नौ दिनों तक शक्ति उपासना के पश्चात अब माता को विदाई देने की बेला है. कोई नगाड़ो की थाप पर तो कोई झांकी के साथ माता को विदाई दे रहा है. दरअसल, वाराणसी में सभी धर्म-परंपराओं को मानने वाले रहते है, इसलिए बनारस को मिनी हिंदुस्तान भी कहा जाता है. नवरात्रि के आखिरी दिन बंगाली समाज की महिलाओं ने मां को सिंदूर अर्पित कर सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन किया.
काशी के बंगाली समाज की ओर से मां दुर्गा की मूर्ति विसर्जन के समय सिंदूर खेला की परंपरा निभाई गई. सोनारपुरा, बंगाली टोला और भेलूपुर समेत अन्य पंडालों में सिंदूर खेला में सुहागिन महिलाओं ने श्रद्धा भाव से माता दुर्गा को सिंदूर चढ़ाया.
बता दें कि बंगाली समाज में सिंदूर की होली खेलने की परंपरा 400 साल से ज्यादा पुरानी है. इस परंपरा को बंगाली समाज के लोग पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं. महिलाओं ने मां दुर्गा को चढ़ाए गए सिंदूर को अपनी मांग में भरकर एक दूसरे को सिंदूर से रंग दिया.
मूर्ति विसर्जन से पहले पंडालों में सिंदूर खेला के दौरान पूरा माहौल भक्तिमय हो गया. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से पति की उम्र लंबी होती है. माता को मिठाई खिलाने के बाद नम आंखों से उनको विदाई दी गई.