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ऊर्जा एजेंसी में भारत

प्रधानमंत्री मोदी ने यह याद दिलाया है कि 2015 में पेरिस में हुए जलवायु सम्मेलन में निर्धारित लक्ष्यों को भारत ने समय से पहले ही पूरा कर लिया है.

महत्वपूर्ण वैश्विक संस्था अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आइइए) ने भारत को संस्था की पूर्ण सदस्यता देने की पहल की है और शीघ्र ही इस संबंध में वार्ता प्रारंभ हो जायेगी. भारत के आवेदन पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए आईईए ने वैश्विक ऊर्जा एवं जलवायु चुनौतियों का सामना करने में भारत के रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया है. यह घोषणा एजेंसी के 31 सदस्य देशों के मंत्रियों ने एक साझा पत्र में किया है. आइइए के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पेरिस में हुई मंत्रियों की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. उल्लेखनीय है कि 2017 में एसोसिएशन देश के रूप में भारत को एजेंसी में शामिल किया गया था और पिछले साल अक्टूबर में भारत ने पूर्ण सदस्यता के लिए आवेदन दिया था. भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश है और अपनी विकास आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उसकी ऊर्जा आवश्यकता में भी निरंतर वृद्धि हो रही है. भारत विभिन्न प्रकार के ऊर्जा स्रोतों का उत्पादक देश भी है और बड़ा आयातक भी. जलवायु परिवर्तन और धरती के तापमान में बढ़ोतरी की गंभीर चुनौतियों से निपटने में ऊर्जा का उत्पादन और उपभोग का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण तत्व है. ऐसे में भारत की भूमिका से समूचे विश्व को उम्मीदें हैं.

एजेंसी की पेरिस बैठक को भेजे वीडियो संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उचित ही रेखांकित किया है कि संगठन में भारत की भूमिका बढ़ने से आइइए को लाभ होगा. उन्होंने कहा है कि भारत प्रतिभा, तकनीक और अन्वेषण से संस्था के हर मिशन में सहयोगी होगा. उन्होंने यह भी कहा कि समावेश से किसी संस्था की विश्वसनीयता और क्षमता में वृद्धि होती है. भारत की दावेदारी के पक्ष में कई ठोस तथ्य और तर्क हैं. हालांकि बहुत शीघ्र जीवाश्म ईंधनों का उपयोग बंद करना अन्य देशों की तरह भारत के लिए भी असंभव है. फिर भी भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और उपभोग को जिस प्रकार अपनी नीतिगत प्राथमिकता बनाया है, वह विश्व के लिए एक उदाहरण है. पिछले वर्ष दिसंबर में दुबई में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में सभी ने भारत की उपलब्धियों की सराहना की थी. आइइए की बैठक में अपने संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने यह याद दिलाया है कि 2015 में पेरिस में हुए जलवायु सम्मेलन में जो लक्ष्य निर्धारित किये गये थे, उन्हें भारत ने समय से पहले ही पूरा कर लिया है तथा भारत इस वैश्विक मुद्दे के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है. ग्लासगो सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने 2070 तक उत्सर्जन समाप्त करने का संकल्प लिया था.

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