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गिरिडीह के अस्पतालों में 181 की जगह 63 चिकित्सक ही कार्यरत, भगवान भरोसे होता है इलाज

गिरिडीह जिला में चिकित्सकों के साथ स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है.फलस्वरूप आधे दर्जन से भी ज्यादा अस्पताल चिकित्सकों के अभाव में बंद पड़े हुए है. जिले में 181 चिकित्सकों का पद स्वीकृत है, लेकिन मात्र 63 चिकित्सक ही पदस्थापित है. 2015 में आइएसओ दर्जा प्राप्त सदर अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में कमी है.

मृणाल कुमार, गिरिडीह

Giridih News: गिरिडीह जिला में चिकित्सकों के साथ-साथ स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है. फलस्वरूप आधे दर्जन से भी ज्यादा अस्पताल चिकित्सकों के अभाव में बंद पड़े हुए है. जिले में 181 चिकित्सकों का पद स्वीकृत है, लेकिन मात्र 63 चिकित्सक ही पदस्थापित है. 2015 में आइएसओ दर्जा प्राप्त सदर अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में मानव संसाधन की भारी कमी है. यही कारण है कि लाख प्रयास के बावजूद जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था कराह रही है. गिरिडीह की करीब 29 लाख की आबादी को स्वास्थ्य सेवा देने में विभाग को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लाखों खर्च के बाद भी आमलोगों को जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए वैसी सुविधा नहीं मिल पा रही है.

रात को सोने के लिए सिर्फ आते हैं चिकित्सक

जिला प्रशासन द्वारा सदर अस्पताल गिरिडीह की व्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास लगातार किया जाता रहा है. लेकिन चिकित्सक अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं ला रहे हैं. यहां पदस्थापित अधिकांश चिकित्सक अपने-अपने निजी क्लिनिकों में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं. इतना ही नहीं कई मरीजों को तो तुरंत रेफर कर दिया जाता है. सदर अस्पताल में अपना इलाज कराने पहुंचे मरीज भोला टुडू, बाबूजान, पंकज कुमार, संतोष मांझी, मनोज टुडू आदि ने बताया कि सदर अस्पताल में चिकित्सक समय पर आते ही नहीं है तो इलाज कैसे करेंगे. अगर कोई डॉक्टर आया भी तो ठीक से देखते तक नहीं है. पर्ची दिखाने के बाद तुरंत दवा लिख दिया जाता है. इतना ही नहीं अस्पताल में तो दो-चार दवाइयां ही मिलती है. बाकी दवाइयां बाहर से ही लानी पड़ती है. मरीजों का कहना है कि यहां खाना भी सही ढंग से नहीं दिया जाता है. जैसे-तैसे कुछ भी खाना दे दिया जाता है. रात के वक्त तो हालत और भी खराब रहती है. रात में चिकित्सक आते है लेकिन सोने के लिए.

जैसे-तैसे मरीजों को देख रहे थे चिकित्सक

शनिवार को प्रभात खबर की टीम ने सदर अस्पताल का जायजा लिया. दोपहर करीब 12.30 बजे को सदर अस्पताल में काफी संख्या में मरीज अपना-अपना इलाज करवाने के लिए सदर अस्पताल पहुंचे हुए थे. अधिकांश विभाग में चिकित्सक और कर्मी बैठे हुए थे और मरीज अपना-अपना इलाज करवा रहे थे. डॉक्टर तुरंत देख कर मरीजों को भेजने में लगे हुए थे. इमरजेंसी वार्ड में भी मरीजों का इलाज चल रहा था. वहीं सिविल सर्जन अपने चैंबर में विभाग से संबंधित वीडियो काॅन्फ्रेसिंग कर रहे थे. अधिकांश वार्ड में मरीजों की संख्या ठीक-ठाक थी.

आइसीयू वार्ड का भी ठीक से नहीं हो रहा संचालन

सदर अस्पताल में लंबे संघर्ष के बाद गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू और शहर के गणमान्य लोगों के सहयोग से आइसीयू वार्ड का निर्माण कराया गया. यहां आइसीयू वार्ड में 9 बेड की व्यवस्था है और पांच टेक्नीशियन है. हालांकि जो सुविधाएं यहां मरीजों को मिलनी चाहिए वह ठीक से नहीं मिल पाती है. आइसीयू वार्ड का संचालन की जिम्मेदारी महादेव इंटरप्राइजेज नामक कंपनी को दी गयी है. कंपनी द्वारा ही आइसीयू वार्ड का संचालन किया जा रहा है. यहां बिना वेंटिलेटर के रहने वाले मरीजों का शुल्क चार हजार रुपये और वेंटिलेटर के साथ रहने वाले मरीजों को सात हजार रुपये शुल्क देना पड़ता है. हालांकि यहां आयुष्मान भारत के जरिये इलाज की व्यवस्था है, लेकिन इसका लाभ लेना लोगों के लिए काफी परेशानियों से भरा है. शनिवार को आइसीयू वार्ड में चार मरीज थे.

ऑर्थो और न्यूरो का नहीं होता है इलाज

गिरिडीह सदर अस्पताल में ऑर्थो और न्यूरो सर्जन के एक भी चिकित्सक नहीं है. ऐसे में इन रोगों से जुड़े मरीज के पहुंचने के बाद उनका इलाज सही से नहीं हो पाता है. जैसे-तैसे किसी डॉक्टर से मरीज का इलाज करवा कर उसे तुरंत रेफर कर दिया जाता है. इन दोनों विभाग में सर्जन नहीं रहने के कारण मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.

सदर अस्पताल और चैताडीह में मात्र 11 चिकित्सक कार्यरत

सदर अस्प्ताल और चैताडीह स्थित मातृत्व शिशु केंद्र मिला कर कुल 33 चिकित्सकों की जरूरत है. परंतु यहां मात्र 11 चिकित्सक ही कार्यरत है. 2018 में सदर अस्पताल की अन्य शाखा चैताडीह शिशु एवं मातृत्व कल्याण केंद्र के अस्तित्व में आने के बाद सदर अस्पताल की बजाय बच्चों का इलाज व प्रसव का कार्य चैताडीह में किया जाने लगा. सदर अस्पताल की शाखा विस्तार के बाद यहीं से चैताडीह में चिकित्सकों की पदस्थापना की गई है.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ एसपी मिश्रा ने बताया कि सदर अस्पताल में चिकित्सकों की काफी कमी है. जिससे परेशानी तो होती है, लेकिन इसके बावजूद मरीजों को बेहतर इलाज करने का हरसंभव कोशिश किया जाता है. चिकित्सकों की कमी मामले को लेकर लगातार पत्राचार किया जाता रहा है. न्यूरो और ऑर्थो के एक भी सर्जन यहां नहीं है. जिससे परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर पुन: पत्राचार किया जायेगा.

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