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मेहमान टीमें भी तैयार : विश्व कप हॉकी का रंगारंग उद्घाटन, कल से खेलें जायेंगे मुकाबले

2018 में हॉकी विश्व कप का खिताब जीतने के बाद बेल्जियम ओलिंपिक चैंपियन भी बना है. ऑस्ट्रेलिया जहां एक बार फिर से दावेदार के तौर पर चुनौती देने उतरेगा, तो जर्मनी का रिकॉर्ड भी पिछले कुछ मैचों से अच्छा रहा है, वह भी चौंका सकता है.

हॉकी विश्व कप का बुधवार को रंगारंग उद्घाटन के बाद अब 13 जनवरी से इसमें हिस्सा लेनेवाली भारत सहित कुल 16 टीमें एक-दूसरे को चुनौती देंगी. हर भारतीय की तमन्ना है कि हमारी टीम विश्व चैंपियन बने, लेकिन मेहमान टीमों को कम आंकना गलती होगी. पिछले चार वर्षों से शानदार प्रदर्शन कर रही बेल्जियम की टीम को रोकना मुश्किल होगा. 2018 में हॉकी विश्व कप का खिताब जीतने के बाद बेल्जियम ओलिंपिक चैंपियन भी बना है. ऑस्ट्रेलिया जहां एक बार फिर से दावेदार के तौर पर चुनौती देने उतरेगा, तो जर्मनी का रिकॉर्ड भी पिछले कुछ मैचों से अच्छा रहा है, वह भी चौंका सकता है.

ऑस्ट्रेलिया

पिछले 30 बरस में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने पुरुष हॉकी में सबसे निरंतर प्रदर्शन किया है. इस दौरान टीम एफआइएच विश्व रैंकिंग में शीर्ष चार में बनी रही. उन्होंने ओलिंपिक, विश्व कप, एफआइएच हॉकी-प्रो लीग और ओसियाना कप खिताब सहित सभी टूर्नामेंट जीते. पूर्व स्ट्राइकर कॉलिन बैच में मार्गदर्शन में खेल रही टीम ने 2021 में तोक्यो ओलिंपिक में बेल्जियम से शूट-आउट में हार के बाद से बहुत अधिक मुकाबले नहीं खेले हैं. टीम ने हालांकि पिछले साल अगस्त में बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में भारत को 7-0 से हराकर सातवीं बार खिताब अपने नाम कियाय. तब से उन्होंने नवंबर-दिसंबर में घरेलू सीरीज में भारत के खिलाफ सिर्फ पांच मैच खेले, जिसमें टीम ने 4-1 से जीत दर्ज की. ऑस्ट्रेलिया ने इस सत्र में अपना प्रो-लीग अभियान शुरू नहीं किया है, लेकिन उसे तेज गति की हॉकी के लिए जाना जाता है और टीम मजबूत डिफेंस के साथ आक्रामक हॉकी खेलती है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऑस्ट्रेलियाई की नजरें रिकॉर्ड की बराबरी करने वाले चौथे विश्व खिताब पर होंगी. पिछले टूर्नामेंट में तीसरे स्थान पर रही टीम के अहम खिलाड़ी कप्तान एडी ओकेनडेन, पेनाल्टी कार्नर विशेषज्ञ ब्लेक गोवर्स, डिफेंडर जेक हार्वी और मिडफील्डर एरेन जालेवस्की हैं.

बेल्जियम

यूरोपीय देशों के बीच बेल्जियम ने पिछले दो दशक में शीर्ष स्थान का सफर तय किया है. पिछले कुछ समय में टीम ने विश्व कप (2018), ओलिंपिक (2021), यूरोपीय चैंपियन (2019) और एफआइएच हॉकी प्रो-लीग (2020-21) सहित सभी प्रमुख खिताब जीते हैं. गत चैंपियन टीम एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड के साथ खिताब जीतने की प्रबल दावेदार है. नीदरलैंड के माइकल वैन डेन ह्यूवेल के मार्गदर्शन में खेल रही टीम के पास विभाग में ताकत और गहरायी है और उसके पास दुनिया के कुछ बेहतरीन खिलाड़ी हैं. टीम ने अनुभवी खिलाड़ियों पर भरोसा किया है. टीम के आधे से अधिक खिलाड़ी 30 साल से अधिक के हैं और टीम के आधे से अधिक खिलाड़ियों ने 200 के करीब या इससे अधिक मैच खेले हैं. एफआइएच के साल के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर की दौड़ में भारत के पीआर श्रीजेश से पिछड़े विन्सेंट वनाश और लोइक वान डोरेन के रूप में टीम के पास दो विश्व स्तरीय गोलकीपर हैं, जबकि आर्थर वान डोरेन, विक्टर वेगनेज, फेलिक्स डेनेयर, फ्लोरेंट वान ऑबेल, जॉन-जॉन डोहमेन, अलेक्जेंडर हेंड्रिकक्स, आर्थर डि स्लोवर और टॉम बून के रूप में टीम के पास असाधारण खिलाड़ी है.

