ग्रामीण मजदूरों को रोजगार देने के लिए चल रही मनरेगा योजना के तहत पिछले दो माह से मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली है. इसके कारण मजदूरों की हालत खराब है. मजदूरी का भुगतान कब होगा इसका कोई पता नहीं है. कार्य का भुगतान नहीं होने से योजना में ठेकेदारी को बढ़ावा मिल रहा है. मनरेगा मेठ या अन्य संलिप्त लोग अपनी पूंजी लगाकर जैसे-तैसे कार्य करवा कर अपने चहेते मजदूरों के नाम डिमांड कटा खानापूर्ति कर रहे हैं.
500 से अधिक योजनाएं हैं संचालित
बेंगाबाद की 25 पंचायतों में पांच सौ से अधिक योजनाएं संचालित हैं. अधिकांश योजनाएं टीसीबी, डोभा व मिट्टी मोरम सड़क से जुड़ी हुई हैं. अक्तूबर के बाद दो माह बीतने को है, लेकिन मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली है. इससे मजदूरों के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गयी है. सभी पंचायत में योजना संचालित करने का विभाग से जबाव भी है, लेकिन मजदूरी नहीं मिलने से कार्य के स्थान पर डिमांड काटकर इसे जारी दिखाया जा रहा है.
एक मजदूर को मिलता है 1530 रुपये
बताया जाता है कि मनरेगा योजना में केंद्र और राज्य सरकार मजदूरी भुगतान के लिए राशि आवंटित करती है. एक सप्ताह में छह दिन कार्य करने पर एक मजदूर को प्रतिदिन 255 रुपये की दर से 1530 रुपये की मजदूरी मिलता है. इसमें केंद्र सरकार मजदूरी मद में प्रत्येक सप्ताह एक मजदूर को 1368 रुपये, जबकि राज्य सरकार 162 रुपये का भुगतान करती है. राज्य सरकार की राशि प्रत्येक सप्ताह मजदूरों के खाते में जा रही है, लेकिन केंद्र की राशि नहीं मिल रही है.
केंद्र सरकार मजदूरों के साथ कर रही नाइंसाफी : मुखिया
मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष मो. शमीम ने कहा कि अक्तूबर में एक सप्ताह भुगतान के बाद से केंद्र सरकार राशि आवंटन नहीं दे रही है. राशि नहीं मिलने से भुगतान प्रभावित है. केंद्र सरकार मजदूरों के साथ नाइंसाफी कर रही है. बार-बार मजदूरी भुगतान की शिकायत अधिकारियों से किया, लेकिन राशि आवंटन नहीं होने की बात कही जाती है. कहा कि कार्य का दबाव और भुगतान नहीं मिलने से जनप्रतिनिधियों को परेशानी बढ़ा दी है. मामले की जानकारी ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को भी दी गयी है. इधर, बीपीओ दीपक कुमार का कहना है आवंटन के अभाव में भुगतान नहीं हो पा रहा है.
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