फीफा महिला अंडर-17 विश्व कप में भारतीय टीम को अपने पहले मुकाबले में भले ही अमेरिका के हाथों 0-8 से करारी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली अष्टम उरांव ने अपनी कप्तानी में मजबूत टीम अमेरिका से लोहा लेकर इतिहास रच डाला. इधर भारतीय टीम की कप्तान अष्टम उरांव और सिमडेगा की बेटी पूर्णिमा कुमारी के मां-बाप को भी मैच देखने का मौका मिला.
अमेरिका ने भारत को 8-0 से हराया
भारत को फीफा महिला अंडर-17 विश्व कप के अपने पहले मैच में मंगलवार को यहां अमेरिका के खिलाफ 0-8 की करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. ग्रुप ए के इस एकतरफा मुकाबले के शुरुआती आधे घंटे के अंदर ही भारतीय टीम चार गोल से पिछड़ गयी थी. मध्यांतर तक अमेरिका 5-0 से आगे था. टीम ने दूसरे हाफ में तीन और गोल करके बढ़त 8-0 की बना ली.
अमेरिका की ओर से इन खिलाड़ियों ने दागे गोल
कोंकाकैफ (उत्तरी एवं मध्य अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र) चैम्पियन टीम के लिए इस मैच में मेलिना रेबिम्बास ने (नौवें और 31वें मिनट) दो गोल किये जबकि शार्लेट कोहलर (15वां), ओनेका गेमेरो (23वां), गिसेले थॉम्पसन (39वां), ईला इमरी (51वां), टेलर सुआरेज (59वां मिनट) और कप्तान मिया भूटा (62वां मिनट) ने एक-एक गोल किया.
अमेरिका के आगे कहीं नहीं ठहर पायी भारतीय टीम
मैच के दौरान भारतीय टीम कहीं से प्रतिद्वंद्वी टीम को टक्कर देते नहीं दिखी. घरेलू दर्शकों के सामने महिला विश्व कप में देश का पहला मैच एक बुरा सपना साबित हुआ. मेजबान के आधार पर इस आयु-वर्ग के टूर्नामेंट में जगह बनाने वाली भारतीय टीम को 2008 में इसके शुरुआती सत्र की उपविजेता के खिलाफ रक्षापंक्ति के लचर खेल का खामियाजा भुगतना पड़ा. मैच में भारतीय टीम के खराब प्रदर्शन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहले हाफ में अमेरिका ने 70 प्रतिशत समय तक गेंद को अपने नियंत्रण में रखा. भारतीय टीम केवल दो बार अमेरिका की रक्षापंक्ति को भेद पायी लेकिन एक बार भी उनके खिलाड़ियों का शॉट गोल-पोस्ट के पास नहीं पहुंचा. भारत को अब 14 अक्टूबर को मोरक्को और 17 अक्टूबर को ब्राजील के खिलाफ खेलना है.
बेहद गरीब परिवार से आती है कप्तान अष्टम उरांव और पूर्णिमा कुमारी
भारतीय महिला टीम की कप्तानी गुमला के गोर्राटोली गांव की अष्टम उरांव कर रही हैं. जबकि सिमडेगा की पूर्णिमा कुमारी भी इस टीम का हिस्सा हैं. दोनों काफी गरीबी से आगे बढ़ी हैं. झारखंड की दोनों बेटियों के घर में टीवी भी नहीं थी, लेकिन प्रशासन की मदद से दोनों के घर पर टीवी की व्यवस्था की गयी, जिससे उनके माता-पिता और परिवार के लोग अपनी बेटी को मैच खेलते टीवी पर देख पाये.