गंगासागर की तट पर स्थित कपिल मुनि मंदिर काफी पुराना है. इस जगह के साथ पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. इसका विशेष महत्व है. कपिल मुनि का मंदिर 1437 में स्वामी रामानंद ने स्थापित किया था. हालांकि, पहला मंदिर वर्तमान जगह से लगभग 20 किमी की दूरी पर था. लेकिन जलस्तर बढ़ने से यह समुद्र में समा गया. इसे फिर दूसरी जगह स्थापित किया गया. पर कुछ सालों बाद यह मंदिर भी समुद्र में समा गया. बताया जाता है कि इसी तरह कपिल मुनि के तीन मंदिर समुद्र में समा चुके हैं. अब वर्तमान मंदिर पर भी खतरा मंडरा रहा है. बताया जाता है कि वर्तमान मंदिर का निर्माण 1970 के दशक में किया गया था. लेकिन जब यह बना था, उस समय सागर से करीब चार किमी की दूरी पर था. वर्तमान समय में सागर से कपिल मुनि मंदिर की दूरी कम होकर मात्र 500 मीटर रह गयी है.
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बंगाल सहित पूरे देश के तटवर्ती इलाकों में समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है. इन क्षेत्रों में मौसम में भी तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. बंगाल समेत देश के तटवर्ती इलाकों में आये दिन चक्रवाती तूफान आ रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में चक्रवाती तूफानों की संख्या, गति व तीव्रता में काफी वृद्धि देखी गयी है. इसका असर सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल गंगा सागर पर भी पड़ रहा है.
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कोलकाता से करीब 100 किमी दूर दक्षिण 24 परगना जिले के सागर द्वीप पर स्थित यह तीर्थस्थल हर साल छोटा होता जा रहा है. सागर द्वीप वर्तमान में करीब 224.3 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. यहां 43 गांव हैं. इनमें सबसे बड़ा गांव है, गंगा सागर. समुद्र के बढ़ते जलस्तर ने इस पूरे द्वीप को खतरे में डाल दिया है. जानकार बताते हैं, 1969 से 2022 तक लगभग 52 वर्षों में सागरद्वीप का 31 वर्ग किमी ( लगभग छह किमी का इलाका) क्षेत्र पानी में समा गया है. 1969 के आसपास सागरद्वीप का कुल क्षेत्रफल 255 वर्ग किमी के आस-पास था, जो अब कम होकर 224.3 वर्ग किमी हो गया है. यानी हर साल औसतन 110 मीटर (0.6 वर्ग किमी ) का भू-भाग जलमग्न हो रहा है.
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गंगा सागर में स्थित वर्तमान कपिल मुनि मंदिर भी खतरे में है. अगर अब भी केंद्र व राज्य सरकार सचेत नहीं हुई, तो अगले एक दशक में कपिल मुनि मंदिर भी पानी में समा जायेगा. वर्तमान मंदिर का निर्माण 1970 के दशक में किया गया था. लेकिन जब यह बना था, उस समय सागर से करीब चार किमी की दूरी पर था, लेकिन वर्तमान समय में सागर से कपिल मुनि मंदिर की दूरी कम होकर मात्र 500 मीटर रह गयी है. अगर इसी तरह समुद्र का जलस्तर बढ़ता रहा और कटाव जारी रहा, तो बहुत जल्द कपिल मुनि मंदिर भी पानी में समा जायेगा.
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कपिल मुनि का मंदिर 1437 में स्वामी रामानंद ने स्थापित किया था जो डूब गया. फिर दूसरी जगह स्थापित किया गया. पर कुछ सालों बाद यह मंदिर भी समुद्र में समा गया. बताया जाता है कि वर्तमान मंदिर का निर्माण 1970 के दशक में किया गया था. लेकिन जब यह बना था, उस समय सागर से करीब चार किमी की दूरी पर था. वर्तमान समय में सागर से कपिल मुनि मंदिर की दूरी कम होकर मात्र 500 मीटर रह गयी है.
विशेषज्ञों के अनुसार, तटीय पर्यावरण के मुद्दे अत्यधिक जटिल हैं, इसलिए तटीय क्षेत्र के विकास पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए. भूमि, समुद्र और वायुमंडल के बीच निरंतर भौतिक संपर्क तट को एक गतिशील क्षेत्र बनाता है. सागर द्वीप तट ज्वार-भाटा बहुल वाला क्षेत्र है. अत्यधिक उच्च ज्वार के दौरान यहां उच्च ज्वार छह मीटर तक पहुंच जाता है और कभी-कभी ये प्रभाव चक्रवातों के दौरान बहुत अधिक होते हैं, जो अक्सर तट के इस हिस्से में होते हैं. उस समय तो छह मीटर से उच्च ज्वार आते हैं, जिससे तटवर्ती क्षेत्रों में कटाव बहुत अधिक होता है.