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गोरखपुर में नकली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़, सरगना समेत तीन आरोपी गिरफ्तार, जानें कैसे हुआ खुलासा

गोरखपुर में नकली नोट बनाने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. गैंग सरगना बाहर से काला पेपर मंगवाता था और उसके अलावा अन्य सामान स्थानीय बाजार से ही खरीद लेता था. उसने बताया कि यूट्यूब पर उसने नकली नोट बनाने का तरीका सिखा था.

Gorakhpur: गोरखपुर पुलिस ने नकली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इस गिरोह के सरगना पिछले 7 वर्षों से नकली नोट बनाने का कारोबार कर रहे थे. अब तक लाखों रुपए की नोट गिरोह के सदस्यों ने बाजार में उतरे हैं. इस गिरोह के सदस्य राहुल और विक्रम पहले भी जेल जा चुके हैं. पुलिस ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है. और इसके पास से नकली नोट बनाने की कोई सामान बरामद कियें हैं.

इस गिरोह में शामिल आरोपियों की पहचान बांसगांव क्षेत्र के धनौड़ा निवासी सरगना राहुल सिंह, इसका दूसरे नंबर का बेटा अवनीश सिंह उर्फ अवनीश राय और बड़हलगंज के बैदौली निवासी चांद मोहम्मद के रूप में हुई है. अभी भी इस वीडियो के सदस्य राहुल सिंह का बड़ा बेटा विकास और देवरिया जिले के गडही का रहने वाला विक्रम जायसवाल फरार हैं. इस गिरोह के सदस्य पिछले 7 वर्षों से इस काम में लिप्त थें.

इस मामले का खुलासा करते हुए पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो मिला था. जिसमें एक व्यक्ति नकली नोट बना रहा था. जिस आधार पर पुलिस ने जब छानबीन की तो गगहा थाना क्षेत्र के हाटा बाजार में नकली नोट चलाने वाली एक युवक के बारे में जानकारी हुई. इसके बाद पुलिस ने उसे युवक को हिरासत में लिया जिसकी पहचान चांद मोहम्मद के रूप में हुई है. पुलिस द्वारा पूछताछ में उसने बताया कि वह एक अन्य व्यक्ति को बाजार में नकली नोट चलाने के लिए देता है.

जब पुलिस ने जांच की तो राहुल के बारे में जानकारी हुई. पुलिस ने घर का पता करके बांसगांव के धनौड़ा से राहुल को गिरफ्तार किया. इसके बाद पूरी गिरोह का पर्दाफाश हुआ. इस गिरोह के सरगना राहुल ने पूछताछ में बताया कि वह अपने बड़े बेटे विकास व दूसरे नंबर की बेटी अवनीश के साथ मिलकर नकली नोट बनता है.

पुलिस द्वारा पूछताछ में यह मामला सामने आया कि देवरिया जिले का निवासी विक्रम ग्राहकों को लेकर उनके पास आता था. ग्राहकों के सामने ही नोट को बना कर दिखाया जाता था और असली नोट के बदले 2 गुना कीमत की नोट छापने के लिए विशेष प्रकार का काला कागज और रसायन उन्हें दे दिया जाता था.

सरगना राहुल मूल रूप से वाराणसी जिले की जनसा थाना क्षेत्र के सरौनी गांव का रहने वाला है. जब 1 वर्ष का था तभी उसकी मां उसे लेकर बांसगांव थाना क्षेत्र के धनौड़ा ननिहाल लेकर चली आई थी. पहले वह किराए के मकान पर रहता था. 20 वर्ष पहले धनौड़ा में हीं मकान बनवा कर रहने लगा था. पुलिस द्वारा पूछताछ में उसने बताया कि वह बेटों के सहारे धंधे को चला रहा था. उसने बताया कि एक काले पेपर पर केमिकल डालकर एक ही सीरीज की 10, 20, 50,100, 200 व 500 रुपए की नकली नोट बनाता था.

उसने बताया कि वह इस समय 56 वर्ष का है. उसकी दादी धनेश्वरी देवी विधायक थी और मामा वन विभाग में अधिकारी थे.किडनी की डायलिसिस होने के कारण इस समय वह वाकर के सहारे चलता है. इस गिरोह द्वारा जो नकली नोट तैयार होता था. वह कुछ ही दिन बाद स्वतः गल जाते थे. नकली नोट छापने के लिए गिरोह का सरगना राहुल सिंह बाहर से काला पेपर मंगवाता था. इसके अलावा अन्य सामान वह स्थानीय बाजार से ही खरीद लेता था.

पुलिस द्वारा पूछताछ में इस गिरोह का सरगना राहुल सिंह ने बताया कि टेलीविजन देखकर उसने नकली नोट बनाने का तरीका सिखा था. उसने बताया कि वह नकली नोट के ग्राहकों से पांच या 10 हजार लेकर 2 गुना कीमत की नोट बनाने के लिए काले पेपर व रसायन दे देता था. नोट कैसे छापना है इसके लिए वह उनके सामने ही एक से दो नॉट छापकर सीखना था. उसने बताया कि अब तक करीब 100 से अधिक लोगों को वह ठग चुका है.

पुलिस ने इनके पास से 10,20,50,100,200 के नोट, मोबाइल फोन, ब्लैक सीट, काले रंग के शीशे, कांच की जार में सोडियम थायरॉस सल्फर, कांच की एक छोटी सीसी में सफेद रंग का पाउडर, एक डिब्बे में सफेद रंग का टुकड़ा, प्लास्टिक की सीसी में पीले रंग का पदार्थ, प्लास्टिक की एक सीसी में काले रंग का पदार्थ ,लकड़ी की एक तख्ती और इनोवा गाड़ी बरामद किया है.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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