दारीसाई कृषि विज्ञान केंद्र सभागार में गुरुवार को कृषि वैज्ञानिक सलाहकार समिति की 17 वीं मैराथन बैठक हुई. दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक बैठक चली. बैठक में कृषि के क्षेत्र में तमाम चुनौतियों के बीच सफलता पर मंथन हुआ. कृषि वैज्ञानिकों, कृषि विभाग के तमाम जिला पदाधिकारियों, प्रगतिशील किसानों ने अपनी-अपनी राय रखी. सभी का एक मत था किसान हित में काम हो, चुनौतियां तो हैं, पर इसी में सफलता तलाशना जरूरी है. बदलते जलवायु परिवर्त्तन, मौसम की मार, समय पर बीज-खाद की किल्लत, सिंचाई की असुविधा, कृषि में बीमारी का प्रकोप आदि विषयों पर चर्चा हुई और किसानों के हित में नये अनुसंधान को खेत तक पहुंचाने, किसानों को जागरूक करने, नयी तकनीक से जोड़ने, मौसम का पूर्वानुमान के अनुसार कृषि कार्य करने को लेकर जागरूक करने पर सहमति बनी.
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार-शिक्षा डॉ जगन्नाथ उरांव, बीएयू के वरीय वैज्ञानिक डॉ नैय्यर अली, डॉ अरविंद कुमार आदि ने दीप जलाकर कर बैठक का शुभारंभ किया. बैठक में डॉ जगन्नाथ उरांव ने कहा कि मैं सभी किसान भाईयों को नमन करता हूं, वे किसान अन्न दाता है. कृषि के क्षेत्र में ट्रेनिंग किसानों के लिए वरदान साबित हुआ है. पूर्वी सिंहभूम में कृषि को बढ़ावा देने में कृषि विज्ञान केंद्र दारीसाई की बड़ी भूमिका है. कृषि वैज्ञानिक किसान को सही तरीके और तकनीकी अपना कर खेती करना सिखा रही है. हालांकि मैन पॉवर को मजबूत करने की जरूरत है. इसके लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से मैन पॉवर मजबूत करने का प्रयास चल रहा है. आने वाले समय में पूर्वी सिंहभूम में खरीफ और रबी के मौसम में खेती को और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा. प्रगतिशील किसान अपने साथ कम से कम दस किसानों को जोड़े और आगे बढ़ाये.
पिछले साल की रिपोर्ट प्रस्तुत की
दारीसाई की प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ आरती वीणा एक्का और गोदरा मार्डी ने पिछले वर्ष क्या किया और इस वर्ष आगे कृषि के बढ़ावा को लेकर क्या करेंगे इसकी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की. डॉ एक्का ने कहा कि केबीके में पिछले वर्ष 663 किसान प्रशिक्षण हुए. वहीं रिस्पोसर प्रशिक्षण 578 किए गये. जिले के 1,52,346 किसानों को ग्रुप से जोड़कर मैसेज भेजा जाता है. सब्जी, धान, दलहन, तेलहन, सरसों, चना की खेती के साथ लाह उत्पादन, फूलों की खेती, पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. केबीके के कार्यक्रमों को विस्तार से बताया. प्रस्तुत रिपोर्ट पर बहस भी हुई.
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रबी में गेहूं बीज का अभाव है : डीएओ
बैठक में डीएओ मिथिलेश कालिंदी ने कहा कि रबी के मौसम में गेहूं बीज का विभाग के पास अभाव है. अब तक गेहूं बीज नहीं पहुंचा है. चना का कुछ बीज पहुंचा है जिसे प्रखंड स्तर पर बांटा जायेगा. हालांकि कृषि में चुनौती के बीच सफलता के लिए काम जरूरी है. मिचौंग चक्रवात से धान की फसल बर्बाद हुई. अब रबी में सरसों, चना, सूर्य मुखी की खेती से किसान इस क्षति की भरपायी कर सकते हैं.
केसीसी ऋण बिना ब्याज का लें किसान: एडीएम
बैठक में एलडीएम संतोष कुमार ने कहा कि झारखंड सरकार ने इस बार से राज्य में केसीसी ऋण ब्याज मुक्त कर दिया है. पहले सात प्रतिशत ब्याज था, जिसमें तीन प्रतिशत केंद्र सरकार लेती थी और चार प्रतिशत राज्य सरकार. केंद्र ने पहले ही तीन प्रतिशत ब्याज में छूट दी थी. अब राज्य सरकार ने चार प्रतिशत ब्याज में छूट दे दी है. अब किसानों को बिना ब्याज का केकीसी ऋण मिलेगा. पर शर्त है कि जितना केसीसी ऋण लें उतना एक फसल लेने के बाद साल भर के अंदर चुकता कर दें. उन्होंने किसानों के लिए चलायी जा रही योजना के बारे में बताया.
किसानों ने भी रखी अपनी राय
बैठक में कई प्रगतिशील किसान शामिल हुए, जिसमें अमित महतो, मातू मार्डी, धनंजय महतो, अनिता महतो आदि ने अपने विचार रखा और कैसे कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ा यह बताया. सभी किसानों ने कहा कृषि क्षेत्र में उन्नति के पीछे दारीसाई कृषि विज्ञान केंद्र का बड़ा योगदान रहा है.
कृषि वैज्ञानिकों ने दिए कई सुझाव, कई मुद्दों पर हुई चर्चा
बैठक में कृषि वैज्ञानिकों ने कई सुझाव दिए तो कई मुद्दों पर चर्चा और बहस भी हुई. बैठक में जेडआरएस के सह निदेशक डॉ एन सलाम, डॉ देवाशीष महतो, डॉ शंभू शरण, डॉ डी रजक, विनोद कुमार, सरायकेला-खरसंवा केबीके की ड़ॉ अनिता, जिला सहकारिता पदाधिकारी विजय तिर्की, जिला उद्यान पदाधिकारी अनिमा लकड़ा, जिला पशुपालन पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार, एलडीएम संतोष कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कालिंदी, डीडीएम, डॉ लीली, गोदरा मार्डी समेत कई प्रगतिशील किसान उपस्थित थे.