वर्तमान में अधिकतर बालू पश्चिम बंगाल के गोपीबल्लभपुर से आ रहे हैं. बालू की कीमतों ने उछाल से मकान बनाना मुश्किल हो गया है. खासकर पीएम आवास, आंबेडकर आवास के लाभुकों पर बोझ बढ़ गया है. अधिकतर पीएम व आंबेडकर आवास अधूरे पड़े हैं. वहीं पीसीसी सड़क निर्माण भी प्रभावित हुआ है. संवेदकों को ऊंची कीमत पर बंगाल से बालू मंगाना पड़ रहा है. अब राज्य सरकार अबुआ आवास की स्वीकृति देगी तो भी बालू की और मारामारी होगी.
सरकार घाटों की नीलामी कराये, ताकि निर्भीक होकर व्यवसाय कर सकें
बालू व्यापारियों का कहना है कि घाटों की नीलामी की जाये, ताकि हम निर्भीक होकर व्यापार कर सकें. वहीं, विकास कार्य में किसी प्रकार की बाधा नहीं पहुंचे. वर्तमान स्थिति में डर-डरकर व्यवसाय करना पड़ रहा है. बंगाल से बालू लाने पर प्रशासन ओवरलोड के नाम पर पकड़ लेता है.
बहरागोड़ा के वर्णीपाल घाट की 2016 में हुई थी नीलामी
वर्ष 2016 में बहरागोड़ा के वर्णीपाल घाट की नीलामी हुई थी. सरकार को लगभग 15 लाख रुपये का राजस्व मिला था. संचालक से तीन साल का एग्रीमेंट किया गया था. 2016 के बाद बहरागोड़ा प्रखंड में एक भी बालू घाटों का नीलामी नहीं हुई. बहरागोड़ा अंचल प्रशासन कहता है कि बालू घाट की नीलामी के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, इसकी प्रक्रिया भी हुई. लेकिन पर्यावरण क्लीयरेंस नहीं मिला है. गुड़ाबांदा से दो घाटों की नीलामी प्रक्रिया हुई थी, पर क्लीयरेंस नहीं मिला है.
बालू लदे वाहनों को पकड़ कर करोड़ों रुपयू वसूल चुका है खनन विभाग
घाटशिला अनुमंडल में अवैध बालू और पत्थर खनन के खिलाफ समय-समय पर छापेमारी होती है. अपर जिला दंडाधिकारी अगस्त 2022 से टास्क फोर्स ने 18 मामलों में छह प्राथमिकी दर्ज की है, वहीं 26 वाहनों को जब्त किया है. इनसे करीब 3.23 करोड़ रुपये की वसूली की गयी है. यह आंकड़ा अगस्त से नवंबर 22 तक का है. इसके बाद 2023 में जनवरी से दिसंबर तक भी कई वाहनों से करोड़ों के जुर्माना वसूले गये हैं.
शाम ढलते ही घाटों पर लगता है मेला, रातभर खनन व परिवहन
अनुमंडल के घाटों पर शाम होते ही जेसीबी, हाइवा, ट्रैक्टर व ट्रकों की कतार लग जाती है. रातभर बालू का अवैध खनन कर धड़ल्ले से परिवहन होता है. बालू के अवैध धंधे से आने वाली राशि माफिया से लेकर सिंडिकेट तक में बंटती है. इसमें कई सफेदपोश भी शामिल हैं. इसके कारण आसानी से हाइवा और ट्रैक्टरों का परिवहन होता है.
नीलामी नहीं होने से बालू की कीमत में भारी उछाल
बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से कीमत में भारी उछाल है. अभी एक ट्रैक्टर (100 सीएफटी) बालू की कीमत चार हजार रुपये है. यह पहले (जब नीलामी होती थी) 1500-2000 रुपये में मिलते थे. अभी एक हाइवा (500 सीएफटी) बालू की कीमत 18-20 हजार रुपये है. पहले एक हाइवा बालू (700 सीएफटी) 12-14 हजार रुपये में मिलते थे. साथ ही समय और जगह के हिसाब से कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है.
