आर्थिक सुधारों को गति देने के क्रम में भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है. अभी तक जो प्रक्रिया है, उसमें उपग्रहों के निर्माण एवं संचालन में सरकार के माध्यम से ही निवेश हो सकता है. लेकिन नये संशोधनों में विभिन्न गतिविधियों एवं उप क्षेत्रों के लिए अलग-अलग नियम बनाये गये हैं. ये संशोधन पिछले वर्ष घोषित भारतीय अंतरिक्ष नीति की दृष्टि और रणनीति के अंतर्गत किये गये हैं. अब उपग्रहों के निर्माण एवं संचालन, डाटा उत्पाद और उपयोगकर्ता जैसे कार्यों में 74 प्रतिशत का सीधा विदेशी निवेश हो सकता है. इस सीमा से अधिक निवेश के लिए सरकार के माध्यम से निवेश करना होगा. प्रक्षेपण वाहनों एवं संबंधित प्रणालियों में 49 प्रतिशत तक सीधा निवेश लाया जा सकता है. उपग्रहों, भू-केंद्रों और उपयोगकर्ता से संबंधित उपकरणों एवं पुर्जों के निर्माण में सीधे तौर पर 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी गयी है. वर्तमान में भारत का अंतरिक्ष उद्योग आठ अरब डॉलर से अधिक है तथा वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में इसका हिस्सा दो प्रतिशत के आसपास है. इस क्षेत्र में सरकार का व्यय दो अरब डॉलर का है तथा 1999 से 34 से अधिक देशों के लिए लगभग 400 उपग्रहों के प्रक्षेपण से कमोबेश 30 करोड़ डॉलर की कमाई हुई है.
निजी क्षेत्र के लिए द्वार खोलने के बाद भारत में स्टार्टअप कंपनियों की संख्या भी बढ़ी है तथा इसरो का दायरा भी बढ़ा है. इसरो विश्व की छठी सबसे बड़ी राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है. हाल के चंद्रयान और आदित्य जैसे मिशनों से इसरो की प्रतिष्ठा में बड़ी वृद्धि हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित करते हुए यह आशा जतायी थी कि जल्दी ही हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र 16 अरब डॉलर का हो जायेगा. उस दिन भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर वाहन उतारने वाला पहला देश बन गया था. आकलनों की मानें, तो 2040 तक भारत के अंतरिक्ष उद्योग में 40 से 100 अरब डॉलर तक बढ़ जाने की संभावना है. देशी और विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए उठाये जा रहे कदमों से ऐसी संभावनाओं को साकार करने की आशा बढ़ती जा रही है. अभी तक इसरो का मुख्य ध्यान मौसम, सूचना, सर्वेक्षण, संचार, आपदाओं की पूर्व सूचना, भूमि निरीक्षण आदि पर केंद्रित रहा है. इसके अलावा, अन्य देशों और अंतरिक्ष एजेंसियों को जानकारियां उपलब्ध कराना भी महत्वपूर्ण कार्य हैं. इनके साथ अब अंतरिक्ष खनन, निर्माण, पर्यटन, इंटरनेट आदि के क्षेत्र में भी प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हो रहा है. अधिक निवेश से बड़ा आधार मिलने की आशा है.