Jharkhand News: झारखंड के गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में हाथियों के झुंड द्वारा उत्पात मचाये जाने का सिलसिला जारी है. बलिगढ़ में तीन युवकों को घायल करने के साथ ही दूसरे व तीसरे दिन बरवा एवं तेतरडीह में घरों को तोड़ने के बाद रविवार की रात हाथियों के झुंड ने तीन गांवों में उत्पात मचाया और पांच घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. हाथी घर में रखे धान व मकई खा गये. गनीमत ये थी कि क्षतिग्रस्त किये गये चार घरों में कोई भी नहीं था. सभी लोग मकई व धान की कटाई कर एक माह पूर्व पलायन कर चुके हैं.
हाथियों के झुंड ने गढ़वा जिले के बिराजपुर गांव पहुंचकर जनु सिंह का घर क्षतिग्रस्त कर दिया. हाथियों के पहुंचने की भनक लगते ही ग्रामीणों ने उन्हें जंगलों की ओर भगाया. इसके बाद हाथियों ने औराझरिया टोले में पहुंचकर अनूप भुइयां व राजदेव सिंह के घर को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया. यहां से भागने के बाद हाथियों ने चुड़हारीन टांड़ पहुंचकर कृष्णा कोरवा व रतु नायक का घर क्षतिग्रस्त किया और धान व मकई खा गये. जानकारी देते हुए ग्रामीण फूलचंद सिंह, इंद्रदेव सिंह, नकु कोरवा, दिनेश सिंह आदि ने बताया कि रात करीब 12 बजे बिराजपुर के जंगलों से निकलकर हाथियों का झुंड गांव पहुंच गया.
घर बंद कर पलायन कर चुके अनूप व राजदेव का घर भी हाथियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया. इसकी जानकारी मिलते ही उन्हें टीना बजाकर व मशाल जलाकर भगाया गया, लेकिन जंगलों की ओर जाते-जाते हाथियों का झुंड चुड़हारीन टांड़ में भी दो घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. ग्रामीणों ने बताया कि सोमवार की सुबह उसी हाथियों के झुंड को गांव के लोगों ने जरही-कुशवार के जंगलों में देखा है. दिन में यह झुंड जंगलों में रहता है. वहीं शाम ढलते ही धान व मकई की खोज में किसी भी गांव में पहुंचकर उत्पात मचाता है. पूर्व में भी इन गांवों में हाथियों का झुंड पहुंचता था, लेकिन इतने आक्रोशित नहीं होते थे. बीती रात्रि पहुंचे हाथियों के झुंड पर टीना व मशाल जलाने का भी कोई खास असर नहीं हो रहा था.
हाथियों के झुंड के लगातार आने से इस क्षेत्र के गांवों में भय का माहौल हौ. शाम होते ही लोग घरों में दुबक जाते हैं. वहीं पहले से यह भय और भी बढ़ने लगा है. घटना के बाद अभी तक वन विभाग की टीम नही पहुंची है. उन्होंने विभाग से मुआवजे की मांग की है. पिछले कई वर्षों से हाथियों के झुंड द्वारा घरों को तोड़ने के मामले में एक कॉमन चीज देखने को मिलती है कि अधिकतर घरों को हाथियों का झुंड उसी हिस्से को क्षतिग्रस्त करता है, जिस हिस्से में धान रखा हुआ रहता है. इसके साथ ही उतना ही क्षतिग्रस्त किया जाता है जितना में हाथियों को बाहर खड़ा होकर घरों के अंदर से धान निकालने में कोई परेशानी नहीं हो. अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि हाथियों का झुंड घरों को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त नहीं करता है. ग्रामीण बताते हैं कि अनाज की खोज में हाथियों का झुंड उत्पात मचाता है.
वन क्षेत्र पदाधिकारी गोपाल चंद्रा ने कहा कि बांकुड़ा से 11 सदस्यीय टीम पहुंच चुकी है. हाथियों को ट्रेस कर रिहायशी इलाके से जंगलों की ओर खदेड़ने का काम शुरू कर दिया गया है. इससे ग्रामीणों को राहत मिलेगी.
रिपोर्ट : मुकेश तिवारी