गुड़ाबांदा में सर्वाधिक लूट, जेसीबी का हो रहा इस्तेमाल
गुड़ाबांदा प्रखंड के बालू घाटों से सबसे ज्यादा लूट हो रही है. यहां रात में जेसीबी मशीन तक का उपयोग हो रहा है. पूर्व डीसी विजया जाधव ने एक बार तो रात में पूरी टीम के साथ गुड़ाबांदा में छापेमारी की थी. कई वाहनों को जब्त किया था. एक जेसीबी मशीन भी पकड़ायी थी. कुछ दिनों तक बालू की तस्करी बंद थी. समय के साथ फिर से बालू लूट का खेल जारी है.
चोरी-छिपे बालू लाना पड़ रहा : संवेदक
घाटशिला अनुमंडल के संवेदकों का कहना है कि बालू घाटों की नीलामी हो, ताकि आसानी से बालू मिल सके. अभी चोरी के बालू से विकास कार्य करना पड़ रहा है. इससे कीमत भी ज्यादा देनी पड़ रही है. चोरी-छिपे बालू लाना पड़ रहा है. इससे सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व की क्षति हो रही है. घाटों की नीलामी की दिशा में पहल नहीं हो रही है.
नक्सल मुक्त होते ही गुड़ाबांदा में माफिया सक्रिय, पत्थर खनन जारी
गुड़ाबांदा में पहले नक्सलियों कर राज था. 15 फरवरी, 2017 को क्षेत्र के प्रमुख नक्सली कान्हू मुंडा समेत छह ने पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया. क्षेत्र नक्सल मुक्त होते ही माफिया सक्रिय हो गये, यहां पत्थर, लकड़ी और बालू की लूट बदस्तूर जारी है. माफिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. गुड़ाबांदा के सुरक्षित साल जंगल में मशीन लगाकर पत्थर खनन हो रहा है. इससे साल जंगल के रूट-सूट नष्ट हो रहे हैं. वन विभाग के मुताबिक, यह गंभीर अपराध है. इसके बावजूद कोई रोकने, बोलने वाला नहीं है. दिनभर माफिया मजदूर लगाकर पहाड़ी व जंगलों में पत्थर खनन कराते हैं. एक जगह ढेर लगाकर रखते हैं. रात में हाइवा से पत्थर उठाकर ओडिशा या बंगाल में परिवहन करते हैं. गुड़ाबांदा के बीहड़ खासकर फॉरेस्ट ब्लॉक पंचायत में सफेद पत्थर और माइका का भंडार भी है. इसपर माफियाओं की नजर है. सफेद पत्थरों को गुड़ाबांदा से खनन कर धालभूमगढ़ लाया जाता है. यहां से ओडिशा सीमा पार कर भी पत्थरों का परिवहन किया जाता है. हालांकि, डीएफओ और वन पदाधिकारी समय-समय पर छापेमारी करते हैं.
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बालू व पत्थर के अवैध खनन और परिवहन रोकने को जिला और अनुमंडल स्तर पर टास्क फोर्स का गठन पूर्व में किया गया है. समय-समय पर छापेमारी होती है. कई हाइवा को पकड़ा गया व जुर्माना लगाया गया है. नीलामी का मसला सरकार का है. अनुमंडल में चार घाटों की नीलामी प्रक्रिया हुई है. पर अब तक क्लीयरेंस नहीं मिला है. सरकारी योजना के लिए बालू उपलब्ध हो, इसके लिए प्रशासन ध्यान देता है. – सत्यवीर रजक, एसडीएम, घाटशिला
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पूर्वी सिंहभूम में तीन-चार घाटों की नीलामी प्रक्रिया हुई है. पर्यावरण क्लीयरेंस नहीं मिला है. कौन-कौन घाट हैं, यह कार्यालय जाने के बाद बता पायेंगे. अभी छुट्टी पर हूं. हालांकि अब राज्य सरकार बालू घाटों का संचालन जेएसएमडीसी के माध्यम से करेगी, जिसकी देख-रेख एमडीओ करेंगे. – सुनील कुमार, जिला खनन पदाधिकारी
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