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गव्य विकास योजना : गढ़वा में गड़बड़ी की आशंका, बिना वितरण किये ही रुपये निकालने का लगा आरोप

गढ़वा में दुधारू गाय वितरण योजना में गड़बड़ी की आंशका व्यक्त की है. इसके तहत बिना वितरण किये ही राशि निकालने का आरोप है, वहीं लक्ष्य से अधिक वितरण का आरोप लगा है. इस गड़बड़ी को देखते हुए दूसरे गाय के वितरण पर रोक लगा दी गयी है.

गढ़वा, पीयूष तिवारी : गढ़वा जिले में गव्य विकास विभाग की ओर से संचालित दो दुधारू गाय वितरण की योजना में गड़बड़ी की संभावना के बीच राज्य स्तर से दूसरे गाय के वितरण पर रोक लगा दी गयी है. इस वजह से इस जिले में तीन साल से दो के बदले लाभुकों को सिर्फ एक गाय ही मिली है. वर्ष 2020-21, 2021-22 एवं 2022-23 में गढ़वा जिले के किसी भी लाभुक को दूसरी गाय नहीं मिली है.

निम्न नस्ल का गाय देने का आरोप

दरअसल, गढ़वा जिले में दुधारू गाय वितरण योजना में बिना गाय वितरण किये ही राशि निकासी का आरोप लगाया गया था. इसके सत्यापन के लिए करीब सात माह पहले राज्य स्तरीय टीम भी गढ़वा आयी थी. यह पाया गया था कि यहां वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में जो गाय वितरित की गयी, उनमें से ज्यादातर का बीमा ही नहीं कराया गया है. जबकि गाय वितरण की राशि में बीमा राशि भी शामिल होती है. जिन लाभुकों को गाय दी गयी है, वह भी काफी कम दूध देनेवाली तथा निम्न नस्ल की है. इस गड़बड़ी की आशंका के बाद से राज्य स्तर से ही दूसरे गाय की राशि विमुक्त करने पर रोक लगा दी गयी है.

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गव्य विकास पदाधिकारी का पद रिक्त

फिलहाल जांच कहां तक पहुंची और इस पर राज्य स्तर से क्या कार्रवाई हुई. इस संबंध में विभागीय लोगों को कोई जानकारी नहीं है. गौरतलब है कि गत चार वर्षों से गढ़वा जिले में गव्य विकास पदाधिकारी का पद भी जिला पशुपालन पदाधिकारी के प्रभार में चलाया जा रहा है. इस वजह से आपूर्तिकर्ता किस प्रकार का गाय वितरित कर रहे हैं, इसकी समुचित निगरानी नहीं हो पा रही है. वर्तमान में डालटेनगंज के पदाधिकारी को गढ़वा के गव्य विकास पदाधिकारी एवं पशुपालन पदाधिकारी दोनों का प्रभार मिला हुआ है.

बेहतर गाय नहीं मिलने से लाभुक कर रहे किनारा

गढ़वा जिले के पशुपालकों को अच्छी नस्ल की पर्याप्त दूध देनेवाली गाय वितरित नहीं होने से लाभुक आपूर्तिकर्ता से गाय लेने से इनकार करने लगे हैं. इस वजह से लाभुक के रूप में चयन होने के बाद भी पशुपालक संतोषजनक गाय नहीं मिलने की वजह से अपना अंशदान नहीं कर रहे हैं. इस वजह से गव्य विकास विभाग गाय वितरण का लक्ष्य हासिल नहीं कर पा रहा है. गत तीन वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें, तो यह स्थिति स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है.

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लक्ष्य से कम गौ वितरण का आरोप

वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिले में सामान्य श्रेणी में (50 प्रतिशत अनुदान पर) 170 लोगों को गाय देना था, लेकिन मात्र 132 लोगों ने ही गाय ली. इसी तरह इसी साल अनुसूचित जाति श्रेणी में 30 लाभुकों के बदले मात्र 19 लोगों ने ही ली. इसी तरह वित्तीय वर्ष 2021-22 में सामान्य श्रेणी के (50 प्रतिशत अनुदान) 330 लाभुकों में से मात्र 98 एवं अनुसूचित जाति के 50 लाभुकों में से 14 ने ही गाय खरीदी. जबकि गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में दो दुधारू गाय की योजना में अनुदान की राशि 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत एवं फिर 90 प्रतिशत कर दी गयी. इसमें सामान्य श्रेणी के 120 लाभुकों में से 41 तथा अजा श्रेणी के 40 में से 17 ने ही गाय खरीदी है.

भवनाथपुर में तस्करों से 19 पशुओं को ग्रामीणों ने पकड़ा

दूसरी ओर, भवनाथपुर स्थित पंडरिया पंचायत अंतर्गत करमाही जंगल के रास्ते तस्करी के लिए ले जाये जा रहे 19 मवेशियों को ग्रामीणों ने पकड़ा. इनमें 16 बैल व तीन गाय शामिल हैं. सूचना पर पहुंची भवनाथपुर पुलिस ने उक्त सभी मवेशियों को जब्त कर थाना लाया. यद्यपि ग्रामीणों को आते देख इसमें संलिप्त लोग अंधेरे का लाभ उठाकर भाग निकले. थाने में कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद सभी मवेशियों को ग्रामीणों के बीच वितरित कर दिया गया.

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पशु तस्करी का खेल

पशु तस्कर खरौंधी व यूपी से सटे गांव से गाय-बैल खरीद कर घाघरा के जंगलो में एकत्रित करते है. वहां आसपास के इलाकों के गरीब लड़कों को पैसे का प्रलोभन देकर उनसे रात के अंधेरे में ही घाघरा, करमाही व कैलान के जंगल के रास्ते मवेशियों को बरडीहा सीवान तक ले जाया जाता है. इसके बाद यहां से दूसरे लोग मवेशियों को मझिआंव पंहुचाते हैं. मझिआंव से मवेशियों को कंटेनर या ट्रक से दूसरे राज्यों में ले जाया जाता है.

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