चाकुलिया प्रखंड के लोग जंगली हाथियों के उत्पात से ज्यादा विभागीय लापरवाही से परेशान हैं. जंगली हाथी नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन विभाग मुआवजा देने में लेटलतीफी करता है. इसके बाद भी मुआवजा कम मिलता है. चौठिया गांव में छह माह पहले जंगली हाथी ने रामेश्वर मुर्मू. के घर को तोड़ दिया. गरीब मजदूर रामेश्वर छह माह से मुआवजा का इंतजार कर रहा है. वह अपनी पत्नी और 13 वर्षीय बेटी के साथ टूटे घर में रहने को मजबूर है. घर के बाहर एक खाट बिछी है. खाट पर सारे सामान रखा है. उसे भीगने से बचाने के लिए प्लास्टिक के फटे बोरों से ढंक दिया गया है. इसी खाट के नीचे बर्तन और खाने के समान रखे जाते हैं. रामेश्वर व उसकी पत्नी प्रतिदिन घर के बाहर चूल्हे पर खाना बनाकर भोजन ग्रहण करते हैं. इसके बाद मजदूरी करने चले जाते हैं. बेटी स्कूल चली जाती है. बचे भोजन को खाट के नीचे ढंक कर रख दिया जाता है. कई बार कुत्ते, बिल्ली, बकरी, सुअर आदि गिरा देते हैं. रात में घर के बाहर चौखट पर सोने को मजबूर हैं. वन विभाग ने मुआवजा नहीं दिया. वहीं प्रखंड कार्यालय से पीएम आवास भी नहीं मिला. रामेश्वर ने बताया कि हाल में अबुआ आवास के लिए आवेदन सौंपा है. वन विभाग से मुआवजा के लिए कई बार मांग की. अब उसने मुआवजा की आस भी छोड़ दी है.
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