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पूर्वी सिंहभूम : जंगल कटने से गांव में घुस रहे हाथी, ग्रामीणों पर बरपा रहे कहर, नुकसान की सरकार करे भरपाई

घाटशिला अनुमंडल क्षेत्र की सीमा उत्तर में पश्चिम बंगाल और दक्षिण में ओडिशा की सीमा से लगी हुई है. अनुमंडल का अधिकतर इलाका वन क्षेत्र में है, जहां जंगली हाथियों व ग्रामीणों में टकराव की स्थिति बन गयी है.

घाटशिला अनुमंडल क्षेत्र की सीमा उत्तर में पश्चिम बंगाल और दक्षिण में ओडिशा की सीमा से लगी हुई है. अनुमंडल का अधिकतर इलाका वन क्षेत्र में है, जहां जंगली हाथियों व ग्रामीणों में टकराव की स्थिति बन गयी है. यहां के सैकड़ों गांव हाथी प्रभावित हैं. हाल के दिनों में चाकुलिया में हाथियों के हमले में एक दर्जन लोग मारे जा चुके हैं. हाथियों ने सैकड़ों घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया है. सैकड़ों एकड़ में लगी फसल नष्ट हो गयी है. हाथियों के उत्पात से सबसे अधिक किसान प्रभावित हैं. चाकुलिया शहर में भी अब हाथी घुस जा रहे हैं. हाल के दिनों में कई बार हाथी एफसीआइ गोदाम को तोड़कर अनाज गटक चुके हैं. ऐसी घटनाओं में हाथियों को भी नुकसान पहुंचा है. चाकुलिया में करंट से दो हाथियों की मौत की घटना इस गंभीरता की ओर इशारा कर रही है. वहीं मुसाबनी के ऊपरबांधा में करंट से पांच हाथियों की मौत की घटना ने विभाग के दावों की पोल खोल कर रख दी है. इस लेकर चाकुलिया प्रखंड की जामुआ पंचायत में हाथी प्रभावित लोगों के साथ प्रभात संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. संवाद में ग्रामीणों ने मुखर होकर अपनी बातें रखीं.

वन विभाग अपने अंदर झांके, तभी स्थिति में होगा बदलाव

ग्रामीणों ने कहा कि जंगल में हाथियों का भोजन खत्म हो रहा है. स्थिति यह है कि अब तो जंगल ही खत्म हो रहा है. पहाड़ गायब हो रहे हैं. हाथी जाएं, तो कहां जाएं. यह वन विभाग के लिए आत्ममंथन करने का समय है. पहले घने जंगल थे, तो गांव में हाथी नहीं आते थे. जंगल में हाथी को भोजन-पानी मिल जाता था. जंगल उजड़ने से हाथी गांव का रुख कर रहे हैं. हम लोग हाथियों के घर में घुसेंगे, तो वह भी हमारे घर में आयेंगे हीं. विगत दो-तीन वर्षों से चाकुलिया में हाथियों की संख्या में इजाफा हुआ है. पश्चिम बंगाल और ओडिशा की सीमा पर स्थित होने के कारण चाकुलिया वन क्षेत्र हाथियों का आगमन और प्रस्थान स्थल भी है. प्रतिदिन 50 से 100 हाथी चाकुलिया में जमे रहते हैं. हाथियों जमकर उत्पात मचा रहे हैं. घर तोड़ रहे हैं, फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. घर व स्कूलों के दरवाजे तोड़कर अनाज खा जा रहे हैं. हाथी के हमले में दर्जनों लोगों की जान जा चुकी है. चाकुलिया में कुल 19 पंचायत हैं. एक दो को छोड़ दें, तो शेष सभी पंचायतों में हाथियों का उत्पात जारी है. लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है. शाम होते ही लोग अपने घरों में कैद होने को विवश हैं. कई बच्चे हाथियों के भय से स्कूल नहीं जा रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि हमें हाथियों से दिक्कत नहीं है. उनके द्वारा किये जा रहे नुकसान से परेशानी है. वन विभाग सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करे और पर्याप्त मुआवजा दे, जिससे नुकसान की भरपाई हो सके.

पश्चिम बंगाल की तर्ज पर मिले मुआवजा

हाथियों द्वारा मौत होने पर पश्चिम बंगाल की तर्ज पर मुआवजा की राशि 5 लाख के साथ एक सरकारी नौकरी मिले. फसल के नुकसान पर वर्तमान में जो मुआवजा दिया जा रहा है, वह काफी कम है. नुकसान 100 रुपये का होता है तो मुआवजा 10 पैसे मिलते हैं. हाथियों के उत्पात से मुक्ति के लिए वन विभाग को ठोस कदम उठाना होगा. जंगल क्षेत्र में बड़े-बड़े तालाब व हाथियों के पसंदीदा पौधे लगाये जायें, जिनका वे भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इस तरह की पहल से ही हाथियों का उत्पात कम होगा.

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ग्रामीणों ने सुनायी अपनी ब्यथा

जंगली हाथी चाकुलिया के लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गये हैं. ग्रामीण हाथी से नहीं घबरा रहे हैं, उनके द्वारा किये जा रहे नुकसान से परेशान हैं. जंगल से सटे गांव में ट्रेंच की व्यवस्था करने की जरूरत है, किसानों को पर्याप्त मुआवजा मिले, तो कुछ हद तक समस्या कम हो सकती है.

फूलमनी मुर्मू, मुखिया, जामुआ पंचायत

आये दिन जंगली हाथी गांव और घरों में प्रवेश कर रहे हैं. जंगली हाथियों के डर से लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. वन विभाग को चाहिए कि हाथियों से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करे. हाथियों के भोजन-पानी का इंतजाम जंगल में हो तो वे गांवों का रुख नहीं करेंगे और ग्रामीण भी खुश रहेंगे.

डोमन मांडी

क्षेत्र के लोग मजदूरी करने के लिए गांव से शहर जाते हैं. शाम को मजदूरी करने के बाद घर लौटने के दौरान हाथियों द्वारा हमला किया जा रहा है. इसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्र में सड़कों के किनारे झाड़ियाें का होना व बिजली की समुचित व्यवस्था नहीं होना है. विभाग गांव की सड़कों पर बिजली की पर्याप्त व्यवस्था करे तथा झाड़ियाें की सफाई समय-समय पर कराये.

रामेश्वर मुंडा, ग्राम प्रधान

जंगली हाथियों के भय से अब क्षेत्र में कृषि कार्यों में कमी आ रही है. फसल लगाने के समय भी हाथियों का उत्पात जारी रहता है. फसल तैयार होने पर हाथी उसे नष्ट कर देते हैं. फसल काट कर घर ले आने पर भी नुकसान झेलना पड़ रहा है. अब तो हाथियों के भय से घर में अनाज रखना मुश्किल हो गया है. जिला प्रशासन व वन विभाग क्षति का पर्याप्त मुआवजा सुनिश्चित करे.

कुशराम मुंडा

प्रतिदिन गांव में जंगली हाथियों का आना-जाना लगा रहता है. हाथियों के भय से घर के बाहर काम पर जाना भी मुश्किल हो गया है. बच्चों का घर से निकलना खतरे से खाली नहीं है. खेतों में फसल भी सुरक्षित नहीं है. वन विभाग हाथियों को सुरक्षित स्थान पर भेजने का प्रयास करे. ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित हो.

आशीष मुंडा

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