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गिरीडीह पुलिस मृत माओवादी चिराग की कर रही तलाश, जानिए क्या है वजह

कभी बिहार, झारखंड और छतीसगढ़ पुलिस के लिए सरदर्द बना माओवादी चिराग उर्फ प्रमोद की तलाश अभी भी की जा रही है. दरअसल उसकी मौत हुए 10 साल गुजर गया, लेकिन इसके बावजूद भी गिरीडीह पुलिस उसकी तलाश कर रही है. गिरीडीह पुलिस 2012 में हुई जेल ब्रेक की घटना के बाद तलाश करती पहुंची.

राकेश बर्मा, बेरमो

Bokaro News: कभी बिहार, झारखंड और छतीसगढ़ पुलिस के लिए सरदर्द बना माओवादी चिराग उर्फ प्रमोद की तलाश अभी भी की जा रही है. दरअसल उसकी मौत हुए 10 साल गुजर गया, लेकिन इसके बावजूद भी गिरीडीह पुलिस उसकी तलाश कर रही है. रविवार को गिरीडीह पुलिस 2012 में हुई जेल ब्रेक की घटना के मुख्य आरोपी मृत माओवादी चिराग उर्फ प्रमोद उर्फ रामचंद्र की तलाश में ऊपरघाट स्थित उसके घर जाकर उसकी खोजबीन की.

घर में नहीं मिला कोई

पुलिस को चिराग के घर में कोई नहीं मिला. वृद्व पिता फागुन महतो मवेशियों को चराने जंगल गए थे. भाई धनेश्वर महतो दूसरे राज्य कमाने बाहर गया है. अन्य महिला सदस्य खेत गए थे. घर बंद देखकर गिरीडीह पुलिस बैंगर वापस लौट गयी. मृतक चिराग के परिजनों ने कहा कि उसकी मौत के 10 साल हो गए. इस संबंध में गिरीडीह के मुफस्सिल थाना के पुअनि रंजन कुमार सिंह ने बताया कि गिरीडीह जिला के मुफस्सिल थाना में कांड संख्या 209/2012 में उसकी तलाश की जा रही है. उस केस के तमिला के लिए उसकी तलाश में गए थे. यहां आने पर इसकी जानकारी मिली कि जिस माओवादी को खोजा जा रहा है, उसकी 2015 में बिहार के एक पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई है.

मुठभेड़ में मारा गया था चिराग

बिहार के जमुई जिला अंतर्गत चकाई के खिजुरवा पहाड़ पर दिसंबर 2015 में पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी, दोनों ओर से सैकड़ों गोली चलने के बाद चिराग मारा गया था. बिहार और झारखंड के करीब 23 थाना की पुलिस उसकी लाश को सौंपने के लिए उसके घर पहुंची थी. आसपास के इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था. पर आज भी गिरीडीह पुलिस जेल ब्रेक के मामले में उसकी तलाश कर रही है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है.

2012 में कैदी वाहन पर किया था हमला

गिरीडीह के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में 9 दिसंबर 2012 नक्सली कमांडर चिराग के नेतृत्व में भाकपा माओवादियों ने कैदी वाहन पर हमला कर कुख्यात नक्सली प्रवेश दा सहित अन्य नक्सलियों को पुलिस की गिरफ्त से छुड़ा लिया था. उसी समय मुख्य रूप से माओवादी चिराग का नाम सामने आया था. यह बात दीगर है कि उसकी मौत हो चुकी है लेकिन झारखंड के कई थानों में आज भी वह जिंदा वांटेड है. रविवार को मुफस्सिल थाना की पुलिस के पुअनि रंजन कुमार सिंह मृत माओवादी चिराग उर्फ प्रमोद के घर पहुंचे और वस्तुस्थिति की खुलासा हुआ. जेल ब्रेक मामले के अनुसंधानक पुअनि रंजन कुमार सिंह ने बताया कि 11 साल से नक्सली प्रमोद उर्फ चिराग की तलाश की जा रही है. आज स्पष्ट हुआ कि वह मुठभेड़ में मारा गया है.

चाईबासा पुलिस भी कर रही तलाश

चाईबासा पुलिस उसकी तलाश कर रही है. चाईबासा पुलिस गुदड़ी थाना क्षेत्र में वर्ष 2011 में पुलिस और माओवादी के साथ मुड़भेड़ हुई थी, जिसमें एक पुलिस कर्मी शहीद हो गया था. कांड संख्या 38/2011 में चिराग के घर जाकर 8 फरवरी को 2021 को उसकी खोजबीन की थी.

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