 नीदरलैंड

खिलाड़ी के रूप में दो ओलिंपिक स्वर्ण जीतने वाले मुख्य कोच जेरोइन डेलमी के मार्गदर्शन में नीदरलैंड की टीम प्रदर्शन में निरंतरता लाने में सफल रही है. वर्ष 2021 के दूसरे हाफ में पद संभालने के बाद डेलमी ने टीम को मजबूत बनाया है. एफआइएच हॉकी प्रो-लीग के 2021-22 सत्र में अपने 16 मैच में से 12 मैच जीतकर टीम ने खिताब जीता. पिछले दो एफआइएच पुरुष विश्व कप फाइनल में हार का सामना करने के बाद टीम की नजरें इस बार खिताब पर हैं. टीम चौथा विश्व खिताब जीतकर पाकिस्तान की बराबरी करने की कोशिश करेगी. कप्तान थियेरी ब्रिंकमैन, स्ट्राइकर कोएन बिजेन, पेनाल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ जिप जेनसन और गोलकीपर पिरमिन ब्लाक उन खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन पर नजर रहेंगी

जर्मनी

चार ओलिंपिक स्वर्ण पदक, दो विश्व कप और आठ यूरोपीय खिताबों के साथ जर्मनी का अंतरराष्ट्रीय हॉकी में एक जीवंत इतिहास रहा है. टीम ओलिंपिक और विश्व कप में लगातार अच्छा प्रदर्शन करती रही है. तोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक के प्ले ऑफ में भारत से हारने के बाद जर्मनी को आंद्रे हेनिंग के रूप में एक नया कोच मिला. टीम ने पिछले साल 18 में से 13 मैचे हैं. फॉरवर्ड निकलास वेलेन और गोलकीपर अलेक्जेंडर स्टेडलर जर्मनी की टीम के महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं. अन्य स्टार खिलाड़ी फारवर्ड क्रिस्टोफर रुहर और कप्तान मैट्स ग्रामबश हैं.

इंग्लैंड

इंग्लैंड केवल एक बार 1986 में विश्व कप फाइनल में खेला था और तब उसे लंदन में घरेलू दर्शकों के सामने ऑस्ट्रेलिया से 1-2 से हार का सामना करना पड़ा था. वे पिछले तीन टूर्नामेंट में चौथे स्थान पर रहे और नये मुख्य कोच पॉल रेविंगटन के मार्गदर्शन में टीम अपना पहला खिताब जीतने की उम्मीद कर रही होगी. वे इस विश्व कप में एक युवा टीम के साथ आये हैं, जिसमें से 10 खिलाड़ियों को इस स्तर पर खेलने का अनुभव नहीं है. जैच वालेस, कोंडोन डेविड, मार्टिन हैरी और रोपर फिल इंग्लैंड के उन खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन पर नजर रहेंगी

अर्जेंटीना

रियो ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना अमेरिकी महाद्वीप की शीर्ष टीम है, जिसने 14 मौकों पर महाद्वीपीय खिताब जीता है. तेजतर्रार शैली और तकनीकी क्षमता के साथ टीम अपने दिन दुनिया की किसी भी टीम को हरा सकती है. उन्होंने नवंबर में ओलंपिक और विश्व चैंपियन बेल्जियम पर अपनी 2-1 की जीत के दौरान यह दर्शाया था. अर्जेंटीना के पूर्व गोलकीपर मारियानो रोनकोनी के मार्गदर्शन में खल रही टीम हालांकि टीम विश्व कप में संघर्ष करती रही है. अर्जेन्टीना की टीम अब तक 13 प्रास में सिर्फ एक बार 2014 में सेमीफाइनल में पहुंची और तीसरे स्थान पर रही थी.

स्पेन

स्पेन ने 1971 में पहले विश्व कप की मेजबानी की. टीम दो बार विश्व कप फाइनल खेल चुकी है, लेकिन खिताब जीतने में नाकाम रही. टीम पूल डी में छिपा रुस्तम होगी, जिसमें भारत, इंग्लैंड और वेल्स भी हैं.

न्यूजीलैंड

न्यूजीलैंड अपने 11वें विश्व कप में प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूरी तरह तैयार है. टीम कभी विश्व कप में सातवें से बेहतर स्थान हासिल नहीं कर पायी है. टीम के पास वास्तव में विश्व स्तर के खिलाड़ी हैं, जो इस बार परिणाम बदल सकते हैं.

कोरिया

पिछले टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाइ करने में विफल रहने के बाद कोरिया ने एशिया कप में शानदार जीत के साथ विश्व कप में वापसी की. फाइनल में मलयेशिया को हराया. टीम नवंबर में सुल्तान अजलन शाह कप के उपविजेता रहीं.

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