सीटू, अखिल भारत किसान सभा, अखिल भारत खेल मजदूर यूनियन ने 5 अप्रैल को मोदी सरकार की जनविरोधी, मजदूर विरोधी, राष्ट्रविरोधी नीतियों के खिलाफ दिल्ली चलो अभियान को सफल बनाने का आह्वान किया है. सीटू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश महासचिव विष्णु महंती ने सेक्टर-16 स्थित श्रमिक भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में इस अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहकर सत्ता में आये थे कि, वे देश की जनता को अच्छे दिन दिखायेंगे.
लेकिन उनके 9 साल के शासन के बाद मुट्ठी भर पूंजीपतियों के ही अच्छे दिन आये हैं व जनता के बुरे दिन शुरू हो गये हैं. पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए काफी आगे निकल चुकी है. देश में दैनिक जरूरतों की चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं. जहां सरकार मोदी सरकार के कॉरपोरेट मित्रों का हजारों करोड़ का बकाया बैंक कर्ज माफ कर रही है, वहीं देश की आम जनता पर विभिन्न माध्यमों से टैक्स का बोझ बढ़ा दिया गया है.
उन्होंने देशवासियों से इस जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इस अभियान में देश भर से 15 लाख मजदूर, युवा, आशा, खेत मजदूर व अन्य लोग शामिल रहेंगे. जबकि ओडिशा से दस से 15 हजार तथा सुंदरगढ़ जिले से दो हजार लोग भी इस अभियान का हिस्सा लेने दिल्ली जायेंगे.
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अलग-अलग जिलों में चल रहा है जत्था : मजदूर किसान संघर्ष रैली को सफल बनाने के लिए सीटू के प्रदेश उपाध्यक्ष विमान माइती के नेतृत्व में 10 जिलों में जत्था चलाया जा रहा है. इन जत्थो में हजारों की संख्या में मजदूर व खेतिहर मजदूर शामिल हो रहे हैं. इसके अलावा अन्य जिलों में भी इस अभियान को सफल बनाने को लेकर जत्था शुरू किया गया है.
इस अभियान की 20 सूत्री मांगों में से न्यूनतम मजदूरी 20,000 प्रति माह देने, कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को देने, सभी गरीब, मध्यमवर्गीय किसान, कृषि सरकार श्रमिकों का एक मुश्त कर्ज माफ करने, 4 लेबर कोड एवं विद्युत संशोधन विधेयक-2022 एवं परिवहन संशोधन अधिनियम को निरस्त करने, मनेरगा में न्यूनतम 200 दिन का काम 600 रुपये प्रतिदिन देने, राज्य और केंद्र सरकार के अधीन सभी रिक्तियों को भरने, महंगाई को नियंत्रित करने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वजनिक करने, आंगनबाड़ी, आशा, रसोइया, आइसीआरपी, बैंक मित्रों जैसे सभी योजना कार्यकर्ताओं को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने, परिवहन कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की मांग शामिल है.