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गिरिडीह का गांडेय प्रखंड ODF घोषित, फिर भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं ग्रामीण, जानें कारण

स्वच्छ भारत मिशन के तहत गिरिडीह जिला अंतर्गत गांडेय प्रखंड ओडीएफ घोषित है. इसके बावजूद कई पंचायत के ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. कारण है शौचालय घरों की रख-रखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील होने लगा है.

Jharkhand News: खुले में शौच से मुक्त करने के लिए सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission-SBM) के जरिए घर-घर शौचालय का निर्माण तो कराया, लेकिन गुणवत्ता की कमी और देखरेख के अभाव में ये शौचालय बेकार हो गये हैं. ऐसी स्थिति गिरिडीह जिला का गांडेय प्रखंड में देखी जा सकती है. गांडेय प्रखंड को ODF घोषित किया गया है, लेकिन यहां के ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.

क्या है मामला

वर्ष 2016-17 में गांडेय प्रखंड में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी 26 पंचायतों में करीब 17 हजार शौचालय का निर्माण किया गया है. स्वच्छता समिति की निगरानी में प्रत्येक पंचायत में कहीं 600, तो कहीं 700 शौचालय का निर्माण किया गया. लेकिन, शौचालय निर्माण में ठेकेदारी प्रथा एवं कमीशन खोरी के कारण शौचालय की गुणवत्ता निम्न रही और निर्माण के साथ ही इसपर उंगली भी उठने लगी. इसके कारण अब ये अनुपयोगी साबित हो रहे हैं.

कहीं टूट गया एस्बेस्टस, तो कहीं गायब हुआ गेट

स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से शौचालय निर्माण के साथ ही कहीं एस्बेस्टस टूटने, तो कहीं दरवाजा उखड़ने की शिकायतें आने लगी. कई स्थानों में पिट धंसने, तो कहीं टंकी गायब होने लगी. हालांकि, इस बीच वर्ष 2018 में समारोह आयोजित कर जैसे-तैसे पंचायत को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ ) घोषित कर दिया गया.

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ओडीएफ घोषित होने के बाद और बदहाल हो गया शौचालय

विभागीय स्तर पर पंचायतों को ओडीएफ घोषित किये जाने के पूर्व आम लोगों के बीच शौचालय निर्माण, उपयोग एवं रख-रखाव की जानकारी दी जा रही थी, लेकिन ओडीएफ घोषित होने के बाद मुखिया, जल सहिया, स्वच्छता ग्राही समेत एसबीएम से जुड़े कर्मी शिथिल हो गए और जागरूकता में भी कमी आयी. जिस कारण धीरे-धीरे शौचालय की स्थिति बद से बदतर होती चली गयी.

केस स्टडी-1

बड़कीटांड पंचायत अंतर्गत कुसुम्भा गांव में काली तुरी का शौचालय अनुपयोगी हो चुका है. उसके शौचालय की छत पर डिश की छतरी स्वच्छता अभियान की रफ्तार को जगजाहिर कर रहा है.बताया कि ठेकेदार द्वारा जैसे-तैसे शौचालय बना दिया गया था और पानी के अभाव में यह अनुपयोगी हो चुका है.

केस स्टडी-2

गांडेय पंचायत अंतर्गत गांधी नगर में राजू साव और संजय साव के नाम शौचालय निर्माण किया गया. स्थानीय लोगों की मानें तो जहाँ शौचालय का निर्माण हुआ है वहां से लाभुक का आवास 5 सौ मीटर दूर है.जिस कारण निर्माण के कुछ दिन बाद ही शौचालय का दरवाजा और एस्बेस्टस उखाड़ लिया गया.

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केस स्टडी-3

दासडीह पंचायत अंतर्गत देवनडीह निवासी बलदेव पण्डित के घर के पिछवाड़े में निर्मित शौचालय बद से बदतर हो चुका है. लाभुक के अनुसार विभागीय स्तर पर जैसे तैसे शौचालय बना दिया गया. जिस कारण कालांतर में काफी जर्जर हो गया है.

मॉनीटरिंग की कमी के कारण बदहाल हुआ शौचालय : प्रखंड समन्वयक

गांडेय के प्रखंड समन्वयक वीरेंद्र कुमार ने कहा कि पिछले कई माह से अनुबंध कर्मी हड़ताल में हैं. जल सहिया को भी मानदेय से वंचित रखा गया है. जिस कारण वे लोग मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहे हैं. कहा कि जागरूकता, देखरेख एवं उपयोगिता के अभाव में शौचालय की स्थिति जर्जर हुई है.

मेरे कार्यकाल के पूर्व बना है शौचालय : बीडीओ

गांडेय बीडीओ विजय कुमार ने कहा कि उनके कार्यकाल के पूर्व स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय का निर्माण हुआ था. फिर भी स्थिति का अवलोकन कर शौचालय की स्थिति में सुधार और इसकी उपयोगिता की दिशा में पहल की जाएगी.

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रिपोर्ट : समशुल अंसारी, गांडेय, गिरिडीह.

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