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Eid Milad-un-Nabi 2023: रोशनी से जगमगाया बरेली, कहा जाता है ‘ईदों की ईद’, जानें ईद मिलादुन्नबी की मान्यता

ईद मिलादुन्नबी दुनियाभर के मुसलमानों के लिए खास दिन है. पैगंबर मुहम्मद साहब को इस्लामी दुनिया में दुनिया के मार्गदर्शक और दुनिया के निर्माण की वजह माना जाता है. ईद मिलादुन्नबी को लेकर पुराना बरेली के सैलानी के मुन्ना खां नीम के पास से मगरिब नमाज के बाद जुलूस ए मुहम्मदी का आगाज किया गया.

Bareilly: दुनिया भर में गुरुवार को ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जा रहा है. इस्लाम धर्म के अनुयायी पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिन को ईद मिलादुन्नबी या ईद-ए-मिलाद के रूप में मनाते हैं. इसे ‘ईदों की ईद’ भी कहा जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ये त्योहार तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12 तारीख को मनाया जाता है. ईद मिलादुन्नबी के मुबारक मौके पर बरेली को रंग बिरंगी लाइट से सजाया गया है. बरेली शहर के प्रमुख रोड, जुलूस के रास्तों और घरों को कई दिन पहले से सजाया गया है.

इसके साथ ही ईद मिलादुन्नबी को लेकर पुराना शहर के सैलानी के मुन्ना खां नीम के पास से मगरिब नमाज के बाद जुलूस ए मुहम्मदी का आगाज किया गया. यह जुलूस अपने परंपरागत रास्तों से आधी रात तक निकाला गया. हालांकि, कुछ खुराफातियों ने रास्तों को लेकर शहर का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की. मगर, पुलिस की मुस्तैदी से शांति के साथ जुलूस निकाला गया. ईद मिलादुन्नबी के जुलूस में शामिल नबी के दीवानों के काफिले का जगह-जगह फूलों से स्वागत किया गया. इस दौरान पत्ती-पत्ती, फूल-फूल, या रसूल या रसूल और सरकार की आमद मरहबा के नारों से शहर गूंज गया.जुलूस में शामिल बच्चों के हाथों में इस्लामी संदेश लिखा हुआ था. इसमें शांति जा पैगाम दिया गया था. इसके साथ ही अकीदतमंदों ने घरों में कुरान ख्वानी और मिलाद का भी प्रोग्राम आयोजित किया. गुरुवार को शहर के कोहाड़ापीर से जुलूस मुहम्मदी निकाला जाएगा. जुलूस में शामिल अंजुमन डीजे भी लेकर नहीं आई थी.

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दुनिया के मुसलमानों के लिए खास दिन

ईद मिलादुन्नबी दुनियाभर के मुसलमानों के लिए खास दिन है. यह खुशी का दिन है. पैगंबर मुहम्मद साहब को इस्लामी दुनिया में दुनिया के मार्गदर्शक, और दुनिया के निर्माण की वजह माना जाता है. अल्लाह ने इसी मुबारक महीने में हजरत मुहम्मद साहब को दुनिया से जाहिलियत के अंधेरे से बाहर निकालने के लिए भेजा था. हजरत सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श बनकर आए. उन्होंने शांति का पैगाम दिया. उनके जैसा कोई नहीं था और न दुनिया में आगे आएगा.

सउदी अरब के मक्का में हुआ जन्म

आपका जन्म (यौम ए पैदाइश) सऊदी अरब के मक्का शहर में 571 ईसवी में हुआ था. यह इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक तीसरा रबी उल अव्वल का महीना है. आपके दुनिया में आने की खुशी में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है. हजरत मुहम्मद साहब ने ही इस्लाम धर्म की स्‍थापना की. आप इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला. मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं , आपको वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलैहिस्लाम को भेजकर पवित्र संदेश (वही) सुनाई थी.

आपकी शीरत पर लिखी गई लाखों किताब

हजरत मुहम्मद साहब की जिंदगी (शीरत) पर उलमा, और लेखकों ने लाखों किताब लिखीं हैं. दुनिया में आप सबसे आदर्श इंसान थे. अमेरिकी इतिहास कार डॉ. माइकल एच हार्ट ने 1978 में प्रकाशित अपनी किताब ‘दुनिया के इतिहास में 100 सबसे प्रभावशाली लोग’ में लिखा कि पैगम्बर मुहम्मद साहब (स.अ.व.) से ज्यादा प्रभावशाली व्यक्ति इस दुनिया (संसार) में कोई हुआ ही नहीं. इस किताब की 50 लाख प्रतियां बिकी थीं और इसका कम से कम 15 भाषाओं में अनुवाद किया गया.इस किताब में डॉ. माइकल एच हार्ट ने इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद साहब (स.अ.व.) को प्रथम स्थान पर रखा है.

आपने दुश्मनों को भी किया माफ

पैगम्बर मुहम्मद साहब को दीनी रोशनी फैलाने के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. जब यह लक्ष्य पूरा हो गया, तो बदतरीन दुश्मनों को भी माफ कर दिया. यहां तक कि उन लोगों को भी माफ कर दिया गया, जिन्होंने आपके चहेते चाचा हजरत हमजा को शहीद (कत्ल) करके उनके शव को विकृत किया (नाक, कान काट लिया) और पेट चीरकर कलेजा निकालकर चबाया था.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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