19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Ekadashi 2024: क्या है एकादशी व्रत की महिमा, जानें इस दिन का नियम, कथा और महत्व

Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती है. हर माह में दो एकादशी तिथि का व्रत रखा जाता है. आइए जानते है एकादशी व्रत, इस दिन का नियम, कथा और महत्व

Ekadashi 2024: साल के हर मास की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं. एकादशी संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘ग्यारह’. प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है. एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में. पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है. प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व है.

एकादशी का महत्व

पुराणों के अनुसार एकादशी को ‘हरी दिन’ और ‘हरी वासर’ के नाम से भी जाना जाता है, इस व्रत को वैष्णव और गैर-वैष्णव दोनों ही समुदायों द्वारा मनाया जाता है. एकादशी व्रत हवन, यज्ञ , वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक फल देता है, इस व्रत को रखने की एक मान्यता यह भी है कि इससे पूर्वज या पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया गया है, जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है उनके लिए एकादशी के दिन गेहूं, मसाले और सब्जियां आदि का सेवन वर्जित होता है. भक्त एकादशी व्रत की तैयारी एक दिन पहले यानि कि दशमी से ही शुरू कर देते हैं. दशमी के दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और इस दिन वे बिना नमक का भोजन ग्रहण करते हैं.

एकादशी व्रत का नियम

एकादशी व्रत करने का नियम बहुत ही सख्त होता है, जिसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना पड़ता है. यह व्रत किसी भी लिंग या किसी भी आयु का व्यक्ति स्वेच्छा से रख सकता है. एकादशी व्रत करने की चाह रखने वाले लोगों को दशमी तिथि के दिन से कुछ जरूरी नियमों का पालन करना जरूरी बतया गया है. दशमी के दिन से ही श्रद्धालुओं को मांस-मछली, प्याज, दाल (मसूर की) और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. रात के समय भोग-विलास से दूर रहते हुए, पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. एकादशी के दिन सुबह दांत साफ़ करने के लिए लकड़ी का दातून इस्तेमाल न करें, इसकी जगह आप नींबू, जामुन या फिर आम के पत्तों को लेकर चबा लें और अपनी उंगली से कंठ को साफ कर लें.

Also Read: साल 2024 में कब-कब है एकादशी व्रत, जानें जनवरी से दिसंबर तक कौन सी एकादशी होगी खास, देखें पूरी लिस्ट
एकादशी व्रत का भोजन

शास्त्रों के अनुसार श्रद्धालु एकादशी के दिन आप इन वस्तुओं और मसालों का प्रयोग अपने व्रत के भोजन में कर सकते हैं. ताजे फल, मेवे, चीनी, कुट्टू, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद आदि. एकादशी व्रत का भोजन सात्विक होना चाहिए. कुछ व्यक्ति यह व्रत बिना पानी पिए संपन्न करते हैं, जिसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है.

एकादशी को क्या न करें?

  • एकादशि तिथि को वृक्ष से पत्ते न तोड़ें.

  • बाल नहीं कटवाएं.

  • कम से कम बोलने की कोशिश करें. इस दिन किसी का अपमान न करें.

  • एकादशी के दिन चावल का सेवन भी वर्जित होता है.

  • किसी का दिया हुआ अन्न आदि न खाएं.

  • मन में किसी प्रकार का विकार न आने दें.

एकादशी व्रत कथा

साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती है. हर माह में दो बार एकादशी तिथि का व्रत किया जाता है. हर व्रत के पीछे कोई न कोई धार्मिक वजह या कथा छुपी होती है. एकादशी व्रत मनाने के पीछे भी कई कहानियां है. एकादशी व्रत कथा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. एकादशी प्रत्येक महीने में दो बार आती है, जिन्हें हम अलग-अलग नामों से जानते हैं. एकादशी व्रत के दिन उससे जुड़ी व्रत कथा सुनना अनिवार्य होता है. शास्त्रों के अनुसार बिना एकादशी व्रत कथा सुने व्यक्ति का उपवास पूरा नहीं होता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें