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UP News: अलीगढ़ की इस मस्जिद में एक साथ 5000 लोग अदा करते हैं नमाज, जानिए कितना जड़ा है सोना

अलीगढ़ में ऊपरकोट की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के गुंबद व मीनारों के ऊपर इतना सोना चढ़ा है कि एशिया के किसी दूसरी मस्जिद में नहीं है. इसकी शानदार नक्काशी वास्तुकला देखने में बेहद अनूठा है. इसको देखकर ताजमहल की याद आ जाती है.

अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ऊपरकोट की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के गुंबद व मीनारों के ऊपर इतना सोना चढ़ा है कि एशिया के किसी दूसरी मस्जिद में नहीं है. इसकी शानदार नक्काशी वास्तुकला देखने में बेहद अनूठा है. इसको देखकर ताजमहल की याद आ जाती है. मुगल कालीन इस जामा मस्जिद में कई पीढ़ियों से अकीदतमंद यहां नमाज अदा कर रहे हैं. जुम्मा अलविदा की नमाज को लेकर यहां पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मुगल काल में मोहम्मद शाह (1719- 1728) के शासनकाल में कोल के गवर्नर साबित खान ने इसका निर्माण कराया था. 1724 में निर्माण शुरू हुआ, तो इसको बनने में 14 साल लग गए. खास बात यह है कि यह मस्जिद टीले पर बनी है. ऊंचाई पर बनी होने के कारण अलीगढ़ के हर कोने से यह मस्जिद दिखती है. करीब 300 साल पहले बनी इस मस्जिद में 17 गुंबद है. और तीन दरवाजे हैं. हर दरवाजे पर दो-दो गुंबद है.

एक साथ पांच हजार लोग पढ़ सकते हैं नमाज

यहां एक साथ पांच हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं. खासतौर से औरतों के लिए नमाज पढ़ने का यहां अलग से इंतजाम है. अलीगढ़ में सबसे पुरानी और भव्य मस्जिदों में एक है. सफेद गुंबदों की संरचना वाली खूबसूरत मस्जिद में मुस्लिम कला और संस्कृति की झलक दिखती है. कोतवाली थाने के बिल्कुल सामने ऊपरकोट स्थित इस मस्जिद की गुंबदो और मीनारों पर इतना गोल्ड चढ़ा है. जितना एशिया के किसी दूसरी मस्जिद में नहीं है. इस मस्जिद की वास्तुकला और नक्काशी आला दर्जे की है. जो ताजमहल की याद दिला देती है. पुरातत्व विभाग द्वारा मस्जिद का सर्वेक्षण किया जा चुका है. मस्जिद की पहली मंजिल पर 40 और दूसरी मंजिल पर सीढ़ियों की संख्या 19 है. करीब 8 से 10 फीट लंबी 3 मीनारें मुख्य गुंबद पर लगी है. तीनों गुंबद के बराबर में बने एक- एक गुंबद पर छोटी-छोटी तीन मीनारें हैं. मस्जिद के गेट और चारों कोनों पर भी छोटी-छोटी मिनारे हैं . सभी गुंबदो और मीनारों में शुद्ध सोना मढ़ा हुआ है. गुंबद में भी कई कुंतल सोना है.

KBC में अमिताभ बच्चन भी पूछ चुके हैं इससे जुड़े सवाल

हालांकि कितना सोना लगा है. इसका अंदाजा किसी को नहीं है. ऐसे में मस्जिद कमेटी इसका संरक्षण पुरातत्व विभाग के हवाले करना चाहती है. मस्जिद के गुंबद की बनावट इस तरह की गई है कि उस पर चढ़ना मुश्किल है . इस पर शीप और खास तरह के रंगीन पत्थरों का लेप किया गया है. जो इंसान को चढ़ने में मुश्किल पैदा करता है, हालांकि ताजमहल और मस्जिद की कारीगरी में बहुत कुछ समानताएं हैं. यह मस्जिद बिना सरिया और कंक्रीट की मदद से बनी है. छत पर भी सोने के पानी से बेजोड़ कलाकृतियां उभारी गई हैं. कौन बनेगा करोड़पति में अमिताभ बच्चन ने इससे जुड़ा सवाल पूछा था भारत के किस धार्मिक स्थल में सबसे ज्यादा सोने का इस्तेमाल किया गया. जिसमें ऑप्शन तिरुपति मंदिर, स्वर्ण मंदिर, अलीगढ़ की जामा मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर था. इसका जवाब अलीगढ़ की जामा मस्जिद बताया गया. जामा मस्जिद में भारत ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे ज्यादा सोना लगी मस्जिद है.

इस जामा मस्जिद 73 कबरें हैं

वहीं अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति की यादें भी इस जामा मस्जिद से जुड़ी है. देश की यह पहली मस्जिद होगी जहां 1857 की क्रांति के शहीदों की 73 कबरें भी हैं. इसे गंज ए शहीदन यानि कि शहीदों की बस्ती भी कहते हैं. अंदाजे के मुताबिक मस्जिद में करीब 6 कुंतल सोना लगा है. कुछ समय पहले मस्जिद की सबसे छोटी मीनार की मरम्मत कराई गई. तब उसमें लगे सोने की शुद्धता को अलग-अलग पारखियों से जांच कराई गी. जिन्होंने इस में आला किस्म का पक्का सोना बताया. कुछ साल पहले मीनार में लगे सोने को चोरी करने का प्रयास किया गया था लेकिन यह कारनामा चोर अंजाम नहीं दे सका.

रिपोर्ट- आलोक, अलीगढ़

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