बसावे खातिर
चिरयं-चिनगुन जोड़ा के रीझे सुखेक खोंधा हवे ले चाह-हियो
जकर कलरव कान के सुकून देय आर मन के सांति
बेमूत चूटी के अनथक सामूहिक मेहनइत के
दिये खोजो हियो आपन पाते एगो घर
जकर अजगुत शिल्प कला-कौशल से
मन हरसित भइ जाय
कि डहरे आवे वाला पंथी सब के
दू घड़ी छांहइर दिये पारब
जाति-धरम से दूर भइ के
उनखर खातिर आरामेक आसरय बने पारब
कि गाछ हवेक टा आसान नाय
पवितर धरतीक कोख ले
पवितर कामना लेय के जनम लिये पड़े हे
हरदम धरती केर आभार माइन के
विनीत भाव लेइ के आपन डाइर – डोहरा के
उरधगामी दिसाञ बढ़ाइ दिये पड़े हे
गाछ रखम जीवन के जिये पड़े हे
ई धरा टायं
नीजे दूसित हवा के सोइख के देत रहे हे हामिन के प्राणवायु!
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एगो गाँव जखन बिकासेक पटरी में गोड़ राखे हे
सइज जा हे गाँवेक खेतें
कतारबांधल बिजली केर खंभा
आर खेतेक आइरेक बीचु से गुजरो हइ
चाइर लेन, छो लेन केर सड़क
फेइर टोल नाका खड़ा करल जा हे
ऊ सांतिक बाताबरनें
सरगठेंका, हरियर साइन-बोर्ड केर होरडिंग।
जखन गाँव सहरेक रखम सोचे ले सुरू कोरो हे
टोल नाकाक किनारे साजे लागो हइ
छिटिर-पिटिर मंडी आर हाट
बइंगन, बिलाती, गोभी, सीम, मटर
आर पचरंगियाँ सागेक
हरल-भरल दोकान
छोटो-छोटो छतरीक नीचु बइसी
कई गो गंवइया
आपन चूल्हाक आइगें पाकावो हथ जोंढ़रा
सइ तखन पार हवे वाला जातरी गुलइन
किनो हथिं ओने-पोने दामें।
जखन गाँव सहरेक मुँह ताके लागो हे
तखन फेइर कहाँ बाचे पावो हइ
ओखनिक निजत्व
ई छोट बाजार
जकर रूप टा तय करो हे खरीदारेक मोलभाव
सब्जी केर किना-बेचा से सुरू भइके
माटिक सोउदाओ होवे लागो हे
बाजार केर रूप टा पसरे चाकराइ लागो हे
बिचोलिया गुलइन के लाइन लइग जा हे
आर
देखइत – देखइत
खेत प्लॉट में बदइल जा हे।
संपर्क : कुमार आयुर्वेद भवन, जैनामोड़, बोकारो, झारखंड-829301
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